देहरादून, दो मई उत्तराखंड के जंगलों में धधक रही आग से निपटने के लिए अधिकारियों को अल्मोड़ा का शीतलाखेत मॉडल अपनाए जाने का निर्देश देते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को वन विभाग से प्रभावित जिलों में तत्काल नोडल अधिकारी तैनात करने के निर्देश दिये हैं ।
वनाग्नि की रोकथाम के संबंध में एक समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि शीतलाखेत के लोगों ने जंगलों और वन संपदा को आग से बचाने का संकल्प लेते हुए तय किया है कि वे पूरे सत्र में अपने खेतों में कूड़ा और कृषि अवशेष नहीं जलायेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि क्षेत्र में महिला मंगल दलों और युवक मंगल दलों ने 'जंगल बचाओ, पर्यावरण बचाओ' की शपथ ली है । उन्होंने कहा कि यही मॉडल प्रदेश में अन्य जगहों पर अपनाया जाना चाहिए ।
धामी ने प्रभावित जिलों में नोडल अधिकारी तैनात करने, आधुनिकतम तकनीक का इस्तेमाल करने, रिस्पांस टाइम कम करने तथा प्रभागीय वन अधिकारियों को क्षेत्र में लगातार भ्रमण करने के निर्देश दिए ।
उन्होंने चारधाम यात्रा के दौरान वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने के लिये भी कहा ।
उन्होंने अधिकारियों से वनाग्नि को रोकने के लिए एक अल्पकालिक और दूसरी अनुसंधान से जुड़े संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों के सहयोग से एक दीर्घकालिक योजना बनाने के लिये कहा ।
मुख्यमंत्री ने वन विभाग से राजस्व, पुलिस एवं अन्य संबंधित विभागों के साथ ही जन सहयोग लेने को भी कहा ।
प्रदेश में सोमवार को वनाग्नि की 36 घटनाएं दर्ज की गयीं जिनमें 54.8 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ तथा 1,75,200 करोड़ रू की अनुमानित आर्थिक क्षति हुई ।
उत्तराखंड के जंगलों में इस वर्ष अब तक 1880 आग लगने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं जिनमे 3010.54 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ है तथा 78,80,279 रू की आर्थिक क्षति हुई है । इन घटनाओं में एक व्यक्ति की मृत्यु हुई है तथा छह अन्य घायल हुए हैं ।
दीप्ति
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