अहमदाबाद, 25 जुलाई गुजरात उच्च न्यायालय में दायर याचिका में अहमदाबाद चिकित्सा संघ (एएमए) के उस अनुरोध को गुजरात सरकार ने ‘‘आधारहीन'' करार दिया है, जिसमें आबादी के अनुपात में दैनिक कोविड-19 परीक्षण की संख्या में वृद्धि करने की मांग की गई है ।
राज्य सरकार ने कहा कि परीक्षण में इस तरह की वृद्धि से एएमए के सदस्य सीधे तौर पर लाभान्वित होंगे।
कोरोना वायरस महामारी से संबंधित मुद्दों को लेकर एक जनहित याचिका पर जारी सुनवाई के दौरान एक नागरिक आवेदन में एएमए ने उच्च न्यायालय से अनुरोध किया कि वह परीक्षण की संख्या बढ़ाकर 90,000 प्रतिदिन अथवा आबादी के अनुपात में परीक्षण करने का राज्य को निर्देश दे। एएमए ने इसके समर्थन में अन्य राज्यों का उदाहरण भी दिया।
गुजरात सरकार ने कहा कि प्रतिदिन परीक्षण जनसंख्या के सापेक्ष नही होकर बल्कि बीमारी के लक्षण वाले और बिना लक्षण वाले मामलों के लिए था।
सरकार ने शुक्रवार को अदालत में दाखिल अपने जवाब में कहा, '' अगर उपरोक्त निर्देश दिए जाते हैं तो इसका सीधा फायदा आवेदक संघ के सदस्यों को होगा...संघ का इसमें सीधा निहित स्वार्थ है और इस बारे में मुख्य जनहित याचिका में विचार नहीं किया जा सकता है। प्रतिदिन परीक्षण 90,000 तक बढ़ने से एक ऐसी स्थिति पैदा होगी, जहां आवेदक संघ के सदस्य सीधे तौर पर लाभान्वित होंगे।''
सरकार ने कहा कि एएमए ने अन्य राज्यों के आंकड़ों की तुलना करने के अलावा इस अनुरोध की मांग से संबंधित किसी अन्य तर्क को प्रभावी तरीके से नहीं उठाया है।
राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय को सूचित किया कि वह वर्तमान में प्रतिदिन 13,000 परीक्षण कर रहा है।
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