नयी दिल्ली, छह दिसंबर उच्चतम न्यायालय 15 जून को एक टीवी शो में सूफी संत ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी के मामले में एंकर अमीश देवगन के खिलाफ दर्ज प्राथमिकियों को रद्द करने की उनकी याचिका पर सोमवार को अपना फैसला सुनाएगा।
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने 25 सितंबर को देवगन की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था। देवगन ने वकील मृणाल भारती के माध्यम से शीर्ष अदालत में कहा था कि उनकी जुबान फिसल गयी थी और वह इसके लिए पहले ही खेद प्रकट कर चुके हैं।
न्यायमूर्ति खन्ना इस मामले में देवगन की याचिका पर सोमवार को सुबह 10.30 बजे फैसला सुनाएंगे।
देवगन की ओर से वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने शीर्ष अदालत से कहा, ‘‘किसी भी प्राथमिकी में यह नहीं कहा गया कि सार्वजनिक व्यवस्था खराब हो रही है।’’
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उन्होंने कहा कि इसके अलावा वह पहले ही खेद भी जता चुके हैं।
शीर्ष अदालत ने पहले प्राथमिकियों के सिलसिले में देवगन को किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण प्रदान किया था।
इसके बाद से शीर्ष अदालत उन्हें संरक्षण प्रदान कर रही है।
एक समाचार चैनल पर ‘आर पार’ नामक शो में 15 जून को सूफी संत के लिए आपत्तिजनक शब्द का इस्तेमाल करने के मामले में देवगन के खिलाफ राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना में कई प्राथमिकियां दर्ज की गयी थीं।
हालांकि बाद में उन्होंने ट्वीट करके खेद जताया और कहा कि वह दरअसल मुस्लिम शासक अलाउद्दीन खिलजी का जिक्र कर रहे थे और गलती से चिश्ती का नाम बोल गये।
शीर्ष अदालत ने देवगन को अंतरिम राहत देते हुए प्रसारण से संबंधित मामलों में पत्रकार के खिलाफ जांच पर भी रोक लगा दी थी।
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