आंध्र प्रदेश के इलुरु शहर में 200 लोग रहस्यमय बीमारी की चपेट में,  अस्पताल में भर्ती
अस्पताल (Photo Credits ANI)

अमरावती, 6 दिसंबर: आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के इलुरु (Eluru) शहर में शनिवार रात से अबतक 227 से ज्यादा लोगों को रहस्यमयी बीमारी की वजह से अस्पताल में भर्ती कराया जा चुका है. इसके बाद चिकित्सा और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की एक टीम रविवार को इस शहर पहुंची. रोगियों में मिर्गी जैसे लक्षण देखने को मिल रहे हैं. उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री अल्ला कृष्णा श्रीनिवास उर्फ नानी ने कहा है कि स्थिति नियंत्रण में है और सभी जरूरतमंदों को चिकित्सा सहायता प्रदान की जा रही है. कुल मिलाकर, 46 बच्चों और 76 महिलाओं सहित 227 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इनमें से 70 को उनकी हालत स्थिर होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई. बेहतर इलाज के लिए पांच लोगों को विजयवाड़ा के सरकारी अस्पताल में भेज दिया गया. रोगियों का निजी अस्पतालों में भी इलाज किया जा रहा है.

मंत्री ने कहा और कहा कि इनलोगों जिंदगी को कोई खतरा नहीं है और इनकी हालत स्थिर बनी हुई है. उन्होंने इलुरु के सरकारी अस्पताल के दौरे के बाद संवाददाताओं से कहा कि प्रभावित लोगों को चक्कर और मिर्गी की शिकायत के साथ अस्पताल लाया गया था. मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी (YS Jaganmohan Reddy) व्यक्तिगत रूप से स्थिति की निगरानी कर रहे हैं और अधिकारियों को सतर्क रहने का निर्देश दिया है.यह भी पढ़े:  Andhra Pradesh: विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान सदन में उपद्रव मचाने का आरोप, TDP के 6 विधायक निलंबित.

पानी के नमूनों को प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए भेजा गया है और जल प्रदूषित होने की कोई रिपोर्ट अभी नहीं मिली है. मरीजों के खून के नमूने लैब में भेजे गए हैं, लेकिन किसी भी प्रकार के वायरल संक्रमण का पता नहीं चला है. सभी रोगियों का कोरोना परीक्षण भी करवाया गया, लेकिन सबकी रिपोर्ट नेगेटिव आई.

मंत्री ने कहा कि अन्य परीक्षण के नतीजे आने के बाद अधिक जानकारी का पता लग सकेगा. घबराने की जरूरत नहीं है.इस रहस्यमयी बीमारी से प्रभावित लोगों ने अचानक गिरने, मुंह में झाग और कंपकंपी की शिकायत की. जिन लोगों को शनिवार की रात अस्पताल में भर्ती कराया गया था, उन्हें ठीक होने के बाद रविवार सुबह छुट्टी दे दी गई. चिकित्सा और स्वास्थ्य विशेषज्ञ बीमारी के कारण का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं. प्रभावित लोगों में ज्यादातर बुजुर्ग और बच्चे हैं.