2024 में भारत में दर्ज हुए कुत्तों के काटने के 22 लाख मामले
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

केंद्र सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार पिछले साल भारत में कुत्तों के काटने के 21,95,122 मामले सामने आए. इसमें 5 लाख बच्चे शामिल थे, जिनकी उम्र 15 साल से कम थी.भारत में 2024 में कुत्तों के काटने के लगभग 22 लाख और दूसरे जानवरों के काटने के 5 लाख मामले सामने आए हैं. केंद्र सरकार की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार इन मामलों की वजह से कुल 48 लोगों की मौत हुई. भारत सरकार के पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने यह जानकारी दी है. जनवरी 2024 से दिसंबर 2024 के इन आंकड़ों के अनुसार शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में जानवरों के काटने के मामले बड़े पैमाने पर सामने आए हैं.

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5 लाख बच्चे हुए शिकार

देश भर में कुत्तों के अलावा अन्य जानवरों के काटने के मामलों की कुल संख्या लगभग 27 लाख है और इसमें लगभग 20 फीसदी पीड़ित बच्चे हैं. जानकारी के अनुसार देश भर में जानवरों के 15 साल से कम उम्र के बच्चों को काटने के 5 लाख मामले सामने आए हैं. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत एकीकृत स्वास्थ्य सूचना मंच पोर्टल पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा कुत्तों के काटने के कुल 21,95,122 मामले और बंदरों सहित दूसरे जानवरों के काटने के 5,04,728 मामले दर्ज किए गए.

मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह ने लोकसभा में दिए अपने लिखित जवाब में बताया कि आवारा पशुओं का मुद्दा संबंधित राज्य सरकारों के दायरे में आता है और इसलिए इन घटनाओं से निपटने की जिम्मेदारी स्थानीय निकायों की है.

किसकी जिम्मेदारी

जानवरों के हमले रोकने के लिए भारत सरकार के कई मंत्रालय मिलकर काम कर रहे हैं. इनमें पशुपालन और डेयरी, आवास और शहरी, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय शामिल हैं. पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए नए नियम भी बनाए हैं. वहीं आवास और शहरी विकास मंत्रालय की तरफ से जुलाई 2024 में सभी राज्यों को बच्चों पर आवारा कुत्तों के हमले रोकने के लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सिफारिशें लागू करने के लिए एक एडवाइजरी भी जारी की गई थी. 2023 में हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि कुत्तों के काटने पर पीड़ित को मुआवजा मिलेगा.

रेबीज का खतरा

12वीं पंचवर्षीय योजना के अनुसार, भारत ने 2030 तक रेबीज मुक्त होने का लक्ष्य तय किया है. 2021 में कुत्तों के काटने से होने वाले रेबीज से निपटने के लिए एक राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीआरई) शुरू की गई थी. लेकिन इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी, चेन्नई की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल करीब 5,700 से ज्यादा लोगों की मौत रेबीज से होती है. 2023 में गोवा ने दावा किया था कि उसके यहां रेबीज पूरी तरह खत्म हो गया है.

दुनिया भर में कुत्तों के काटने से होने वाली मौतों को एकदम खत्म करने के लक्ष्य के साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन और उसके सहयोगियों ने "जीरो बाई 30" की शुरुआत की थी. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (ओआईई), संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) और रेबीज नियंत्रण के लिए वैश्विक गठबंधन युनाइटेड अगेंस्ट रेबीज (जीएआरसी) इसके लिए मिलकर काम कर रहे हैं.

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