जिस 'डेट ब्रेक' पर ढही जर्मन सरकार, अब उस पर बनी सहमति
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

जर्मनी में 'डेट ब्रेक' (कर्ज लेने की सीमा) देश के संविधान का हिस्सा है. यही 'डेट ब्रेक' पिछली सरकार के टूटने की वजह भी थी. 'डेट ब्रेक' में ज्यादा छूट के लिए अब तीन पार्टियां साथ आई हैं, लेकिन कड़ी शर्तों पर.जर्मनी में 23 फरवरी को हुए संसदीय चुनावों के विजेता धड़े- क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन/क्रिश्चियन सोशल यूनियन (सीडीयू/सीएसयू) और उनकी संभावित गठबंधन सहयोगी सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (एसपीडी) को चर्चित 'डेट ब्रेक' (कर्ज लेने की सीमा) प्रस्ताव में ग्रीन पार्टी का समर्थन मिल गया है. संभावित चांसलर फ्रीडरिष मैर्त्स ने इसकी घोषणा की है. ग्रीन पार्टी ने कई दिनों से चली बातचीत के बाद कड़ी शर्तों के साथ इस प्रस्ताव का समर्थन करने की हामी भरी है.

क्या है पूरा मामला

दरअसल संभावित गठबंधन सरकार जर्मनी की रक्षा और बुनियादी ढांचे की जरूरतों को देखते हुए अभूतपूर्व कर्ज लेना चाहती है. लेकिन इसके लिए जर्मनी के संविधान 'बेसिक लॉ' के 'डेट ब्रेक' (कर्ज लेने की सीमा) पर प्रावधान को बदलना होगा. इस प्रावधान के तहत कुछ आपात स्थितियों के अलावा जर्मनी की संघीय और राज्य सरकारों के नया कर्ज लेने पर प्रतिबंध है. कानून बदलने के लिए जर्मन संसद के निचले सदन बुंडेसटाग के दो-तिहाई सदस्यों का साथ जरूरी है. नए बुंडेसटाग के काम संभालने से पहले तक, पुराने सदन के पास फैसले लेने का अधिकार होता है. नए बुंडेसटाग की पहली बैठक 25 मार्च को होनी है. तब तक मौजूदा बुंडेसटाग अपना काम जारी रख सकता है.

संभावित भावी चांसलर फ्रीडरिष मैर्त्स के नेतृत्व वाला कंजरवेटिव सीडीयू/सीएसयू धड़ा और मौजूदा चांसलर ओलाफ शॉल्त्स की पार्टी एसपीडी- ग्रीन पार्टी की मदद से मौजूदा बुंडेसटाग में 'डेट ब्रेक' से जुड़ा संवैधानिक बदलाव पास करवाने की कोशिश में हैं. नए बुंडेसटाग में दो-तिहाई बहुमत हासिल करना उनके लिए और भी मुश्किल हो जाएगा.

कर्ज सीमा बढ़ाने के अलावा, सीडीयू/सीएसयू और एसपीडी के संभावित गठबंधन ने अपने प्रस्ताव में अगले एक दशक में देश के बुनियादी ढांचे पर निवेश के लिए 500 अरब यूरो का एक नया विशेष कोष बनाने की बात कही है. देश के 16 राज्यों को उसमें से 100 अरब यूरो मिलेंगे. इसे मंजूर करवाने के लिए उन्हें ग्रीन पार्टी के समर्थन की जरूरत है.

पढ़ें: क्या है डेट ब्रेक, जिसकी वजह से टूटा जर्मनी का सत्तारूढ़ गठबंधन

ग्रीन पार्टी फिलहाल अंतरिम सरकार का हिस्सा है. लेकिन फरवरी के चुनावों में अपनी हार के बाद विपक्ष में अपनी भावी भूमिका के लिए पहले से ही तैयारी कर रही है. पार्टी ने स्पष्ट किया था कि वे बदले में बिना कुछ हासिल किए, अपने राजनीतिक विरोधियों की मदद करने के लिए तैयार नहीं है. खासकर जब सीडीयू/सीएसयू और उनके चांसलर पद के उम्मीदवार फ्रीडरिष मैर्त्स ने डेट ब्रेक के सुधार को पूरी तरह से खारिज कर दिया था, जबकि ग्रीन पार्टी, एसपीडी और लेफ्ट पार्टी लंबे समय से इसकी मांग कर रहे हैं.

इस प्रस्ताव पर निर्णायक मतदान 18 मार्च को होगा.

जिस प्रस्ताव पर बनी सहमति, उसमें क्या है

नए प्रस्ताव में कंजरवेटिव धड़ा और एसपीडी, रक्षा संबंधी खर्च को डेट ब्रेक के दायरे से बाहर करना चाहते हैं. साथ ही 500 अरब यूरो का स्पेशल इंफ्रास्ट्रक्चर फंड भी बनाना चाहते हैं.

ग्रीन पार्टी के साथ सहमति की जानकारी देते हुए मैर्त्स ने कहा, "यह हमारे साझेदारों और दोस्तों के लिए, साथ ही हमारे विरोधियों और हमारी आजादी के दुश्मनों के लिए एक स्पष्ट संदेश है- हम अपनी रक्षा करने में सक्षम हैं और हम अपनी रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार हैं." साथ ही कहा, "हमारे महाद्वीप पर स्वतंत्रता और शांति की रक्षा के लिए वित्तीय संसाधनों की कोई कमी नहीं होगी. जर्मनी, यूरोप में स्वतंत्रता और शांति की रक्षा में अपना अहम योगदान दे रहा है."

