एक समय भेड़िये यूरोप में खत्म होने की कगार पर थे. संरक्षित दर्जा देकर उन्हें बचाया गया. अब उनका संरक्षण घटाया जा रहा है. पशु अधिकार संगठनों का आरोप है कि यह फैसला राजनीति से प्रेरित है.यूरोपीय संघ (ईयू) ने भेड़ियों को दिए गए संरक्षण का स्तर घटाने का फैसला लिया है. 25 सितंबर को ईयू के सदस्य देशों ने इससे संबंधित एक प्रस्ताव पास किया, जिसके अंतर्गत अब भेड़िये "सख्ती से संरक्षित" की जगह केवल "संरक्षित" जीव माने जाएंगे. यह प्रस्ताव यूरोपीय आयोग की ओर से पेश किया गया था.
भेड़िये इंसानों के लिए खतरा हैं या इको सिस्टम के रक्षक
समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, 27 सदस्य देशों में से केवल दो देशों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया. जर्मनी ने भी प्रस्ताव के समर्थन में वोट डाला है. जर्मन पर्यावरण मंत्री श्टेफी लिम्के ने भेड़ियों की बढ़ती संख्या को इसका कारण बताते हुए कहा कि "प्रकृति के संरक्षण के नजरिये से यह उचित है और मवेशीपालन करने वाले किसानों के नजरिये से जरूरी है."
यूरोप में बढ़ी है भेड़ियों की संख्या
ग्रे वूल्फ्स, या सलेटी भेड़िये एक सदी पहले तक यूरोप में तकरीबन विलुप्त हो चुके थे. इन्हें बचाने के लिए व्यापक स्तर पर संरक्षण के प्रयास किए गए. इसी क्रम में साल 1979 में स्विट्जरलैंड में हुए बैर्न सम्मेलन में भेड़ियों को "स्ट्रिटक्टली प्रोटेक्टेड" की श्रेणी दी गई. इसमें ईयू भी एक पार्टी है. इस संरक्षित दर्जे के तहत जानमाल पर सीधे खतरे जैसी कुछ खास स्थितियों को छोड़ दें, तो भेड़ियों का शिकार या उन्हें जानबूझकर मारना गैरकानूनी था.
हालिया दशकों में उनकी आबादी में काफी सुधार हुआ. साल 2023 के आंकड़ों के मुताबिक, ईयू के करीब 23 देशों में सलेटी भेड़ियों के झुंड हैं. इनकी अनुमानित आबादी करीब 20,300 है. सिमटते प्राकृतिक संसाधनों के कारण हालिया दशकों में मानव और वन्यजीवों के बीच संघर्ष की घटनाएं बढ़ी हैं. कमोबेश पूरी दुनिया में यह संघर्ष बढ़ रहा है.
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बीते दिनों भारत में उत्तर प्रदेश के बहराइच समेत कई जिलों से भेड़ियों के इंसानों पर हमले सुर्खियों में रहे. ईयू में भी भेड़ियों द्वारा मवेशियों पर हमले की घटनाएं भी होती रही हैं. इसके कारण कई यूरोपीय देशों में किसान भेड़ियों के संरक्षण से नाराजगी जताते रहे हैं. इस साल जर्मनी समेत कई यूरोपीय देशों में किसानों ने बड़े स्तर पर प्रदर्शन किया. ब्लॉक के पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण कानून भी विरोध के निशाने पर थे.
उर्सुला फॉन डेय लाएन की क्या भूमिका?
पिछले साल यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला फॉन डेय लाएन ने भेड़ियों के संरक्षण में बदलाव की योजना सामने रखी थी. उन्होंने कहा, "कुछ यूरोपीय इलाकों में भेड़ियों के झुंड का जुटान सच में खतरा बन गया है, खासतौर पर मवेशियों के लिए." मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, भेड़ियों के खिलाफ कथित मुहिम में लाएन ने बड़ी भूमिका निभाई है.
कई टिप्पणीकार और आलोचक इसे लाएन के लिए "निजी मुद्दा" बताते हैं. कई मीडिया रिपोर्टों में इससे जुड़ी एक घटना का ब्योरा मिलता है कि सितंबर 2022 में एक ग्रे वूल्फ ने जर्मनी के लोअर सैक्सनी राज्य में एक अस्तबल पर हमला किया और डॉली नाम की एक चेस्टनट पोनी को मार डाला. 30 साल की यह पोनी, लाएन परिवार की पालतू थी.
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ब्रिटिश अखबार "गार्डियन" ने अपनी एक खबर में इस घटना पर लिखा, "भेड़िये की बदकिस्मती, और शायद पश्चिमी यूरोप में भेड़ियों की समूची जनसंख्या का दुर्भाग्य कि डॉली ईयू के सबसे ताकतवर लोगों में से एक, यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला फॉन डेय लाएन के परिवार की एक दुलारी पालतू जीव थी."
