रूस का कहना है कि यूक्रेन अपने चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र में परमाणु हथियार बना रहा था. रूस ने कुछ दिनों पहले ही इस संयंत्र पर कब्जा किया है. रिया नोवोस्ती के मुताबिक यूक्रेन चेर्नोबिल संयंत्र में प्लूटोनियम आधारित 'डर्टी बम' बनाने पर काम कर रहा था. रूस के टीवी चैनल आरटी ने रविवार को यह कहा कि इस परमाणु संयंत्र के बढ़े विकिरण (रेडिएशन) की पृष्ठभूमि इस प्रकार के काम को छुपाने में सहायक साबित हो रही थी.
गौरतलब है कि यूक्रेन जब सोवियत संघ का हिस्सा था तब वर्ष 1986 में चेर्नोबिल के परमाणु संयंत्र में एक हादसा हुआ था, जिसमें कई लोग मारे गए थे और कई लोग आज भी रेडिएशन के कारण आई मुश्किलों को झेल रहे हैं.
सूत्रों के हवाले से आरटी ने बताया कि जब किसी बम में विस्फोट किया जाता है तो आइसोटोप का कंटेनर भी साथ में क्षतिग्रस्त हो जाता है, जिससे रेडियोधर्मी तत्व बाहर निकलने लगता है. इस तरह के हथियार का इस्तेमाल अब तक असल जिंदगी में नहीं हुआ है.
रूस के चैनल के मुताबिक, यूक्रेन की ओडेसा नेशनल पॉलीटेक्निक यूनिवर्सिटी के कर्मचारी इस क्षेत्र में कुछ समस्याएं पैदा करने के जिम्मेदार हैं.
इन कर्मचारियों के साथ कीव नेशनल यूनिवर्सिटी और फिजिक्स एंड टेक्नोलॉजी ऑफ मटेरियल्स एंड एलॉय्ज ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस विभाग के लोग मिलकर संयंत्र में काम कर रहे थे. ये विभाग हाइड्रोडाइनेमिक्स के क्षेत्र में कंप्यूटर मॉडलिंग करने और कॉन्टिनम मेकैनिक्स में विशेषज्ञता हासिल किए हुए हैं.
रूस के एक प्रमुख विभाग के प्रतिनिधि ने रिया नोवोस्ती को बताया कि परमाणु विस्फोटक हथियार को बनाने के साथ ही यूक्रेन सक्रिय रूप से परमाणु हथियार की डिलीवरी के संभावित साधनों में भी संलिप्त था.
इसके अलावा यूक्रेन अपने मौजूदा परमाणु हथियारों के आधुनिकीकरण में और नए मिसाइल बनाने में कार्यरत था. इन मिसाइलों का इस्तेमाल परमाणु हथियारों की डिलीवरी के लिये किया जा सकता था. उन्होंने कहा कि यूक्रेन के जोपोरज्जिया परमाणु संयंत्र में दस्तावेजों की कमी के कारण झड़प हो रही होगी. ये दस्तावेज यूक्रेन द्वारा परमाणु हथियार बनाने से संबंधित होंगे.
उनके मुताबिक, यूक्रेन से इस विषय पर दस्तावेजों को आंशिक रूप से खत्म कर दिया है और आंशिक रूप से मुख्य दस्तावेजों को कीव और खार्किव से लेकर लवीव चला गया. उनके अनुसार, ये दस्तावेज लवीव पोलीटेक्निक में हो सकते हैं.