एसपीडी के सह-प्रमुख लार्स क्लिंगबाइल ने कहा कि यह बड़ा सरकारी कर्ज और निवेश, यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए "शक्तिशाली प्रोत्साहन" है.

ग्रीन पार्टी ने किन शर्तों पर दिया समर्थन

ग्रीन पार्टी के संसदीय दल की सह-प्रमुख काथरीन ड्रोगे ने डेट ब्रेक प्रस्ताव को समर्थन देने पर अपना रुख स्पष्ट किया. उन्होंने कहा कि जलवायु संरक्षण के लिए निवेश भविष्य में बेसिक लॉ का हिस्सा होगा. ड्रोगे ने बताया कि उनकी पार्टी के संसदीय दल में इस मामले पर अभी आंतरिक मतदान होना है लेकिन कुल मिलाकर उन्हें पार्टी से अच्छा फीडबैक मिला है.

पार्टी की सह-प्रमुख ब्रिटा हासेलमान ने कहा कि यह बड़ा कर्ज सीडीयू/सीएसयू और एसपीडी की पसंदीदा परियोजनाओं के लिए नहीं है. ग्रीन पार्टी को डर था कि अरबों यूरो का इस्तेमाल अपने चुनावी वादे पूरे करने के लिए किया जा सकता है. हासेलमान के मुताबिक, प्रस्ताव पर बातचीत में इस संभावना पर रोक लगा दी गई है.

बाकी पार्टियों ने क्या कहा

व्यवसाय-केंद्रित फ्री डेमोक्रेट्स (एफडीपी) पार्टी के नेता क्रिश्चियन लिंडनर ने रक्षा पर ज्यादा खर्च के लिए डेट ब्रेक में ढील देने की योजना की आलोचना की है. उन्होंने बुंडेसटाग में कहा कि सीडीयू/सीएसयू और एसपीडी की ओर से प्रस्तावित वित्तीय पैकेज "डेट ब्रेक को अप्रभावी होने की हद तक कमजोर कर देगा" और आने वाली पीढ़ियों पर एक बड़ा वित्तीय बोझ डालेगा. लिंडनर ने कहा, "यह हमारी सुरक्षा को मजबूत नहीं करता, बल्कि इसके उलट नए जोखिम पैदा करता है." लिंडनर की पार्टी आम चुनाव में 5 प्रतिशत मतों की न्यूनतम सीमा पार नहीं कर पाई थी, इसलिए वे नई बुंडेसटाग का हिस्सा नहीं होगी.

पढ़ें: जर्मनी चुनाव: आर्थिक चुनौतियों से कैसे निपटेगी आगामी सरकार

लेफ्ट पार्टी की सह-नेता हाइडी राइषेनेक ने कहा कि "पुराने" बुंडेसटाग के साथ नए वित्तीय पैकेज के लिए मतदान करना "बहुत अलोकतांत्रिक" है. राइषेनेक के मुताबिक, एसपीडी और सीडीयू/सीएसयू को चिंता है कि वे नव-निर्वाचित संसद में जरूरी दो-तिहाई बहुमत हासिल नहीं कर पाएंगे, जिसके पीछे लेफ्ट पार्टी की बढ़ी हुई सीटें भी कारण हैं. प्रस्ताव को "हथियारों के लिए एक ब्लैंक चेक" करार देते हुए राइषेनेक ने कहा कि उनकी पार्टी रक्षा खर्च बढ़ाने वाले पैकेज का समर्थन नहीं करेगी.

लेफ्ट पार्टी और धुर-दक्षिणपंथी पार्टी ऑल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) ने इस हफ्ते और अगले हफ्ते में होने वाले के विशेष सत्रों को रोकने के लिए संवैधानिक न्यायालय में मुकदमे भी दायर किए. उनका तर्क है कि ऐसे कदम संसद के नए सदस्यों के अधिकारों का उल्लंघन हैं. हालांकि देश की सर्वोच्च संवैधानिक अदालत ने दोनों पार्टियों की याचिका खारिज कर दी है. यानी अब 18 मार्च को 'डेट ब्रेक' प्रस्ताव पर मतदान हो सकेगा.

जर्मन 'डेट ब्रेक' क्या है?

जर्मनी में संघीय सरकार और 16 राज्यों को अपना लेखा-जोखा संतुलित रखना होता है और व्यावहारिक रूप से अतिरिक्त कर्ज लेने पर प्रतिबंध है. किसी अन्य जी7 देश में नया कर्ज लेने पर इतनी सख्त सीमाएं नहीं हैं. ये नियम जर्मनी के संविधान 'बेसिक लॉ' में निहित हैं. 2008-2009 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान यह प्रावधान पेश किया गया था. 'डेट ब्रेक' 2016 में संघीय सरकार के लिए और 2020 में राज्यों के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी बन गया.

संघीय सरकार को इस नियम में मामूली छूट हासिल है, जबकि राज्यों के कर्ज लेने पर पूर्ण प्रतिबंध है. संघीय सरकार को देश के आर्थिक उत्पादन का अधिकतम 0.35 फीसदी तक शुद्ध उधार लेने की इजाजत है. हालांकि, बेसिक लॉ यह भी अनुमति देता है कि "प्राकृतिक आपदाओं या असामान्य आपात स्थितियों में, जो सरकारी नियंत्रण से परे हों और राज्य की वित्तीय क्षमता के लिए काफी हानिकारक हों", उनमें 'डेट ब्रेक' में छूट दी जा सकती है.

आरएस/आरआर

img