सीरिया: कौन है असद सरकार को हटाने के लिए लड़ रहा एचटीएस समूह
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

सीरिया में एकबार फिर हिंसा छिड़ गई है. एक नाटकीय घटनाक्रम में विपक्षी गुट ने बड़ी बढ़त बनाते हुए अलेप्पो शहर के बड़े हिस्से पर नियंत्रण बना लिया. अब असद सरकार का साथ देते हुए रूस हवाई हमले कर रहा है.विपक्षी गुटों ने सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद की सेना के खिलाफ बड़ी और औचक बढ़त बना ली. समाचार एजेंसी डीपीए ने 'सीरियन ऑब्जरवेट्री फॉर ह्युमन राइट्स' (एसओएचआर) के प्रमुख रामी अब्देल-रहमान के हवाले से बताया कि सीरिया की सरकार अलेप्पो का नियंत्रण पूरी तरह खो चुकी है.

लेबनान से हजारों लोग युद्ध-ग्रस्त सीरिया की ओर भागे

शहर के उत्तर-पश्चिमी हिस्से के चार इलाकों को छोड़कर समूचे अलेप्पो पर विद्रोही गठबंधन का नियंत्रण है. इसका नेतृत्व हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) नाम का एक इस्लामिक समूह कर रहा है. जो चार इलाके इस गुट के नियंत्रण में नहीं हैं, उन्हें कुर्दिश बल नियंत्रित कर रहे हैं. खबरों के मुताबिक, विद्रोही गुट अब हमा शहर को जीतने की कोशिश कर रहा है.

क्या चाहता है एचटीएस?

अमेरिकी विदेश विभाग ने जून 2018 में एचटीएस को विदेशी आतंकवादी संगठनों (एफटीओ) की सूची में शामिल किया था. सीरिया का 'अल नुसरा फ्रंट' (जबात अल-नुसरा) इसका पूर्ववर्ती संगठन था. 'सेंटर फॉर स्ट्रैटजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज' के मुताबिक, जुलाई 2016 में नुसरा के नेता अबु मुहम्मद अल-जोलानी ने जबात अल-नुसरा को भंग कर एचटीएस नाम का एक नया समूह बनाया.

एचटीएस दावा करता है कि अब उसका अल-कायदा से कोई संबंध नहीं है. एचटीएस, सीरिया में असद सरकार से लड़ रहा सबसे मजबूत विद्रोही गुट है. सीरिया में असद सरकार को हटाकर वहां इस्लामिक शासन स्थापित करना इसका घोषित लक्ष्य है.

'वॉशिंगटन पोस्ट' की एक खबर के मुताबिक, हालिया बयानों में इस संगठन ने कहा है कि वह अलेप्पो में चर्चों समेत सभी सांस्कृतिक और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा करेगा. ब्रिटिश अखबार 'गार्डियन' के मुताबिक, इसके नियंत्रण वाले इलाकों में मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन की आशंका है. इनमें ईशनिंदा, अडल्ट्री और यहां तक कि प्रतिद्वंद्वी समूहों से साथ संबंध रखने वाले आरोपियों को मौत की सजा देने के मामले शामिल हैं.

रूस और ईरान, दोनों ने कहा असद को समर्थन जारी

समाचार एजेंसी एपी ने एक सैन्य अधिकारी के हवाले से बताया कि असद की सेना का साथ देने के लिए ईरान समर्थित इराकी मिलिशिया को सीरिया में तैनात किया गया है. अब तक ईरान समर्थक मिलिशिया के 200 से ज्यादा लोग इराक से लगी सीमा पार कर सीरिया आए हैं.

रूस ने भी राष्ट्रपति बशर अल-असद के लिए अपना समर्थन दोहराया है. रूसी सरकार के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने पत्रकारों से कहा, "बेशक हम बशर अल-असद का समर्थन करना जारी रखेंगे. हम स्थिति का विश्लेषण कर रहे हैं." समाचार एजेंसी एएफपी ने एसओएचआर के हवाले से बताया कि इदलीब शहर समेत कई इलाकों पर रूस और सीरिया संयुक्त रूप से हवाई हमले कर रहे हैं.

नागरिक रक्षा समूह 'वाइट हेल्मेट्स' ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में बताया कि ताजा संघर्ष 27 नवंबर से गहराना शुरू हुआ. तब से 1 दिसंबर तक उत्तर-पश्चिमी सीरिया में असद सरकार, रूस और अन्य सहयोगियों द्वारा किए गए हमलों में 20 बच्चों और आठ महिलाओं समेत 56 लोग मारे जा चुके हैं. ये हमले इदलीब शहर और इदलीब व अलेप्पो के बाहरी इलाकों में हुए.

इसके बाद भी बड़े स्तर पर हमले जारी हैं. 'वाइट हेल्मेट्स' के मुताबिक, 2 दिसंबर को रूस ने इदलीब में कई अस्पतालों पर हवाई हमले किए हैं. संगठन ने कई तस्वीरें शेयर करते हुए एक सोशल पोस्ट में लिखा, "अस्पतालों और स्वास्थ्य ढांचों को निशाना बनाना अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के अंतर्गत युद्ध अपराध है."

