देश की खबरें | अंकिता हत्याकांड: विशेष लोक अभियोजक की नियुक्ति ना होने के कारण सुनवाई नहीं हुई

कोटद्वार (उत्तराखंड), 17 जुलाई उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में विशेष लोक अभियोजक के पद पर नयी नियुक्ति नहीं होने के कारण सोमवार को अदालत में सुनवाई नहीं हुई।

हत्याकांड में पैरवी कर रहे विशेष लोक अभियोजक जीतेंद्र रावत को हटाए जाने की मृतका के पिता वीरेंद्र भंडारी की मांग पर कार्रवाई करते हुए पौड़ी जिला प्रशासन ने शनिवार को उन्हें मामले से हटा दिया था।

अंकिता के पिता ने रावत पर केस को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए पौड़ी के जिलाधिकारी को छह जुलाई को एक ज्ञापन सौंपकर उन्हें मामले से हटाने की मांग की थी।

हालांकि, दूसरी ओर रावत ने इस संबंध में कहा है कि अपने उपर आरोप लगने के बाद उन्होंने स्वयं सरकार को पत्र लिखकर मामले से हटने की इच्छा जाहिर की थी।

हत्याकांड में जिला एवं सत्र न्यायाधीश रीना नेगी की अदालत में तीन गवाहों—अंकिता का एक दोस्त और दो चिकित्सकों के बयान दर्ज होने थे लेकिन विशेष लोक अभियोजक ना होने के कारण इस संबंध में कार्यवाही नहीं हो पायी।

बयान दर्ज कराने के लिए चिकित्सक तो नहीं पहुंचे, लेकिन अंकिता का दोस्त पुष्पदीप जम्मू से यहां पहुंचा था। सुनवाई के लिए मृतका के माता-पिता और रिश्तेदार भी यहां पहुंचे थे।

अंकिता के एक रिश्तेदार आशुतोष नेगी ने बताया कि उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार विशेष लोक अभियोजक के पद पर जीतेंद्र रावत की नियुक्ति हुई थी लेकिन उस समय मृतका के परिजनों की सहमति नहीं ली गई।

उन्होंने कहा कि उनकी सरकार से मांग है कि अब इस पद पर की जाने वाली नियुक्ति से पहले अंकिता के माता-पिता से सहमति ली जाए। सुनवाई की अगली तिथि 27 जुलाई निर्धारित की गई है।

पौड़ी जिले के यमकेश्वर में गंगा-भोगपुर क्षेत्र में वनंत्रा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के रूप में काम करने वाली 19 वर्षीया अंकिता की पिछले साल सितंबर में कथित तौर पर रिजॉर्ट संचालक पुलकित आर्य ने अपने दो कर्मचारियों (सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता) के साथ मिलकर ऋषिकेश के निकट चीला नहर में धक्का देकर हत्या कर दी थी।

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