प्लाज्मा थेरेपी के लिए रक्तदान करने वालों को मनाना एक चुनौती: अधिकारी
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने प्रायोगिक आधार पर मुंबई में कोविड-19 मरीजों का उपचार प्लाज्मा थेरेपी से करने की अनुमति दे दी है लेकिन प्लाज्मा के लिए रक्तदान करने वालों को मनाना बड़ी चुनौती है.
मुंबई: भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने प्रायोगिक आधार पर मुंबई में कोविड-19 मरीजों का उपचार प्लाज्मा थेरेपी से करने की अनुमति दे दी है लेकिन प्लाज्मा के लिए रक्तदान करने वालों को मनाना बड़ी चुनौती है. अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को कहा कि खून से प्लाज्मा निकालना, इसकी जांच करना और फिर मरीज में इसे चढ़ाना एक जटिल प्रक्रिया है और यह उतना आसान नहीं है, जितना सुनने में लगता है.
महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ महामारी विशेषज्ञ ने कहा , ‘‘इस थेरेपी में संक्रमण से ठीक हुए मरीजों के रक्त से प्लाज्मा निकालना पड़़ता है. ऐसे लोगों में एंटीबॉडीज की अच्छी मात्रा होने की संभावना रहती है. प्लाज्मा लेकर संक्रमित मरीज में इसे चढ़ाना होता है .’’ उन्होंने कहा कि प्लाज्मा की खुराक के साथ ही जारी दवाओं के कारण मरीज में प्रतिरोधकता बनने लगती है और वह संक्रमण से तेजी से ठीक हो जाता है.
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बृहन्मुंबई महानगरपालिका के एक अधिकारी ने बताया कि मंगलवार तक केवल कुछ ही लोग थेरेपी के वास्ते रक्तदान करने के लिए आगे आए, जबकि संक्रमण से ठीक होने के बाद शहर में करीब 500 लोगों को छुट्टी मिल चुकी है. उन्होंने कहा, ‘‘हमें उनको समझाना होगा कि संक्रमित लोगों की मदद के लिए वे आगे आएं.
ठीक होने पर छुट्टी मिलने के बाद से लोगों को 14 दिन के लिए घर पर पृथक-वास में रहना होता है. इसलिए उनके रक्त का नमूना लेने में परेशानी है.’’ महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने बुधवार को कहा कि प्रायोगिक आधार पर मुंबई में कोविड-19 के मरीजों का प्लाज्मा थेरेपी से उपचार करने के लिए राज्य को आईसीएमआर से अनुमति मिल गयी है.
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