US Presidential Election: विजेता का नाम जानने के लिए करना पड़ सकता है कई दिनों का इंतजार

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 5 नंवबर को होने वाले हैं. वोटों की गिनती उसी दिन शुरू हो जाएगी लेकिन अंतिम नतीजे आने में कई दिन लग सकते हैं. यूएस वोटर्स को फाइनल रिजल्ट तब तक पता नहीं चल पाएगा, जब तक कि उपराष्ट्रपति और डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस या रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप अधिकांश राज्यों, खासकर तथाकथित स्विंग स्टेट्स में महत्वपूर्ण जीत हासिल नहीं कर लेते.

Donald Trump , Kamala Harris (Photo ANI)

न्यूयॉर्क, 3 नवंबर : अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 5 नंवबर को होने वाले हैं. वोटों की गिनती उसी दिन शुरू हो जाएगी लेकिन अंतिम नतीजे आने में कई दिन लग सकते हैं. यूएस वोटर्स को फाइनल रिजल्ट तब तक पता नहीं चल पाएगा, जब तक कि उपराष्ट्रपति और डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस या रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप अधिकांश राज्यों, खासकर तथाकथित स्विंग स्टेट्स में महत्वपूर्ण जीत हासिल नहीं कर लेते.

अगर जीत में कोई बड़ा अंतर नहीं आता है तो पुनर्गणना के साथ विवादित परिणामों को सुलझाने में कई दिन या सप्ताह भी लग सकते हैं. परंपरागत रूप से, चुनाव हारने वाला उम्मीदवार परिणाम की आधिकारिक घोषणा से पहले ही हार स्वीकार कर लेता है, यदि परिणाम स्पष्ट हो. लेकिन ट्रंप ने राष्ट्रपति जो बाइडेन की 2020 में हुई जीत और अपनी हार को चार साल बाद भी स्वीकार नहीं किया है. यह भी पढ़ें : Donald Trump on Kamala Harris: चुनावी रैली में गरजे डोनाल्ड ट्रंप, लोगों से बोले- कमला हैरिस से कहें अब बहुत हो चुका

यदि ट्रंप हारते हैं, तो निश्चित रूप से कानूनी लड़ाई का रास्ता अपनाएंगे, और शायद हैरिस भी क्योंकि कुछ सौ या उससे भी कम वोटों से विजेता का फैसला हो सकता है. दोनों के पास वकीलों की फौज तैयार खड़ी है. एक जटिल कारक यह है कि अमेरिका में वोटर्स सीधे तौर पर बल्कि राष्ट्रपति का चुनाव नहीं करते हैं. राष्ट्रपति का चुनाव 538 इलेक्टोरल कॉलेज द्वारा किया जाता है. राष्ट्रपति पद जीतने के लिए उम्मीदवार को बहुमत - 270 या उससे ज्यादा इलेक्टोरल कॉलेज हासिल करने होते हैं. इसलिए, एक उम्मीदवार को लोकप्रिय वोटों का बहुमत मिल सकता है, लेकिन फिर भी वह हार सकता है, अगर वह इसे इलेक्टोरल कॉलेज के बहुमत में तब्दील न कर पाए.

2016 में, डेमोक्रेट हिलेरी क्लिंटन ने ट्रंप की तुलना में लगभग 3 मिलियन अधिक वोट जीते, लेकिन वह चुनाव से हार गईं क्योंकि ट्रंप ने 306 इलेक्टोरल कॉलेज जीत कर बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया. अंतिम फैसला उन सात राज्यों से आएगा जहां किसी भी पार्टी के पास निश्चित बहुमत नहीं है और वहां चुनाव किसी भी तरफ जा सकता है. इन राज्यों के पास कुल मिलाकर 93 निर्वाचक मंडल वोट हैं परिणाम प्राप्त करने में एक और जटिलता यह है कि संघीय चुनाव आयोग केवल चुनाव वित्त कानूनों से निपटता है और चुनाव को नहीं देखता है.

इसलिए, चुनावों की देखरेख करने वाली राष्ट्रीय चुनाव संस्था या पूरे देश में एक समान प्रक्रियाओं और नियमों के बिना, राज्य मतदान बंद करने और एबसेंटी बैलट की गिनती के लिए अलग-अलग टाइम टेबल का पालन करते हैं. बता दें एबसेंटी बैलेट डाक द्वारा भेजे जाते हैं या, कुछ मामलों में, अन्य माध्यमों से जमा किए जाते हैं. आधिकारिक गणना बाद में की जाती है, जिसमें प्रत्येक राज्य परिणामों को प्रमाणित करने के लिए अपनी प्रक्रियाओं का पालन करता है.

कानूनी चुनौतियों के कारण कई राज्यों में आधिकारिक घोषणाओं में देरी होना निश्चित है. कोई भी पार्टी पुनर्मतगणना की मांग कर सकती है, जिससे परिणाम में देरी भी हो सकती है. प्रत्येक राज्य के राज्यपालों के पास 11 दिसंबर तक 'सर्टिफिकेट ऑफ एसेर्टमेंट' - इलेक्टोरल कॉलेज के वोटों की आधिकारिक गणना - राष्ट्रीय अभिलेखागार कोलीन जे. शोगन को सौंपने की समय सीमा है, जिनकी भूमिका देश के लिए मुख्य रिकॉर्ड-कीपर की तरह है.

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