George Floyd: जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद दुनियाभर में ऐतिहासिक स्मारकों पर हुआ हमला
जॉर्ज फ्लॉयड प्रोटेस्ट (Photo Credits: facebook)

George Floyd Died: सदियों से हो रहे नस्लीय अन्याय के खिलाफ बोस्टन, न्यूयॉर्क, पेरिस, ब्रसेल्स और ऑक्सफोर्ड, इंग्लैंड जैसे शहरों में प्रतिमाएं तोड़ने की घटनाएं सामने आयी हैं. विद्वानों की राय इस बात को लेकर बंटी हुई है कि यह अभियान इतिहास को मिटाने के लिए है या उसमें सुधार करने के लिए. ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में प्रदर्शनकारियों ने विक्टोरियाई साम्राज्यवादी रोड्स की प्रतिमा हटा दी जो दक्षिण अफ्रीका (South Africa) में केप कॉलोनी के प्रधानमंत्री रहे थे. उन्होंने सोने और हीरे की खदानों का जमकर दोहन किया जहां खनिकों से क्रूर परिस्थितियों में मजदूरी कराई गई.

हालांकि ऑक्सफोर्ड की कुलपति लुइस रिचर्डसन (Louise Richardson) ने बीबीसी को दिए एक साक्षात्कार में इस पर ऐतराज जताया. उन्होंने कहा, "हमें इतिहास को चुनौती देने की जरूरत है. मेरी राय है कि इतिहास को छिपाना ज्ञानोदय का रास्ता नहीं है." वहीं, इंग्लैंड के ब्रिस्टल में प्रदर्शनकारियों ने 17वीं सदी के व्यापारी एडवर्ड कोल्सटन की प्रतिमा उखाड़ दी. शहर के अधिकारियों ने बताया कि इसे एक संग्रहालय में लगाया जाएगा.

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बेल्जियम में छह से अधिक शहरों में लियोपोल्ड द्वितीय की प्रतिमाओं को विरूपित किया गया. कांगो पर राजा के क्रूर शासन को याद करते हुए ऐस किया गया जहां एक सदी से अधिक समय पहले उन्होंने करोड़ों लोगों को अपने लाभ के लिए रबड़, हाथी दांत और अन्य संसाधनों के खनन के लिए दासता के लिए मजबूर किया. विशेषज्ञों का कहना है कि उनके अत्याचार के चलते एक करोड़ लोग मारे गए थे.

कांगो में एक कार्यकर्ता मिरेली रॉबर्ट ने कहा, "हमारी राय में लियोपोल्ड ने जनसंहार किया था."

अमेरिका में बुधवार रात को वर्जीनिया के प्रसिद्ध मॉन्यूमेंट ऐवेन्यू रिचमॉन्ड में प्रदर्शनकारियों ने जेफरसन डेविस की प्रतिमा तोड़ दी. परिसंघीय राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति रहे डेविस की प्रतिमा रात को लगभग 11 बजे गिरा दी गई और यह चौराहे पर बीचोंबीच मिली. इससे पहले मंगलवार को रिचमॉन्ड में क्रिस्टोफर कोलंबस की एक प्रतिमा को प्रदर्शनकारियों ने गिरा दिया था और आग लगाकर झील में डाल दिया.

कान्फेडरेट दक्षिणी अमेरिकी राज्यों का संघ था जिसने अमेरिकी गृह युद्ध में उत्तरी राज्यों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी और इसे 1865 में परास्त कर दिया गया था. ये स्मारक उसी काल के हैं . इस संघ की स्थापना 1861 में की गयी थी और यह दास प्रथा को जारी रखने के पक्ष में था. ये प्रतिमाएं ऐसे समय में तोड़ी जा रही हैं जब देशभर में काले व्यक्ति जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस हिरासत में मौत के खिलाफ प्रदर्शन चल रहे हैं.

मिनियापोलिस में एक श्वेत पुलिस अधिकारी ने अपने घुटने से फ्लॉयड की गर्दन दबाई थी जिससे उसकी मौत हो गई थी. फ्लॉयड की मौत के बाद देशभर में कान्फेडरेट स्मारकों को तोड़ा गया है. कुछ लोगों का कहना है कि ये प्रतिमाएं अनुचित रूप से उन लोगों का महिमामंडन करती हैं जिन्होंने दास प्रथा को बनाए रखने के लिए विद्रोह का नेतृत्व किया.

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