नयी दिल्ली, दो मई उच्चतम न्यायालय ने 2020 उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगा मामले में तीन छात्र कार्यकर्ताओं को जमानत दिए जाने के उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दिल्ली पुलिस की ओर से दायर याचिकाओं को मंगलवार को खारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति ए अमानुल्ला की पीठ ने दिल्ली पुलिस की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए उन्हें खारिज कर दिया। दिल्ली पुलिस ने अपनी याचिकाओं में संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुई सांप्रदायिक हिंसा मामले में छात्र कार्यकर्ता नताशा नरवाल, देवांगना कालिता और आसिफ इकबाल तन्हा को जमानत दिए जाने के दिल्ली उच्च न्यायालय के 15 जून 2021 के फैसलों को चुनौती दी थी।
पीठ ने कहा, ‘‘विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है।’’
इस मामले में जुलाई 2021 को हुई सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने तीन कार्यकर्ताओं को दी गई जमानत रद्द करके के पहलू पर गौर करने के प्रति अनिच्छा व्यक्त की थी। इन लोगों के खिलाफ कड़े आतंक रोधी कानून तथा गैर कानूनी गतिविधि(रोकथाम) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था।
इससे पहले पुलिस ने अपनी दलील में कहा था कि दंगों में 53 लोग मारे गए और 700 से अधिक लोग घायल हुए थे।
ये दंगे तब हुए थे जब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रीय राजधानी में थे।
पुलिस ने उच्च न्यायालय के फैसले के विरोध में कहा था कि उच्च न्यायालय की व्याख्या आतंकी मामलों में अभियोजन को कमजोर करेगी।
गौरतलब है कि उच्च न्यायालय ने आरोपियों को जमानत देने हुए कहा था कि असहमति को दबाने की जल्दबाजी में राज्य ने प्रदर्शन के अधिकार तथा आतंकी गतिविधि के बीच की रेखा को धुंधला कर दिया और अगर इस प्रकार की मानसिकता को बल मिलता है तो ‘‘यह लोकतंत्र के लिए दुखद दिन होगा।’’
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