नयी दिल्ली, नौ अक्टूबर सीरियाई शरणार्थी राफ्त अबमोहिमिद के अबोध बेटे पर जब पिछले महीने तेजाब से हमला किया गया तो वह अपने दूसरे बेटे को भी गंवाने के करीब पहुंच गया था। वह दो साल पहले बेंगलुरु में एक सड़क दुर्घटना में अपने एक बेटे की मौत पहले ही देख चुका है।
पश्चिम दिल्ली के विकासपुरी में 30 सितंबर को एक झगड़े के दौरान एक निवासी ने अबमोहिमिद और उनके 11 महीने के बेटे और एक सूडानी नागरिक पर तेजाब फेंक दिया था।
हालांकि, 28 साल के दोनों व्यक्तियों को एक ही दिन में अस्पताल से छुट्टी मिल गई, लेकिन बच्चे को बुधवार को ही छुट्टी मिल सकी क्योंकि उसकी छाती, गर्दन और आंखें 10 प्रतिशत जल गई थीं।
अबमोहिमिद का बड़ा बेटा एक साल 10 महीने का था जब वह एक बस के नीचे आ गया था।
सीरियाई नागरिक 2016 में छात्र वीजा पर भारत आया था और बेंगलुरु में अपनी सहपाठी पत्नी से मिला था। वह दो साल पहले अपनी थाईलैंड में जन्मी पत्नी और बेटे इब्राहिम के साथ दिल्ली आया था।
हाल ही में उसने अपनी कॉल सेंटर की नौकरी खो दी थी जिसके कारण उसके पास अपने परिवार का भरणपोषण करने के लिए कोई साधन नहीं था। इसके चलते उसने विकासपुरी में यूएनएचसीआर कार्यालय के बाहर एक फुटपाथ पर डेरा डाल दिया और अधिक स्थिर शरण के लिए अपनी याचिका की सुनवाई का इंतजार करने लगा।
अबमोहिमिद ने कहा कि वह चाहता है कि संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) उसे और उनके परिवार को रूस, कनाडा या नॉर्वे जैसे दूसरे देशों में बसाए।
उसके लिए 27 सितंबर को मुसीबत तब बढ़ गई जब सूडानी नागरिक नबील का एक स्थानीय निवासी से झगड़ा हो गया।
जब अबोहिमिद ने झगड़े को कैमरे में रिकॉर्ड करना शुरू किया तो स्थानीय व्यक्ति ने उसे ऐसा न करने की धमकी दी।
अबमोहिमिद ने कहा कि यूएनएचसीआर कार्यालय दो दिनों के लिए बंद था और जब 30 सितंबर को यह फिर से खुला, तो वह व्यक्ति कुछ अन्य लोगों के साथ उनके शिविर में आया और उस पर, उसके बेटे और नबील पर एक रसायनिक पदार्थ फेंक दिया।
अबमोहिमिद ने ‘पीटीआई-’ से कहा, ‘‘वे हमारा सामान बाहर फेंकना चाहते थे। स्थानीय लोगों को हमारे यूएनएचसीआर के पास फुटपाथ पर रहने से दिक्कत थी। मैंने उनसे कहा कि हम सड़क पर बैठे हैं, उनके घर में नहीं।’’
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