नयी दिल्ली, तीन फरवरी केंद्र ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि पराली जलाने से रोकने के लिए केंद्र सरकार से कुल कोष का 46 प्रतिशत हिस्सा मिलने के बावजूद पंजाब में 2020 में पराली जलाने की घटनाओं में 44.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
पर्यावरण और वन मंत्रालय ने एक हलफनामे में सूचित किया है कि पंजाब में 2020 में पराली जलाने की 76,590 घटनाएं हुई जबकि 2019 में इस तरह के 52,991 मामले आए थे। इससे पता चलता है कि पराली जलाने की घटनाओं में 44.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
हलफनामे में कहा गया कि हरियाणा में पिछले साल पराली जलाने की 5,000 घटनाएं हुई जबकि 2019 में 6652 मामले आए थे, इससे संकेत मिलता है कि मामलों में 25 प्रतिशत की कमी हुई।
मंत्रालय ने कहा कि वायु प्रदूषण की समस्या के समाधान और फसल अवशेष के प्रबंधन के लिए रियायती मशीनों को लेकर कृषि सहयोग और किसान कल्याण विभाग ने पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश और दिल्ली में 2018-19 से 2020-21 की अवधि में केंद्र की एक योजना को लागू किया। इस योजना के लिए शत-प्रतिशत कोष केंद्र ने दिया।
केंद्र ने कुल 1726.67 करोड़ रुपये आवंटित किया। इनमें से पंजाब को 793.18 करोड़ रुपये, हरियाणा को 499.90 करोड़ रुपये, उत्तर प्रदेश को 374.08 करोड़ रुपये, दिल्ली को 4.52 करोड़ रुपये और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद तथा अन्य केंद्रीय एजेंसियों को 54.99 करोड़ रुपये आवंटित किए गए।
शीर्ष अदालत को अवगत कराया गया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के इलाके में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए एक आयोग की स्थापना को लेकर एक अध्यादेश को लागू किया गया।
मंत्रालय ने न्यायालय को बताया कि आयोग ने सल्फर ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और अन्य प्रदूषणकारी सूक्ष्म तत्वों को नियंत्रित करने के लिए एनसीआर और आसपास के इलाके में स्थित सभी ताप बिजली संयंत्रों से फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन (एफजीडी) प्रणाली लगाने और अन्य व्यवस्था का कड़ाई से पालन करने को कहा है।
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