नयी दिल्ली, 19 नवंबर देश के तेल-तिलहन बाजारों में सूरजमुखी तेल के दाम बढ़ने के बाद बीते सप्ताह लगभग सभी तेल तिलहनों के भाव मजबूती के साथ बंद हुए।
बाजार सूत्रों ने बताया कि समीक्षाधीन सप्ताह के पिछले सप्ताहांत में जिस सूरजमुखी तेल का दाम 955-960 डॉलर प्रति टन था वह बीते सप्ताह बढ़कर 1,010-1,015 डॉलर प्रति टन हो गया। इस मजबूती का असर बाकी सभी तेल तिलहनों की कीमतों पर हुआ।
इसके अलावा सोयाबीन के प्रमुख उत्पादक देश ब्राजील में मौसम की अनिश्चित स्थिति को देखते हुए उत्पादन प्रभावित होने की आशंका से भी सभी तेल तिलहनों की मजबूती को बल मिला।
सूत्रों ने कहा कि देश में आबादी बढ़ने के साथ खाद्यतेलों की मांग भी सालाना लगभग 10 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। लेकिन विगत दिनों सरकारी आंकड़ों से पता लगता है कि कपास और मूंगफली की खेती के रकबे में कमी आई है। खरीफ में कपास और रबी मौसम में मूंगफली का रकबा घटा है। सस्ते आयातित तेलों के दबाव में देसी तेल-तिलहनों पर पहले से ही भारी दबाव है। ऐसे में रकबा घटने को खतरे की घंटी माना जा रहा है।
कपास से मिलने वाले बिनौले से पशु आहार के लिए सबसे अधिक खली मिलती है। बिनौले से तेल काफी कम मात्रा में मिलता है लेकिन सालाना लगभग 110 लाख टन खली मिलती है। इसलिए कपास खेती का रकबा घटना चिंता की बात है।
कपास से बिनौले को अलग करने वाली जिनिंग मिलों को पूरा माल नहीं मिल रहा है क्योंकि किसान कम कीमत मिलने के कारण पूरी ऊपज मंडियों में नहीं ला रहे। सस्ते आयातित तेलों के कारण देसी तेल मिलों को पेराई करने में नुकसान उठाना पड़ रहा है।
इसके अलावा नवंबर-दिसंबर में हल्के नरम तेल (सॉफ्ट आयल) का आयात घटने के आसार दिख रहे हैं जबकि जाड़े में ठंड के कारण जमने के गुण की वजह से पाम पामोलीन के बजाय सॉफ्ट आयल की मांग बढ़ती है। ऐसे में तेल संगठनों को त्योहार और शादी विवाह के मौसम में देश में खाद्यतेलों की होने वाली मांग और आपूर्ति की स्थिति के बारे में जानकारियां सरकार को देते रहनी चाहिये।
कारोबारी सूत्रों के मुताबिक, नरम तेलों का आयात कम होने पर पिछले साल की तरह इनके दाम भी बढ़ेंगे। पिछले साल शुल्क-मुक्त आयात के बावजूद खाद्यतेलों की कमी होने से शुल्क-मुक्त खाद्यतेल 20-25 रुपये प्रीमियम पर बेचे गए थे।
इसके अलावा बंदरगाहों पर आयातित खाद्यतेल अपनी लागत से कम दाम पर बेचा जा रहा है। तेल संगठनों और सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिये क्योंकि घाटे में सौदे बेचने से आगे चलकर आयात प्रभावित होगा और खाद्यतेलों की और कमी हो सकती है।
पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 25 रुपये बढ़कर 5,750-5,800 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का भाव 50 रुपये बढ़कर 10,750 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 15-15 रुपये का लाभ दर्शाता क्रमश: 1,825-1,920 रुपये और 1,825-1,935 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज का भाव क्रमश: 55-55 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 5,375-5,425 रुपये प्रति क्विंटल और 5,175-5,225 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
इसी तरह सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम तेल का भाव क्रमश: 125 रुपये, 25 रुपये और 150 रुपये बढ़कर क्रमश: 10,525 रुपये और 10,325 रुपये और 8,900 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
त्योहारी मांग के कारण समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहन के दाम में भी सुधार आया। मूंगफली तेल-तिलहन, मूंगफली गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल के भाव क्रमश: 100 रुपये, 500 रुपये और 80 रुपये की मजबूती के साथ क्रमश: 6,650-6,725 रुपये क्विंटल, 15,500 रुपये क्विंटल और 2,305-2,590 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।
समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 550 रुपये के सुधार के साथ 8,475 रुपये, पामोलीन दिल्ली का भाव 100 रुपये सुधरकर 9,300 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 50 रुपये के सुधार के साथ 8,500 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
सुधार के आम रुख के अनुरूप समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल का भाव भी 300 रुपये चढ़कर 9,150 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)