मुंबई, एक अक्टूबर बंबई उच्च न्यायालय ने बदलापुर स्कूल यौन उत्पीड़न कांड की जांच के तहत दो आरोपी न्यासियों को गिरफ्तार नहीं कर पाने पर मंगलवार को विशेष जांच दल (एसआईटी) से नाराजगी जताई।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने सवाल उठाया कि पुलिस, जो आमतौर पर आरोपियों को पकड़ने के लिए किसी भी हद तक चली जाती है, इस मामले में उन्हें गिरफ्तार करने में असमर्थ कैसे है।
अदालत ने अगस्त में मामले में स्वत: संज्ञान लिया था।
महाराष्ट्र के ठाणे जिले में बदलापुर कस्बे के एक स्कूल में चार साल और पांच साल की दो बच्चियों का एक पुरुष कर्मचारी ने यौन उत्पीड़न किया था।
आरोपी अक्षय शिंदे को घटना के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था और 23 सितंबर को एक मुठभेड़ में वह पुलिस की गोली लगने से मारा गया।
महाराष्ट्र सरकार ने अगस्त में कहा था कि पुलिस महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी की अगुवाई वाली एसआईटी घटना की जांच करेगी।
मामले में आरोपियों के तौर पर स्कूल के दो न्यासियों- अध्यक्ष और सचिव के भी नाम आए।
दोनों पर घटना की जानकारी तत्काल पुलिस को नहीं देने और लापरवाही बरतने के आरोप में बच्चों का यौन अपराधों से संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत मामला दर्ज किया गया।
महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने पीठ को सूचित किया कि दोनों आरोपी अब भी फरार हैं और उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सका है।
दोनों ने उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत याचिका दायर की है।
अदालत ने कहा, ‘‘पुलिस किसी आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए किसी भी हद तक जाती है। वे इन दोनों को कैसे गिरफ्तार नहीं कर पाए? क्या वे (पुलिस) उन्हें अग्रिम जमानत मिलने का इंतजार कर रहे हैं?’’
सराफ ने कहा कि पुलिस दोनों को पकड़ने के लिए हरसंभव कदम उठा रही है।
अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 23 अक्टूबर की तारीख तय की।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)