आर्थिक मंदी के दौर में चीन-यूरोपीय संघ के समझौते से दुनिया को क्या हासिल होगा?
चीन और यूरोपियन संघ (Photo Credits: Wikimedia Commons)

आजकल पूरी दुनिया कोरोना महामारी की चपेट में है और इसका खामियाजा विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाओं को भुगतना पड़ रहा है. इस मुश्किल दौर में भी चीन (China) सकारात्मक वृद्धि हासिल करने में सफल रहा है. हाल के महीनों में चीन ने ग्लोबल इकॉनमी को आगे बढ़ाने की दिशा में सक्रियता दिखाई है. जिसमें चीन, आसियान व कुछ अन्य देशों के बीच संपन्न आरसीईपी समझौता हो या फिर यूरोपीय संघ के साथ हुआ समझौता. चीन की दूरदर्शिता और त्वरित कदमों से विश्व अर्थव्यवस्था के लिए उम्मीद की किरण जगी है. यह आने वाले दिनों में विश्व को वैश्वीकरण की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित भी करेगा. चीन-ईयू (European Union) समझौते की बात करें तो साल 2021 को एक अच्छी शुरूआत मिली है. क्योंकि चीन न केवल दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, बल्कि वैश्विक ग्रोथ में योगदान देने वाली प्रमुख आर्थिक इकाई भी है. इस समझौते के तहत चीन और यूरोपीय संघ एक-दूसरे के सौ भौगौलिक संकेतों (जीआई) का संरक्षण करने पर सहमत हुए हैं.

आर्थिक मंदी के इस माहौल में चीन और यूरोपीय संघ द्वारा समझौते पर दस्तखत करने से जाहिर होता है कि दोनों पक्षों के बीच भरोसा कायम है. इस समझौते से दोनों को निश्चित तौर पर लाभ मिलेगा. क्योंकि इसमें कई ऐसे उत्पाद शामिल किए गए हैं, जिन्हें तरजीह दी जाएगी. बात स्पेन की शराब की हो या फ्रांस की शैंपेन की, जर्मन बीयर या फिर चीन के बीन पेस्ट व चीनी चाय की. जाहिर है इससे दोनों पक्षों के बाजार में ये चीजें निर्बाध रूप से प्रवेश कर सकेंगी. जो इन उत्पादों की वैश्विक पहुंच को और मजबूत करेगी. जानकार मानते हैं कि इस अहम समझौते से दोनों को व्यापारिक लाभ तो मिलेगा ही, साथ ही गुणवत्ता वाले उत्पाद भी उपभोक्ताओं को आसानी से हासिल होंगे. यह समझौता चीन द्वारा खुलेपन के द्वार को और चौड़ा करने के वादे से भी मेल खाता है. माना जा रहा है कि इस एग्रीमेंट से द्विपक्षीय व्यापार एक नए स्तर पर पहुंचेगा. यह भी पढ़े: चीन और भारत की तनातनी को लेकर राहुल गांधी ने साधा प्रधानमंत्री पर निशाना, बोले- नरेंद्र मोदी वास्तव में हैं Surender Modi

समझौते के कार्यान्वयन के तहत दोनों पक्ष जीआई उत्पादों की बेहतर तरीके से रक्षा करेंगे। इसके अलावा उक्त उत्पादों को पारस्परिक रूप से पहचानने और दोनों बाजारों में उत्पादों की बिक्री के लिए अधिक से अधिक अवसर पैदा करने के प्रयास भी किए जाएंगे. जिससे दुनिया में चीन और यूरोपीय उत्पादों को व्यापक मंच मिल सकेगा.