देश की खबरें | आंध्र प्रदेश : राज्य में गठबंधन करने या न करने को लेकर पसोपेश में भाजपा

नयी दिल्ली, 24 दिसंबर पिछले लोकसभा चुनाव में आंध्र प्रदेश में एक प्रतिशत से भी कम वोट पाने वाली भाजपा 2024 के आम चुनाव से पहले राज्य में खुद को काफी अच्छी स्थिति में पा रही है क्योंकि राज्य के दोनों मुख्य क्षेत्रीय दल (तेदेपा और वाईएसआर कांग्रेस) भाजपा को अपने पक्ष में रखने के लिए एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। ऐसे में भाजपा राज्य में गठबंधन करने या न करने को लेकर पसोपेश में है।

दोनों क्षेत्रीय दलों के सूत्रों ने कहा कि एन. चंद्रबाबू नायडू की अगुवाई वाली तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) जहां भाजपा के साथ गठबंधन चाहती है, वहीं राज्य की सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस चाहती है कि भाजपा 2019 के चुनाव की तरह आगामी आम चुनाव में भी अकेले उतरे।

आंध्र प्रदेश में मुसलमानों और ईसाइयों के अल्पसंख्यक वोटों को वाईएसआर कांग्रेस के ठोस आधार के रूप में देखे जाने के कारण, इसके नेताओं का मानना ​​है कि भाजपा के साथ चुनावी गठबंधन उनकी पार्टी के लिए उपयुक्त नहीं होगा। हालांकि, उन्होंने अपने निर्विवाद समर्थन को रेखांकित करने के लिए संसद में नरेन्द्र मोदी सरकार के एजेंडे का समर्थन किया है।

वाईएसआर कांग्रेस के एक नेता ने कहा, ‘‘भाजपा के अपने चुनावी सहयोगियों के साथ मतभेद रहे हैं, लेकिन हमारे साथ कभी नहीं। हमारे नेता (मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी) के भाजपा नेतृत्व के साथ मधुर संबंध हैं और सत्ता में कोई हिस्सेदारी मांगे बिना पूरे दिल से उनका समर्थन किया है।’’

दूसरी तरफ, भाजपा अपने विकल्पों पर विचार कर रही है। भाजपा के राज्य स्तरीय नेताओं का एक वर्ग पूर्व मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली तेदेपा के साथ गठबंधन के लिए उत्सुक है क्योंकि उनका मानना ​​है कि यही एकमात्र तरीका है जिससे वे कुछ सीट जीतने और अपने कार्यकर्ताओं में जोश भरने की उम्मीद कर सकते हैं।

आंध्र प्रदेश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होते हैं। अभिनेता पवन कल्याण की ‘जन सेना पार्टी’ के साथ गठबंधन के बाद तेदेपा को वाईएसआर कांग्रेस के खिलाफ मजबूत प्रदर्शन की उम्मीद है।

तेदेपा ने वाईएसआर कांग्रेस पर उसे कमजोर करने के लिए भ्रष्टाचार के मामले में नायडू की गिरफ्तारी सहित अन्य तरीकों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है।

इसके नेताओं का मानना है कि भाजपा के साथ गठबंधन फायदेमंद साबित हो सकता है क्योंकि राष्ट्रीय पार्टी को केंद्र में सत्ता बरकरार रखने के लिए पसंदीदा माना जा रहा है।

भाजपा सूत्रों ने कहा कि पार्टी की दुविधा यह है कि अगर वाईएसआर कांग्रेस चुनाव जीतती है तो तेदेपा के साथ गठबंधन प्रतिकूल साबित हो सकता है।

नायडू की तुलना में भाजपा नेतृत्व के साथ रेड्डी के रिश्ते मधुर रहे हैं।

तेदेपा ने आंध्र प्रदेश के लिए ‘‘विशेष दर्जा’’ की मांग को लेकर 2018 में भाजपा से अपना नाता तोड़ लिया था, जहां वह सत्ता में थी।

2019 में सत्ता खोने के बाद से तेदेपा फिर से अपने पूर्व सहयोगी के करीब आने की कोशिश कर रही है।

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