देश की खबरें | अजित पवार: छठी बार उपमुख्यमंत्री बनकर महाराष्ट्र की राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत की

मुंबई, पांच दिसंबर राजनीतिक पारी खत्म होने संबंधी भविष्यवाणियों को गलत साबित करते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख अजित पवार ने न केवल भाजपा नीत ‘महायुति’ में, बल्कि छठी बार उपमुख्यमंत्री बनकर महाराष्ट्र की राजनीति में भी अपनी स्थिति मजबूत कर ली है।

राकांपा संस्थापक के खिलाफ बगावत करने के एक साल से अधिक समय बाद अजित पवार अब अपने चाचा शरद पवार की छत्रछाया से मजबूती के साथ बाहर आ गए हैं।

उन्होंने बृहस्पतिवार शाम यहां एक भव्य समारोह में देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार में उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।

विभिन्न सरकारों में कई बार उपमुख्यमंत्री रह चुके 65 वर्षीय अजित पवार ने मुख्यमंत्री बनने की अपनी महत्वाकांक्षा को किसी से नहीं छिपाया है, लेकिन उनका यह सपना अभी भी अधूरा है।

उन्होंने इस वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को जब अपनी चचेरी बहन सुप्रिया सुले के खिलाफ बारामती सीट से चुनाव मैदान में उतारा तो उनकी राजनीतिक सूझबूझ पर संदेह पैदा हो गया था। सुप्रिया सुले राकांपा (एसपी) प्रमुख शरद पवार की बेटी हैं।

सुनेत्रा पवार चुनाव हार गईं और बाद में अजित पवार ने उन्हें अपनी चचेरी बहन के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारने पर खेद व्यक्त किया था।

हाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में शरद पवार द्वारा उनके खिलाफ आक्रामक प्रचार किए जाने के बावजूद उन्होंने (अजित पवार) न केवल अपने परिवार के गढ़ बारामती विधानसभा क्षेत्र पर अपनी पकड़ बरकरार रखी, बल्कि राज्य की राजनीति में अपनी जगह भी मजबूत कर ली।

बीस नवंबर को 288 सदस्यीय राज्य विधानसभा के लिए हुए चुनाव में अजित पवार की पार्टी ने 59 सीट पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से 41 सीट पर उसे जीत मिली थी।

यह 2024 के लोकसभा चुनाव में राकांपा के खराब प्रदर्शन के बिल्कुल विपरीत था, जिसमें पार्टी को राज्य में चार में से केवल एक सीट मिली थी।

अजित पवार ने बारामती से अपने भतीजे और राकांपा (एसपी) के उम्मीदवार युगेंद्र पवार को एक लाख से अधिक मतों के अंतर से हराया।

राकांपा प्रमुख 2019 से तीन बार उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं। वर्ष 2014 से पहले कांग्रेस-राकांपा शासन में भी वह दो बार इस पद पर रहे।

अजित पवार ने 23 नवंबर, 2019 को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन तीन दिन बाद ही उन्होंने (अजित पवार) इस्तीफा दे दिया, जिससे सरकार गिर गई।

बाद में वह उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाडी सरकार में उपमुख्यमंत्री बने।

पिछले साल वह राज्य में तत्कालीन एकनाथ शिंदे-भाजपा सरकार में शामिल हो गए थे और फिर से उपमुख्यमंत्री बन गए।

अजित पवार शरद पवार के बड़े भाई दिवंगत अनंत पवार के बेटे हैं। अजित ने 1982 में एक सहकारी चीनी कारखाने के बोर्ड सदस्य के रूप में राजनीति में कदम रखा था। उन्हें 1991 में पुणे जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष के रूप में चुना गया और वह 16 वर्षों तक इस पद पर रहे।

अजित पवार 1991 में बारामती से सांसद चुने गए, लेकिन चाचा शरद पवार के लिए इस सीट को खाली कर दिया। बाद में, वह बारामती से विधायक निर्वाचित हुए और छह बार इस निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।

राकांपा प्रमुख ने सिंचाई, जल संसाधन और वित्त समेत कई विभागों का कार्यभार संभाला है।

वह शरद पवार द्वारा स्थापित शैक्षणिक संस्थान विद्या प्रतिष्ठान, बारामती के न्यासी भी हैं।

वह 1999 तक महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष और दिसंबर 1998 तक पुणे जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष भी रहे। वह राज्य दुग्ध महासंघ और राज्य खो-खो एसोसिएशन के निदेशक के रूप में भी कार्यरत रहे हैं।

अजित पवार वर्तमान में महाराष्ट्र ओलंपिक संघ और राज्य कबड्डी संघ के अध्यक्ष हैं।

पिछले वर्ष (फडणवीस के साथ) उपमुख्यमंत्री बनने से पहले वह राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता थे।

उन्होंने राकांपा की प्रदेश इकाई का नेतृत्व करने की इच्छा जताई थी। कुछ दिनों बाद, वह राकांपा के कई अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ चाचा शरद पवार से अलग होकर एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल हो गए।

विधायी संख्याबल के आधार पर अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट को राकांपा का नाम और उसका ‘घड़ी’ चुनाव चिह्न दिया गया, जो शरद पवार गुट के लिए एक बड़ा झटका था।

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