मुंबई, 11 जुलाई केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने भ्रष्टाचार के एक मामले में महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को स्वत:जमानत (डिफॉल्ट बेल) देने से सोमवार को इनकार कर दिया।
अदालत ने मामले के दो अन्य आरोपियों संजीव पलांदे (देशमुख के पूर्व सचिव) और कुंदन शिंदे (देशमुख के पूर्व निजी सहायक) की याचिकाएं भी खारिज कर दीं।
सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश एस. एच. ग्वालानी ने कहा, ‘‘ स्वत: जमानत की याचिका को खारिज किया जाता है।’’
देशमुख, पलांदे और शिंदे ने इस आधार पर स्वत: जमानत मांगी थी कि सीबीआई ने 60 दिनों की निर्धारित अवधि के भीतर अपना आरोपपत्र दाखिल नहीं किया था और जब आरोपपत्र दाखिल किया गया तो वह अधूरा था।
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 173 के तहत आरोपी की गिरफ्तारी के 60 दिनों के भीतर आरोपपत्र दायर किया जाना चाहिए। ऐसा ना किए जाने पर आरोपी व्यक्ति स्वत:जमानत मांग सकता है।
याचिकाओं में यह भी दावा किया गया कि सीबीआई ने संबंधित दस्तावेज भी आरोपपत्र के साथ नहीं सौंपे थे और जो दस्तावेज सौंपे भी गए वे निर्धारित अवधि के बाद दिए गए।
सीबीआई ने याचिकाओं का विरोध किया और कहा कि आरोपपत्र निर्धारित अवधि में दाखिल किए गए थे।
गौरतलब है कि मार्च 2021 में कारोबारी मुकेश अंबानी के आवास 'एंटीलिया’ के पास विस्फोटक लदा एक वाहन पाए जाने की घटना के बाद परमबीर सिंह को मुंबई के पुलिस आयुक्त पद से हटा दिया गया था। इसके पश्चात, उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे एक पत्र में देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा, भ्रष्टाचार और आधिकारिक पद के दुरुपयोग के आरोप में देशमुख के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किये जाने के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने देशमुख और उनके सहयोगियों के खिलाफ जांच शुरू की थी।
ईडी ने नवंबर 2021 में देशमुख को गिरफ्तार किया था और अभी वह न्यायिक हिरासत में हैं।
इसके बाद सीबीआई ने भ्रष्टाचार के एक मामले में उनको इस साल अप्रैल में गिरफ्तार किया था। वह इस मामले में भी न्यायिक हिरासत में हैं।
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