देश की खबरें | उदयनिधि के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के अनुरोध वाली अपील न्यायालय ने लंबित याचिका के साथ नत्थी की

नयी दिल्ली, 27 सितंबर उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ उनकी ‘सनातन धर्म को मिटाने’ संबंधी टिप्पणी को लेकर प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध करने वाली एक याचिका को, इसी तरह की लंबित एक याचिका के साथ बुधवार को नत्थी कर दिया।

न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ सनातन धर्म पर टिप्पणियों के लिए उदयनिधि स्टालिन और द्रमुक नेता ए राजा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

उच्चतम न्यायालय 22 सितंबर को उस अपील पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया था जो उदयनिधि स्टालिन तथा अन्य के खिलाफ, उनकी ‘‘सनातन धर्म को मिटाने’’ संबंधी कथित टिप्पणी के लिए प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध करते हुए चेन्नई के वकील बी जगन्नाथ ने दायर की थी।

उदयनिधि स्टालिन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम के प्रमुख एम के स्टालिन के बेटे हैं। वह अभिनेता भी हैं।

दिल्ली के वकील विनीत जिंदल द्वारा दायर याचिका बुधवार को पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई।

पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील से कहा, ''हम नोटिस जारी नहीं करेंगे लेकिन हम इसे नत्थी करेंगे।''

तमिलनाडु की ओर से पेश वकील ने तर्क दिया कि अपील एक ‘‘जनहित याचिका’’ थी जिसकी प्रकृति ‘‘प्रचार हित याचिका’’ की थी।

उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत ने पिछले सप्ताह इसी तरह के अनुरोध वाली एक अन्य याचिका पर नोटिस जारी किया था और ऐसी दूसरी याचिका की कोई आवश्यकता नहीं है।

पीठ ने कहा, ‘‘नोटिस लेने के बजाय, हम इसे उसी दिन लेंगे।’’ साथ ही पीठ ने कहा कि सवाल सुनवाई का है और ‘‘इसे हम उसी दिन लेंगे।’’

इसे ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण परिदृश्य’’ बताते हुए राज्य के वकील ने कहा कि इस मामले में विभिन्न उच्च न्यायालयों में कई रिट याचिकाएं दायर की गई हैं और यह राज्य के लिए मुश्किल हो गया है।

पीठ ने कहा, ‘‘संविधान के तहत आपके पास उचित उपाय है। हम केवल इसे नत्थी कर रहे हैं।’’

अपनी याचिका में जिंदल ने कहा है कि वह द्रमुक के दो नेताओं द्वारा कथित तौर पर सनातन धर्म के खिलाफ की गई ‘‘अपमानजनक टिप्पणियों’’ से व्यथित हैं।

याचिका में दावा किया गया है कि सनातन धर्म के खिलाफ ऐसी टिप्पणियां ‘‘नफ़रत फैलाने वाले भाषण’’ के समान हैं।

अपील में कहा गया है ‘‘एक हिंदू और सनातन धर्म का अनुयायी होने के नाते याचिकाकर्ता की धार्मिक भावनाएं प्रतिवादी संख्या 7 और 8 (उदयनिधि स्टालिन और राजा) द्वारा दिए गए बयानों से आहत हुई हैं, जिसमें सनातन धर्म को खत्म करने और सनातन की तुलना मच्छरों, डेंगू, कोरोना तथा मलेरिया के साथ करने का आह्वान किया गया है।’’

इसमें शीर्ष अदालत के 28 अप्रैल के आदेश के मद्देनजर कथित तौर पर दोनों नेताओं के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए कोई जांच शुरू नहीं करने को लेकर दिल्ली और चेन्नई पुलिस के खिलाफ उचित कार्रवाई करने के लिए केंद्र और तमिलनाडु राज्य को निर्देश देने की भी मांग की गई है।

शीर्ष अदालत ने इस साल 28 अप्रैल को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नफरत फैलाने वाले भाषण देने वालों के खिलाफ मामले दर्ज करने का निर्देश दिया था, भले ही इस बारे में कोई शिकायत न की गई हो।

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