Ajit Pawar Wants To Become CM: अजित पवार ने मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जताई, विधायकों के समर्थन के मामले में एनसीपी प्रमुख से आगे

शरद पवार ने 1999 में कांग्रेस से अलग होकर राकांपा का गठन करने के दिनों को याद करते हुए कहा, ‘‘आज हम सत्ता में नहीं हैं, लेकिन हम लोगों के दिलों में हैं.’’ राकांपा प्रमुख ने अजित गुट को चेतावनी देते हुए कहा कि भाजपा के एक-एक सहयोगी ने ‘राजनीतिक तबाही’ का सामना किया है और उनका भी यही हश्र होगा.

Ajit Pawar | Photo: ANI

मुंबई/नयी दिल्ली: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने बुधवार को कहा कि वह मुख्यमंत्री बनने की आकांक्षा रखते हैं और उन्होंने 83-वर्षीय अपने चाचा शरद पवार पर तंज कसते हुए सवाल किया कि वह सक्रिय राजनीति से कब ‘रिटायर’ होंगे. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) में टूट के बाद, पार्टी पर नियंत्रण रखने के लिए विधायकों का समर्थन होने के मामले में अजित पवार उनसे (शरद पवार से) आगे नजर आ रहे हैं.

शक्ति प्रदर्शन करने के लिए मुंबई में राकांपा के दोनों गुटों के अलग-अलग बैठकें करने के बीच, मुख्यमंत्री पद की अपनी आकांक्षा कभी नहीं छिपाने वाले अजित पवार (63) की टिप्पणी निश्चित तौर पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को परेशान करने वाली हैं. Ajit Pawar Wants To Become CM: अजित पवार बनना चाहते हैं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, आ सकता है नया राजनीतिक भूचाल

शिंदे की शिवसेना-भाजपा गठबंधन सरकार ने पिछले हफ्ते ही एक साल पूरा किया है, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस भी उपमुख्यमंत्री हैं. अजित पवार ने उपनगर बांद्रा की भुजबल नॉलेज सिटी में खुद के द्वारा बुलाई गई बैठक में कहा, ‘‘मैंने पांच बार उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की है. यह एक रिकॉर्ड है, लेकिन गाड़ी यहीं रूक गई है, आगे नहीं बढ़ रही. मुझे तहेदिल से ऐसा लगता है कि मुझे राज्य का प्रमुख (मुख्यमंत्री) बनना चाहिए. मेरे पास कुछ चीजें हैं जिन्हें मैं कार्यान्वित करना चाहता हूं और उसके लिए प्रमुख (मुख्यमंत्री) बनना जरूरी है.’’

पार्टी के दोनों गुटों के सूत्रों ने दावा किया कि अजित पवार गुट द्वारा बुलाई गई बैठक में राकांपा के 53 में से 32 विधायक शामिल हुए, जबकि राकांपा प्रमुख शरद पवार द्वारा संबोधित की गई बैठक में 18 विधायक उपस्थित थे. राकांपा अपने गठन के 24 साल बाद दो जुलाई को टूट गई, और पहली बार पार्टी की अलग-अलग बैठकें (दो गुटों की) हुई हैं.

शरद पवार ने शिवसेना-भाजपा सरकार में शामिल होने को लेकर अपने भतीजे अजित पवार की आलोचना की. दोनों नेताओं ने एक-दूसरे पर तंज कसे. पार्टी के शरद पवार और अजित पवार गुटों ने क्रमश: दक्षिण मुंबई के यशवंतराव चव्हाण सेंटर और उपनगर बांद्रा में भुजबल नॉलेज सिटी में अपनी-अपनी बैठकें कीं.

पार्टी के 53 में से 32 विधायकों और कार्यकर्ताओं के बीच मौजूद अजित पवार ने अपने 83-वर्षीय चाचा शरद पवार को याद दिलाया कि उनके सक्रिय राजनीति से ‘रिटायर’ होने का समय आ गया है.

अजित पवार ने अपने गुट की बैठक में कहा, ‘‘भाजपा में, नेता 75 वर्ष की आयु में रिटायर हो जाते हैं, आप कब होने जा रहे हैं.’’ उपमुख्यमंत्री पवार ने कहा, ‘‘हर किसी की अपनी पारी होती है. सबसे सार्थक समय 25 से 75 वर्ष की आयु तक होता है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे लिए साहेब (शरद पवार) देवता तुल्य हैं और हमारे मन में उनके लिए काफी सम्मान है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा के) अधिकारी 60 वर्ष की आयु में सेवानिवृत होते हैं. यहां तक कि राजनीति में भी, भाजपा नेताओं के सेवानिवृत्त होने की उम्र 75 वर्ष है. आप लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी के उदाहरण देख सकते हैं.’’

अजित ने जब यह टिप्पणी की, उस वक्त उनके खेमे के 75 वर्षीय एक प्रमुख सदस्य छगन भुजबल भी मंच पर मौजूद थे. भुजबल, एकनाथ शिंदे मंत्रिमंडल में शामिल किये गये नये मंत्री हैं. अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट की ओर से बुधवार को जारी एक बयान के मुताबिक, निर्वाचन आयोग को एक हलफनामे के माध्यम से सूचित किया गया है कि उन्हें 30 जून, 2023 को राकांपा के सदस्यों, विधायी और संगठनात्मक, दोनों इकाइयों के ‘‘भारी बहुमत’’ द्वारा हस्ताक्षरित एक प्रस्ताव के माध्यम से राकांपा प्रमुख चुना गया है.

