नयी दिल्ली, नौ नवंबर दिल्ली-एनसीआर में वायु की गुणवत्ता सुधारने का जिम्मा संभाल रहे केंद्र के एक पैनल ने राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण संबंधी शिकायतों के समाधान की धीमी गति और लंबित मामलों की बढ़ती संख्या पर चिंता प्रकट की है।
विभिन्न कदमों के बीच, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने अत्यधिक प्रदूषण फैलाने वाले (ईओएल) वाहनों (15 वर्ष से अधिक पुराने पेट्रोल वाहन और 10 वर्ष से अधिक पुराने डीजल वाहन) को हटाने के लिए तेज प्रयास करने के निर्देश दिए हैं, क्योंकि अब भी ये वाहन दिल्ली में सड़कों पर नजर आते हैं।
उसने बढ़-चढ़कर शिकायतों का निपटान करने का आह्वान किया। उसने कहा कि मुद्दों के समाधान में देरी से वायु गुणवत्ता प्रबंधन उपायों के प्रभावी क्रियान्वयन में बाधा खड़ी होती है।
शुक्रवार को दिल्ली के मुख्य सचिव और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान आयोग ने इस बात पर बल दिया कि उल्लंघन के हर मामले को तत्परता को निपटाया जाना चाहिए।
शनिवार को जारी एक बयान में कहा गया है, ‘‘कहा जाता है कि शिकायतों का समय पर समाधान क्रियान्वयन प्रक्रिया की अखंडता को बनाए रखने और व्यापक वायु प्रदूषण नियंत्रण उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए जरूरी है।’’
आयोग ने विशेष रूप से दिल्ली नगर निगम से सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए सार्वजनिक पार्किंग स्थलों में पार्किंग शुल्क संरचना की समीक्षा करने का आग्रह किया।
आयोग ने कहा कि अनधिकृत रूप से या जहां-तहां गाड़ियों को खड़ा कर दिये जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाए क्योंकि इससे सड़कों पर भीड़ लग जाती है, प्रदूषण स्तर में इजाफा होता है।
उसने कहा कि बिना वैध ‘नियंत्रण में प्रदूषण’ प्रमाणपत्र वाले वाहनों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाए।
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