महाराष्ट्र: भिवंडी शहर में एक मस्जिद को COVID-19 केंद्र में किया गया तब्दील, निशुल्क ऑक्सीजन कराई गई उपलब्ध

ठाणे जिले के भिवंडी शहर में एक मस्जिद को अस्थायी कोविड-19 केंद्र में तब्दील कर दिया गया है, जहां मरीजों को निशुल्क ऑक्सीजन उपलब्ध कराई जा रही है. मस्जिद के प्रशासकों ने मानवीय रुख अपनाते हुए यह कदम उठाया. उन्होंने कहा कि यहां ज्यादातर लोग संक्रामक बीमारी को लेकर जागरूक नहीं हैं और इलाज का खर्च नहीं उठा सकते इसलिए इस तरह का केंद्र वक्त की जरूरत है.

कोरोना वायरस का प्रकोप/ प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: PTI)

मुंबई, 26 जून: ठाणे जिले के भिवंडी शहर में एक मस्जिद को अस्थायी कोविड-19 केंद्र में तब्दील कर दिया गया है, जहां मरीजों को निशुल्क ऑक्सीजन उपलब्ध कराई जा रही है. मस्जिद के प्रशासकों ने मानवीय रुख अपनाते हुए यह कदम उठाया. मस्जिद के संचालक जमात-ए-इस्लामी हिंद (Jamaat-e-Islami Hind) के स्थानीय चैप्टर, मूवमेंट फॉर पीस एंड जस्टिस तथा शांति नगर ट्रस्ट ने शांति नगर इलाके में मक्का मस्जिद को कोविड-19 (Covid-19) देखभाल केंद्र में बदल दिया.

जेआईएच के एक पदाधिकारी ने बताया कि इस अस्थायी केंद्र को सभी समुदायों के लिए खोला गया है. ऑक्सीजन सिलिंडरों से लैस पांच बिस्तरों के अलावा जेआईएच जरूरत पड़ने पर इन्हें मरीजों के घरों में भी मुहैया कराता है. एक विज्ञप्ति के अनुसार अभी तक भिवंडी-निजामपुर म्युनिसिपैलिटी में कोविड-19 के 1,332 से अधिक मामले आए हैं और 88 लोगों की मौत हो चुकी है.

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जेआईएच के भिवंडी चैप्टर के अध्यक्ष औसफ अहमद फलाही ने बताया, "भिवंडी-निजामपुर इस महामारी से सबसे अधिक प्रभावित है क्योंकि यह भीड़भाड़ वाला शहर है. यहां स्वास्थ्य की पर्याप्त बुनियादी सुविधाएं भी नहीं हैं. महामारी के दौरान हालात और बिगड़ गए हैं क्योंकि सामान्य चिकित्सकों ने विषाणु फैलने के डर से अपने क्लिनिक बंद कर दिए हैं."

उन्होंने कहा कि यहां ज्यादातर लोग संक्रामक बीमारी को लेकर जागरूक नहीं हैं और इलाज का खर्च नहीं उठा सकते इसलिए इस तरह का केंद्र वक्त की जरूरत है. फलाही ने बताया कि इस केंद्र से 70 से अधिक लोगों को फायदा पहुंचा है. केंद्र में दो डॉक्टर हैं जबकि कोरोना वायरस के आठ मरीजों के घरों में 15 ऑक्सीजन सिलेंडर भेजे गए हैं.

उन्होंने बताया कि विभिन्न धर्म के लोग मस्जिद में इलाज करा रहे हैं. शांति नगर ट्रस्ट के कैसर मिर्जा ने कहा, ‘‘लॉकडाउन के बाद से ही मक्का मस्जिद को नमाज के लिए बंद कर दिया गया. इसलिए हमने उन लोगों की मदद करने के लिए मस्जिद के एक हिस्से का इस्तेमाल करने का फैसला किया जो कहीं ओर इलाज नहीं करा सकते.’’

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