बयान में यह भी कहा गया है कि प्रफुल्ल पटेल राकांपा के कार्यकारी अध्यक्ष बने रहेंगे. बयान में कहा गया है कि राकांपा ने अजित पवार को महाराष्ट्र विधानसभा में पार्टी के विधायक दल का नेता नियुक्त करने का भी फैसला किया है और इस फैसले को पार्टी विधायकों के भारी बहुमत से पारित प्रस्ताव द्वारा अनुमोदित भी किया गया है.

इसमें कहा गया, ‘‘राकांपा के भीतर कुछ तत्वों द्वारा पार्टी के निर्वाचित प्रतिनिधियों और पार्टी के विभिन्न संगठनात्मक पदों पर काम करने वालों के बीच भय और भ्रम फैलाने का प्रयास किया जा रहा है.’’ राकांपा में गुटीय लड़ाई निर्वाचन आयोग के दरवाजे तक पहुंच गयी, और अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट ने उनके समर्थन में विधायकों और सांसदों के 40 से अधिक हलफनामे दाखिल किए.

निर्वाचन आयोग के सूत्रों ने बताया कि शरद पवार खेमे ने आयोग के समक्ष एक याचिका दायर कर अनुरोध किया है कि गुटीय लड़ाई के संबंध में कोई भी निर्देश पारित करने से पहले उनकी बात सुनी जाए.

शरद पवार की बेटी एवं लोकसभा सदस्य सुप्रिया सुले ने अपने बागी चचेरे भाई अजित पवार पर पलटवार करते हुए कहा कि वह अपने पिता के खिलाफ एक शब्द भी बर्दाश्त नहीं करेंगी. उन्होंने कहा, ‘‘कोई व्यक्ति मेरी या किसी अन्य की आलोचना कर सकता है, लेकिन मैं अपने पिता के खिलाफ एक शब्द भी नहीं बर्दाश्त करूंगी...वह पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए पिता से बढ़कर हैं.’’

वहीं, राकांपा विधायक जितेंद्र आव्हाड ने भी अपने चाचा शरद पवार की उम्र पर अजित पवार की टिप्पणियों को लेकर पलटवार किया. आव्हाड ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि एक सुपुत्र हमेशा ही अपने पिता को सक्रिय बने रहने के लिए प्रेरित करता है, ‘‘लेकिन यहां आप जैसे लोग उन्हें घर पर बैठने के लिए कह रहे हैं. हम कहना चाहते हैं कि वह घर पर नहीं बैठेंगे.’’

अजित पवार ने अपने संबोधन में शरद पवार पर 2004 में राकांपा का मुख्यमंत्री बनाने का मौका गंवाने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा, ‘‘2004 में हमारे पास कांग्रेस से ज्यादा विधायक थे, लेकिन हमारे वरिष्ठ नेताओं ने कांग्रेस को मुख्यमंत्री पद लेने दिया.’’ राज्य में 2004 के विधानसभा चुनाव में राकांपा को कांग्रेस से दो सीट अधिक मिली थी, लेकिन कांग्रेस के विलासराव देशमुख मुख्यमंत्री बने थे.

यशवंतराव चव्हाण सेंटर में अपने गुट की बैठक को संबोधित करते हुए शरद पवार ने सत्ता के लिए भाजपा से हाथ मिलाने को लेकर अपने भतीजे की आलोचना की क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राकांपा को ‘भ्रष्ट’ पार्टी बताया करते हैं.

शरद पवार ने अजित पवार गुट द्वारा उनकी तस्वीर का इस्तेमाल करने को लेकर भी आपत्ति जताई. उन्होंने कहा, ‘‘अगर वो उधर चले गए हैं तो मेरी तस्वीर का इस्तेमाल क्यों कर रहे हैं? मैं अपनी पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न उनके हाथों में नहीं जाने दूंगा.’’

अजित पवार नीत गुट के निर्वाचन आयोग का रुख करने और पार्टी के चुनाव चिह्न पर दावा पेश करने पर, पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री ने अपने समर्थकों को आश्वस्त किया कि वह किसी को भी पार्टी का चिह्न छीनने नहीं देंगे.

उन्होंने कहा, ‘‘कुछ दिन पहले, उन्होंने (अजित ने) मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की आलोचना करते हुए कहा था कि उन्होंने इतने साल में ऐसा मुख्यमंत्री कभी नहीं देखा, लेकिन आज उन्होंने उनसे हाथ मिला लिया.’’

शरद पवार ने 1999 में कांग्रेस से अलग होकर राकांपा का गठन करने के दिनों को याद करते हुए कहा, ‘‘आज हम सत्ता में नहीं हैं, लेकिन हम लोगों के दिलों में हैं.’’ राकांपा प्रमुख ने अजित गुट को चेतावनी देते हुए कहा कि भाजपा के एक-एक सहयोगी ने ‘राजनीतिक तबाही’ का सामना किया है और उनका भी यही हश्र होगा.

राज्यसभा सदस्य ने कहा, ‘‘अपने राजनीतिक सहयोगियों को धीरे-धीरे कमजोर करना भाजपा की नीति है. अन्य राज्यों में इसके कई उदाहरण हैं.’’ राकांपा प्रमुख ने कहा, ‘‘अकाली दल कई वर्षों तक भाजपा के साथ रहा, लेकिन अब कहीं नहीं है. यही स्थिति तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और बिहार में देखने को मिली. (बिहार के) मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे महसूस किया और राजद के साथ गठजोड़ (महागठबंधन) में शामिल हो गये.’’

वहीं, महाराष्ट्र के मंत्री भुजबल ने कहा कि उन्होंने उपयुक्त विचार करने के बाद शिंदे-भाजपा सरकार में शामिल होने का फैसला किया. भुजबल ने एक समाचार चैनल से कहा, ‘‘यदि उनका (शरद पवार का) राजनीति में 57-58 साल का करियर है, तो मैंने भी इसी क्षेत्र में 56 साल बिताये हैं.’’

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