देश में घट रहा 2000 रुपये के नोट का चलन, तीन वर्ष से प्रिंटिंग भी बंद, सरकार ने पेश किए आकड़े

इस साल नवंबर में बाजार प्रचलन वाले 2,000 रुपये के नोटों की संख्या घटकर 223.3 करोड़ नोट या कुल नोटों (एनआईसी) का 1.75 प्रतिशत रह गई, जबकि यह संख्या मार्च 2018 में 336.3 करोड़ थी.

रुपया (Photo Credits: Pixabay)

नई दिल्ली: इस साल नवंबर में बाजार प्रचलन वाले 2,000 रुपये के नोटों की संख्या घटकर 223.3 करोड़ नोट या कुल नोटों (एनआईसी) का 1.75 प्रतिशत रह गई, जबकि यह संख्या मार्च 2018 में 336.3 करोड़ थी. वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि विशेष मूल्यवर्ग के बैंक नोटों की छपाई का निर्णय सरकार द्वारा रिजर्व बैंक के परामर्श से जनता की लेनदेन संबंधी मांग को सुविधाजनक बनाने के लिए वांछित मूल्यवर्ग के नोटों की उपलब्धता को बनाए रखने के लिए किया जाता है.

उन्होंने कहा, ‘‘31 मार्च, 2018 को 2,000 रुपये मूल्यवर्ग के 336.3 करोड़ नोट (एमपीसी) परिचालन में थे जो मात्रा और मूल्य के मामले में एनआईसी का क्रमशः 3.27 प्रतिशत और 37.26 प्रतिशत है. इसके मुकाबले 26 नवंबर, 2021 को 2,233 एमपीसी प्रचालन में थे, जो मात्रा और मूल्य के संदर्भ में एनआईसी का क्रमश: 1.75 प्रतिशत और 15.11 प्रतिशत है.’’

चौधरी ने आगे कहा कि वर्ष 2018-19 से नोट के लिए करेंसी प्रिंटिंग प्रेस के पास कोई नया मांगपत्र नहीं रखा गया है. Fact Check: 500 रुपये के असली नोट की पहचान को लेकर किया जा रहा है यह दावा, जानें क्या कहता है RBI

उन्होंने कहा, ‘‘नोटबंदी के बाद जारी किए गए 2,000 रुपये के नोट के प्रचलन में कमी इसलिए है क्योंकि वर्ष 2018-19 से इन नोटों की छपाई के लिए कोई नया मांगपत्र नहीं रखा गया है. इसके अलावा, नोट भी खराब हो जाते हैं क्योंकि वे गंदे / कटे-फटे हो जाते हैं.’’

Share Now

\