नयी दिल्ली, 19 जून सेना में भर्ती के लिए पेश की गई 'अग्निपथ' योजना के खिलाफ बिहार में हो रहे व्यापक विरोध प्रदर्शनों के बीच राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने शनिवार को कहा कि योजना को लेकर युवाओं के मन में काफी शंकाएं हैं और इसे वापस लिया जाना चाहिए।
उन्होंने यहां संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सवाल किया कि क्या यह शिक्षित युवाओं के लिए मनरेगा जैसी योजना है या फिर इसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का कोई ''गुप्त एजेंडा'' है।
यादव ने युवाओं से योजना के विरुद्ध शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की अपील की।
उन्होंने सवाल किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पूरे मुद्दे पर चुप क्यों हैं।
यादव ने यह भी कहा कि सरकार 'वन रैंक, वन पेंशन' की बात करती है, लेकिन ऐसी योजना लेकर आई है, जिसमें ''न रैंक है, न पेंशन'' है।
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने सरकार से 20 सवाल पूछे और कहा कि लोगों के मन में कई शंकाएं हैं, जिन्हें सरकार को दूर करना चाहिए।
यादव ने पूछा कि अग्निपथ योजना, सेना में भर्ती होने वाले अधिकारियों के लिए क्यों नहीं है।
उन्होंने कहा, ''देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और जो सैनिक बनना चाहते हैं, वे आक्रोशित हैं।''
यादव ने इस योजना को वापस लेने की मांग की।
उन्होंने आगजनी और हिंसा के लिए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को जिम्मेदार ठहराने संबंधी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दावों को खारिज किया और कहा कि इसके लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है, लेकिन विपक्ष को दोषी ठहराया जा रहा है।
भाजपा और जद (यू) के बीच कथित ''आरोप-प्रत्यारोप'' के बारे में पूछे जाने पर यादव ने कहा कि यह डबल इंजन की सरकार है और जद (यू) योजना की आलोचना करके अपनी ही सरकार पर हमला कर रही है।
उन्होंने योजना को लेकर सरकार से कई सवाल पूछे हैं।
यादव ने पूछा कि क्या 'अग्निवीरों' को नियमित सैनिकों की तरह एक साल में 90 दिन की छुट्टी दी जाएगी। क्या सेवा के दौरान और कार्यकाल के अंत में सैनिकों द्वारा अर्जित धन से कर काटा जाएगा। क्या उन्हें ग्रेच्युटी दी जाएगी, क्या उन्हें सैन्य कैंटीन की सुविधा व भूतपूर्व सैनिकों को उपलब्ध चिकित्सा सुविधाएं मिलेंगी।
उन्होंने यह भी पूछा कि सरकार बेरोजगारी की बड़ी समस्या का समाधान क्यों नहीं करती।
यादव ने कहा कि क्या सरकार बेरोजगारी के कारण हुई हिंसा और अराजकता के लिए जिम्मेदार नहीं है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के तहत विभिन्न विभागों में 10 लाख से अधिक पद हैं और उन्होंने पूछा कि क्या पदों को खाली रखने के लिए जनता और विपक्ष दोषी हैं।
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