इस घटना के ठीक एक साल बाद सितंबर 2023 में यूरोपीय आयोग ने भेड़ियों के कानूनी संरक्षण का स्तर घटाने की योजना का एलान किया. गार्डियन लिखता है कि "लाएन ने एक योजना की घोषणा की, जो कुछ भेड़िया संरक्षकों को बदले की तरह लग रहा है." पॉलिटिको मैगजीन ने भी भेड़ियों के संरक्षण का दर्जा घटाने के ताजा फैसले से जुड़ी खबर में लिखा है, "उर्सुला फॉन डेय लाएन का भेड़ियों के खिलाफ क्रूसेड."
पर्यावरण संरक्षकों ने विरोध किया, किसानों ने किया स्वागत
25 सितंबर को हुई वोटिंग के बाद अब सदस्य देशों के पर्यावरण मंत्रियों की ओर से आधिकारिक तौर पर इस प्रस्ताव को स्वीकार किया जाएगा. इसके बाद दिसंबर में प्रस्तावित एक बैठक में ईयू, बैर्न सम्मेलन के प्रस्ताव में बदलाव की पेशकश करेगा. इस कानून पर ईयू समेत कुल 50 देशों ने दस्तखत किया था. कानून में बदलाव के लिए दो-तिहाई बहुमत की जरूरत होगी. अगर जरूरी मत मिल जाता है, तो यूरोपीय आयोग ईयू के संबंधित कानून में संशोधन कर पाएगा.
यूरोप में किसानों के एक समूह कोपा-कोगेका ने ईयू के ताजा फैसले का स्वागत किया. समूह ने इसे "भेड़ियों की जनसंख्या के प्रबंधन और सुव्यवस्थित सह-जीवन की दिशा में बड़ा कदम" बताया. ब्रसेल्स स्थित शिकार समर्थक समूह "फेडरेशन ऑफ एसोसिएशन्स फॉर हंटिंग एंड कंजरवेशन ऑफ दी ईयू" ने इसे "चौतरफा जीत" बताया. वहीं, पशु अधिकार कार्यकर्ताओं को डर है कि भेड़ियों का प्रोटेक्शन स्टेटस घटाए जाने से बड़ी संख्या में उनके शिकार हो सकता है.
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पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण से जुड़े 300 से ज्यादा संगठनों ने ईयू के इस फैसले का विरोध किया है. इन संगठनों ने एक पत्र जारी कर कहा कि शिकार, फार्म के जानवरों की सुरक्षा के लिए उठाए जाने वाले एहतियातों की जगह नहीं ले सकता. उनकी दलील है कि बाड़ लगाने जैसे उपायों से मवेशियों की सुरक्षा की जा सकती है. अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण संगठन 'वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फाउंडेशन' (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) की वरिष्ठ पॉलिसी ऑफिसर साबिन लेमॉस ने एएफपी से बातचीत में कहा, "हम इस प्रस्ताव को राजनीति से प्रेरित पाते हैं. यह विज्ञान पर बिल्कुल भी आधारित नहीं है."
क्या सच में बड़ा खतरा बन गए हैं भेड़िये?
2023 में आई ईयू की एक रिपोर्ट में पाया गया था कि भेड़ियों के मवेशियों पर असर को देखें, तो यह "बहुत कम" है. समूचे ब्लॉक में करीब छह करोड़ भेड़ें हैं. सालभर में भेड़ियों के हमलों में मारी जाने वाली भेड़ों की तादाद 0.065 फीसदी बताई गई. भेड़ियों से होने वाले नुकसान के एवज में हुए मुआवजे का सालाना भुगतान 1.8 करोड़ यूरो के करीब पाया गया. एएफपी के मुताबिक, इस रिपोर्ट में कभी-कभार घोड़ों और कुत्तों समेत अन्य जानवरों पर हमले की घटनाओं का भी जिक्र है, लेकिन पिछले 40 साल के दौरान यूरोप में भेड़ियों के इंसानों पर जानलेवा हमला करने की एक भी घटना नहीं दर्ज हुई है.
कई आलोचकों का कहना है कि जब हम पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण की बात करते हैं, तो आमतौर पर कुछ प्रजातियां ज्यादा तवज्जो पाती हैं. इनमें बाघ, शेर, गैंडा जैसे जीव हैं. कई विशेषज्ञों के मुताबिक, भेड़िया ऐसे जीवों में है जिन्हें संरक्षित किए जाने का बहुत आग्रह नहीं दिखता. जबकि यह बहुत अहम प्रजाति है. इनके जैसे शिकारी जीव ईकोसिस्टम के संतुलन में भूमिका निभाते हैं.
एसमए/आरपी (एपी, एएफपी)