लखनऊ, 30 अगस्त व्यापक वर्षा और बांधों से पानी छोड़े जाने के कारण उत्तर प्रदेश के 22 जिले बाढ़ की चपेट में हैं और हजारों हेक्टेयर फसल प्रभावित हुई है। वाराणसी में घाट पानी में डूब जाने के कारण शवों के दाह संस्कार में काफी मुश्किलें आ रही हैं। बलिया में बाढ़ के पानी में डूबने से एक व्यक्ति की मौत हो गई है।
राहत आयुक्त कार्यालय से मिली रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में वर्तमान समय में 22 जिलों के 1079 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं और उनमें से 153 का संपर्क बाकी क्षेत्रों से पूरी तरह कट गया है। इसके अनुसार बाढ़ से कुल 244279 लोग प्रभावित हुए हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के बाढ़ प्रभावित जिलों में 347 राहत शिविर बनाए गए हैं जहां लगभग 21000 लोगों को रखा गया है। राहत और बचाव कार्यों के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की कुल 26 टीमें तैनात की गई हैं। प्रभावित इलाकों में खाद्य सामग्री के पैकेट वितरित किए जा रहे हैं।
वाराणसी से प्राप्त जानकारी के मुताबिक गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है जिससे तटवर्ती इलाकों के हजारों लोगों का जीवन प्रभावित हुआ है। मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर बाढ़ की वजह से शवों के दाह संस्कार में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
मणिकर्णिका घाट में शवदाह के निचले प्लेटफार्म बाढ़ के पानी में डूब चुके हैं लिहाजा छत पर शव जलाए जा रहे हैं। वहीं, हरिश्चंद्र घाट की गलियों में शवदाह किया जा रहा है। शवों के दाह संस्कार के लिए लोगों को चार से पांच घंटे का इंतजार करना पड़ रहा है।
वाराणसी में कुल 115 गांवों के 28499 लोग बाढ़ से प्रभावित हैं। जिले में बाढ़ से 608.572 हेक्टेयर फसल भी प्रभावित हुई है। बलिया जिले में गंगा नदी के जल स्तर में वृद्धि के कारण 27 गांवों की आबादी प्रभावित हुई है।
आपदा प्रबंधन विभाग के प्रभारी पीयूष सिंह के मुताबिक बाढ़ से बचाव के लिए तटवर्ती इलाकों के लोगों ने बांध पर शरण ली है। उन्होंने बताया कि बाढ़ के पानी में डूबने से दो कटी थाना क्षेत्र के दलन छपरा गांव में एक व्यक्ति की मौत हो गई है। उन्होंने बताया कि मृतक के परिजन को चार लाख रुपये की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई गई है।
मिर्जापुर से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार गंगा नदी का जलस्तर सोमवार रात खतरे के निशान को पार कर गया। हालांकि अब उसका जलस्तर एक सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से कम हो रहा है। जिले में 103 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं, जिनमें से 13 गांवों में आबादी और फसल दोनों ही प्रभावित हुई है।
हमीरपुर से मिली रिपोर्ट के मुताबिक बांधों से लगातार पानी छोड़े जाने के कारण नदी के किनारे बसे गांवों की स्थिति अब भी सामान्य नहीं हो पाई है। हमीरपुर, मौदहा और सरीला क्षेत्रों में 2300 हेक्टेयर से ज्यादा फसल पानी में डूब गई है और कई गांवों का संपर्क पूरी तरह से कट गया है।
सहारनपुर से अपर पुलिस अधीक्षक सूरज राय के हवाले से मिली रिपोर्ट के मुताबिक शिवालिक की पहाड़ियों पर हो रही तेज बारिश के कारण जिले में सोमवार देर शाम मां शाकंभरी देवी मंदिर क्षेत्र में अचानक बाढ़ आ जाने से अफरा-तफरी मच गई। पानी का बहाव इतना तेज था कि एक बस और श्रद्धालुओं की कई गाड़ियां बहती चली गईं और कई तीर्थयात्री बाढ़ में फंस गए।
राय ने बताया कि बाढ़ के पानी में फंसे कई श्रद्धालुओं को बाहर निकाला गया और सभी वाहनों को भी रस्से लगाकर किसी तरह किनारे पर लाया गया।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)