Russia Ukraine War: कीव में नाकामी हाथ लगने के बाद रूस का ध्यान अब पूर्वी यूक्रेन पर
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रूस के सैनिक पूर्वी यूक्रेन के औद्योगिक गढ़ कहे जाने वाले डोनबास शहर में जोरदार हमले की तैयारी कर रहे हैं और आने वाले हफ्तों में युद्ध के नतीजे सामने आ सकते हैं. फिलहाल रूस की रणनीति में बदलाव और उसके संभावित परिणामों पर चर्चा की जा रही है. रूसी सेना ने जब 24 फरवरी को उत्तर, पूरब और दक्षिण से यूक्रेन पर आक्रमण किया तो राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को उम्मीद थी कि यूक्रेन जल्द ही घुटने टेक देगा. उन्हें लग रहा था कि साल 2014 में रूस ने यूक्रेन के क्रीमिया प्रायद्वीप पर जिस तरह जीत हासिल की, वैसी ही जीत उन्हें इस युद्ध में भी हासिल हो सकती है. रूस के सहयोगी बेलारूस की मदद से रूसी सैनिक जल्द ही यूक्रेन की राजधानी कीव के बाहरी इलाके तक पहुंच गए. हालांकि वहां पहुंचकर उन्हें यूक्रेन की सेना के सामने मुंह की खानी पड़ी.

राजधानी कीव और देश के उत्तरी हिस्से के अन्य शहरों पर धावा बोलने की नाकाम कोशिशों के बाद रूसी बलों ने इन शहरों को घेरने और तोप व हवाई हमलों से तहस-नहस करने के भरपूर प्रयास किये. रूसी सेना के हमलों में बड़ी संख्या में आम लोगों की जान गई और बुनियादी ढांचे को नुकसान तो पहुंचा, लेकिन वे यूक्रेन के सैनिकों के मनोबल को नहीं तोड़ पाई. इस बीच यूक्रेन के बलों ने कीव के बाहर राजमार्गों पर कई किलोमीटर तक तैनात रूसी काफिलों के खिलाफ तोप और ड्रोन का इस्तेमाल कर जबरदस्त प्रतिरोध दिखाया और रूस को उसकी रणनीति बदलने पर मजबूर कर दिया.

-रूसी रणनीति में बदलाव-

मार्च की 29 तारीख को रूस ने अपनी रणनीति में बड़े बदलाव की घोषणा करते हुए कहा कि वह कीव और चेर्नोहीव के आसपास अपनी सैन्य गतिविधियों को कम करेगा और अब उसका लक्ष्य डोनबास को ''आजाद'' कराना होगा. इसके बाद रूस ने तुरंत उत्तर और उत्तर-पूर्वी यूक्रेन के इलाकों से अपने सैनिकों की संख्या कम करनी शुरू कर दी और सैनिक बेलारूस व रूस की ओर जाने लगे. रूस के इस कदम को यूक्रेन और पश्चिमी देशों के अधिकारियों ने उसकी विफलता करार दिया. हालांकि रूस ने कहा कि यूक्रेन के उत्तरी इलाकों में हमला करने का मकसद यूक्रेनी बलों को कमजोर करना था ताकि वे पूर्व में चल रही लड़ाई में शामिल न हो सकें. हालांकि पर्यवेक्षकों के अनुसार रूसी सैनिकों ने पूर्व ने नए सिरे से हमला करने से पहले काफी समय लगा दिया. यह भी पढ़ें : Russia Ukraine War: यूक्रेन संघर्ष पर नाटो के हस्तक्षेप के खिलाफ मैड्रिड में विरोध प्रदर्शन

इसके बाद रूस ने पूर्व की किलाबंदी शुरू की. पूर्वी यूक्रेन में अलगावादी संघर्ष साल 2014 में क्रीमिया पर आक्रमण के साथ शुरू हुआ ‍था, जिसमें 14 हजार लोग मारे गए थे. इस हिस्से में अधिकतर रूसी बोलने वाली आबादी रहती है. इस लड़ाई में यूक्रेनी सुरक्षा बलों को युद्ध लड़ने का अनुभव हासिल हुआ, जो यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की शुरुआत में उनके काम आया. रूस और अलगाववादियों के ज्यादा ताकतवर होने के बावजूद यूक्रेनी बलों ने उन्हें महत्वपूर्ण बढ़त हासिल नहीं करने दी. यूक्रेन पर आक्रमण की शुरुआत से ही रूस का मुख्य लक्ष्य मारियुपोल के 'सी ऑफ अजोव' बंदरगाह पर कब्जा करना था ताकि उन्हें क्रीमिया में दाखिल होने का रास्ता मिल सके. रूसी बलों ने एक महीने पर मारियुपोल की घेराबंदी रखी और तोप व हवाई हमलों के जरिये शहर को मलबे में तब्दील कर दिया. इस दौरान हजारों लोग मारे गए. हालांकि अब तक वे मारियुपोल पर पूरी तरह कब्जा करने में नाकाम रहे हैं.

यूक्रेनी और पश्चिमी अधिकारियों का कहना है कि रूसी योजना उत्तर में खारकिव के पास, और दक्षिण में मारियुपोल से इजियम की ओर आगे बढ़ते हुए डोनबास में हजारों यूक्रेनी सैनिकों को घेरने की है. हालांकि रूस डोनबास की घेराबंदी कब करता है यह इस बात पर निर्भर करेगा कि वह मारियुपोल में जारी लड़ाई कब तक खत्म करके अपने सैनिकों को नए मिशन के लिये तैयार करता है. रूस को यदि यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में सैन्य कामयाबी मिलती है तो वह इसे दिखाकर शर्मिंदगी से बचने की कोशिश करते हुए युद्ध से बाहर निकल सकता है. पूर्व में कामयाबी मिलने के बाद पुतिन को यह कहने का मौका मिल जाएगा कि रूस का जो मुख्य लक्ष्य था, वह उसने हासिल कर लिया है. इसके बाद पुतिन शांति की अपील कर सकते हैं.