नयी दिल्ली, चार जनवरी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि भारत में कालाजार के मामलों में 2007 से 98.7 प्रतिशत की गिरावट आयी है। मंत्रालय के अनुसार 2007 में देश में कालाजार के 44,533 मामले सामने आये थे जबकि 2022 में इसके मात्र 834 मामले सामने आये।
इसमें कहा गया है कि भारत 2023 तक कालाजार को देश से खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है।
बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल के चार राज्यों में कालाजार रोग की स्थिति की समीक्षा करने के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करने वाले स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि 632 (99.8 प्रतिशत) स्थानिक ब्लॉक पहले ही उन्मूलन दर्जा (प्रति 10,000 में एक से कम मामले) हासिल कर चुके हैं।
पाकुड़ जिला, झारखंड का केवल एक ब्लॉक (लिट्टीपारा) स्थानिक श्रेणी (1.23 मामले प्रति 10,000 जनसंख्या) में है। उन्होंने कहा, ‘‘हम झारखंड में उन्मूलन हासिल करने के लिए राज्य सरकार और अन्य हितधारकों के साथ समग्र रूप से काम कर रहे हैं।’’
मलेरिया के बाद कालाजार को दुनिया का दूसरा सबसे घातक रोग माना जाता है।
मांडविया ने उन्मूलन लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में राज्य सरकारों के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा, ‘‘ प्रधानमंत्री के नेतृत्व में, सभी नागरिकों के लिए स्वास्थ्य सुनिश्चित करना हमारा लक्ष्य है।’’
सरकार ने 2023 तक कालाजार के उन्मूलन की दिशा में कई कदम उठाए हैं।
मांडविया ने कहा कि प्रधानमंत्री-आवास योजना के माध्यम से पक्के घर, ग्रामीण विद्युतीकरण, समय पर जांच, उपचार और समय-समय पर उच्च स्तरीय समीक्षा से लेकर पुरस्कार वितरण के माध्यम से प्रोत्साहन देने जैसे कदमों से सरकार अपने हितधारकों के साथ मिलकर इस बीमारी का जल्द पता लगाने के लिए एक मजबूत तंत्र सुनिश्चित कर रही है।
केंद्र उपचाराधीन मामलों का पता लगाने, निगरानी, इलाज और डायग्नोस्टिक किट, दवाओं, स्प्रे आदि की आपूर्ति में राज्यों की मदद कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि यह सराहनीय है कि स्थानिक स्थिति वाले राज्य लक्ष्यों को चिन्हित कर कार्रवाई कर रहे हैं और कुछ राज्यों ने अपने जिलों में बीमारी को समाप्त कर दिया है। इस लाभ को बनाए रखना और यह सुनिश्चित करने की दिशा में काम करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि मामलों की संख्या प्रति 10,000 की आबादी पर एक से नीचे से नीचे रहें।’’
उन्होंने स्थानिक राज्यों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि उच्च जोखिम वाले ब्लॉकों में नियमित समीक्षा हो।
कालाजार चार राज्यों बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के 54 जिलों के 633 ब्लॉकों में स्थानिक था।
वर्तमान में, कालाजार के 90 प्रतिशत से अधिक मामले बिहार और झारखंड में सामने आते हैं। उत्तर प्रदेश (2019) और पश्चिम बंगाल (2017) राज्यों ने ब्लॉक स्तर पर अपने उन्मूलन लक्ष्यों को प्राप्त कर लिया है।
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