Himachal Pradesh: बलात्कार और हत्या मामले में दोषी को आजीवन कारावास की सजा
चर्चित गुडिया दुष्कर्म-हत्या के मामले में अदालत ने शुक्रवार को दोषी को मृत्यु पर्यंत आजीवन कारावास की सजा सुनाई. शिमला की एक अदालत ने इस मामले में लकड़हारे अनिल कुमार उर्फ नीलू (28) पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया.
शिमला, 18 जून: चर्चित गुडिया दुष्कर्म-हत्या के मामले में अदालत ने शुक्रवार को दोषी को मृत्यु पर्यंत आजीवन कारावास की सजा सुनाई. शिमला की एक अदालत ने इस मामले में लकड़हारे अनिल कुमार उर्फ नीलू (28) पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया. विशेष न्यायाधीश राजीव भारद्वाज ने दोषी की मौजूदगी में यह आदेश सुनाया. अदालत ने इससे पहले 28 अप्रैल को 16 वर्षीय स्कूली छात्रा के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में अनिल को दोषी ठहराया था. UP: डेट पर बुलाकर छात्रा के साथ उसके प्रेमी और दोस्तों ने की गैंगरेप की कोशिश, नाकाम होने पर 24 बार मारा चाकू, हुई मौत.
गौरतलब है कि चार जुलाई, 2017 को शिमला के कोटखाई में जंगल के इलाके में बलात्कार के बाद छात्रा की हत्या उस वक्त कर दी गई थी. छात्रा स्कूल से घर जा रही थी. इस मामले में कई नाटकीय मोड़ आए, जिसमें अपराध करने के संदेह में एक व्यक्ति की हिरासत में मौत और इस संबंध में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की गिरफ्तारी शामिल है.
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने तब मामले की कमान संभाली और तीन साल पहले अनिल कुमार को गिरफ्तार किया. विशेष न्यायाधीश भारद्वाज ने 28 अप्रैल को अनिल कुमार को बलात्कार और हत्या से संबंधित भारतीय दंड संहिता की धाराओं के साथ-साथ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के तहत दोषी ठहराया था.
न्यायाधीश ने कहा कि सीबीआई द्वारा पेश किए गए सबूतों के 14 महत्वपूर्ण बिंदुओं में से 12 दोषी के खिलाफ गए. उन्होंने कहा कि उनमें से सबसे महत्वपूर्ण था, उसके डीएनए का अपराध स्थल पर मिले नमूनों से मिलान करना.
किशोरी के लापता होने के दो दिन बाद उसका शव जंगल में मिला था. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बलात्कार और हत्या की बात सामने आई थी. कुछ दिनों बाद, राज्य पुलिस ने महानिरीक्षक जेड जहूर जैदी की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल का गठन किया.
पुलिस ने 13 जुलाई को छह लोगों को गिरफ्तार किया था. उनमें से एक सूरज की 19 जुलाई को पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी. जनता के आक्रोश के बीच हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने मामला सीबीआई को सौंप दिया, जिसने हिरासत में मौत के आरोप में आईजीपी सहित नौ पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया. सूरज के साथ गिरफ्तार किए गए पांच लोगों के खिलाफ कार्रवाई सबूतों के अभाव में रद्द कर दी गई.
पुलिस अधिकारियों के खिलाफ हिरासत में मौत के मामले को बाद में चंडीगढ़ स्थानांतरित कर दिया गया, जहां इस पर सुनवाई चल रही है. अनिल कुमार को अप्रैल, 2018 में डीएनए साक्ष्य के आधार पर गिरफ्तार किया गया था.
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