सीरिया में 13 साल से जारी है गृह युद्ध

सीरिया में 2011 से ही गृह युद्ध जारी है. यहां अशद परिवार कई दशकों से सत्ता में है. बशर अल-असद के पिता हाफेज अल-असद 1971 से 2000 में अपने निधन तक देश के राष्ट्रपति रहे. उनके बाद बशर को सत्ता मिली. 'अरब स्प्रिंग' के क्रम में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनों ने सीरिया में भी जोर पकड़ा.

इन प्रदर्शनों का स्वभाव शांतिपूर्ण था, लेकिन सरकार का रुख बेहद सख्त. ताकत के जोर पर प्रदर्शनों को खत्म करने की कोशिश सफल नहीं हुई. कई विरोधी गुट बन गए और सरकार के साथ सशस्त्र संघर्ष शुरू हो गया. इस सिविल वॉर में रूस और ईरान, असद की सरकार के सबसे बड़े समर्थक बनकर उभरे. वहीं, तुर्की ने विरोधी गुटों को समर्थन दिया.

लंबे संघर्ष के बाद 2020 में रूस और तुर्की के बीच संघर्ष विराम पर सहमति बनी. इसके बाद से कोई बड़ी लड़ाई तो नहीं भड़की, लेकिन असद सरकार समूचे सीरिया पर नियंत्रण नहीं बना सकी. केवल 70 फीसदी भूभाग ही सरकार के नियंत्रण में था.

अपने-अपने संघर्षों में व्यस्त थे असद के दोस्त

बीते कुछ सालों से असद के सभी सहयोगी अपने-अपने संघर्षों में व्यस्त हैं. रूस, यूक्रेन के साथ युद्ध कर रहा है. ईरान ने इस्राएल पर हमला किया और इस्राएल ने उसपर जवाबी हमले किए. ईरान के सहयोगी हिज्बुल्लाह का लेबनान में इस्राएल से युद्ध जारी था.

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मध्यपूर्व में जारी इन संघर्षों के बीच अभी सीरिया पर लोगों का ध्यान भी नहीं था कि 27 नवंबर को औचक ही विरोधी गुटों की ओर से बड़े स्तर पर कार्रवाई की खबर आनी शुरू हुई. एचटीएस के नेतृत्व में नए गठबंधन "मिलिट्री ऑपरेशन्स कमांड" ने अलेप्पो के बाहरी हिस्सों से आगे बढ़ते हुए शहर के बड़े हिस्से पर नियंत्रण कायम कर लिया है.

विपक्षी गुटों ने हमा प्रांत के भी बाहरी इलाकों पर नियंत्रण बना लिया है. सीरियाई सेना हमा के आसपास अपनी तैनाती बढ़ा रही है. साथ ही, विद्रोहियों की गति रोकने के लिए हवाई हमले भी जारी हैं.

अलेप्पो में तेज हुई लड़ाई के क्या मायने हैं?

अलेप्पो पहले भी गृह युद्ध का एक बड़ा मोर्चा रहा है. भीषण बमबारी और लड़ाई के बाद असद समर्थक सेना ने 2016 में इसपर वापस नियंत्रण बना लिया था. 'वॉशिंगटन पोस्ट' की एक खबर के अनुसार, कुछ ताजा वीडियो सामने आए हैं जिनमें एचटीएस के लड़ाके अलेप्पो के भीतर और बाहर अपने चेकपॉइंट्स बनाते दिख रहे हैं.

सीरिया के गृह युद्ध के कारण अब तक अनुमानित तौर पर पांच लाख लोग मारे जा चुके हैं. युद्ध के कारण करीब 68 लाख सीरियाई देश छोड़कर जा चुके हैं. सीरियाई शरणार्थियों की एक बड़ी संख्या जर्मनी में भी रह रही है. लाखों की तादाद में आए शरणार्थियों ने ना केवल जर्मनी, बल्कि यूरोप की घरेलू राजनीति को भी काफी प्रभावित किया है. अगर सीरिया में संघर्ष तेज होता है, तो विस्थापितों की बड़ी संख्या यूरोप पर भी असर डाल सकती है.

इसके अलावा सीरिया और आसपास के इलाकों में आतंकवाद के मजबूत होने की भी आशंका है. यहां जारी युद्ध और अस्थिरता ने इस्लामिक स्टेट को मजबूती देने में बड़ी भूमिका निभाई थी और 2014 में उसने सीरिया और इराक के कुछ हिस्सों में अपनी सत्ता कायम कर ली थी. यह आशंका इस लिहाज से भी अहम है कि एचटीएस को अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र, दोनों आतंकवादी संगठन मानते हैं.

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इस बीच सीरिया के घटनाक्रम पर बातचीत के लिए ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराकची तुर्की पहुंचे हैं. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, अराकची ने तुर्की के विदेश मंत्री हकान फिदान के साथ अपनी बातचीत को "सकारात्मक" बताया. उन्होंने कहा कि दोनों देश इस बात पर सहमत हैं कि सीरिया को आतंकवादी समूहों का गढ़ नहीं बनने देना चाहिए. इस वार्ता के बाद तुर्की के विदेश मंत्री ने कहा कि उनका देश सीरिया की भूभागीय अखंडता का सम्मान करता है और जरूरत पड़ने पर वह विद्रोहियों और असद सरकार के बीच समझौते की बातचीत में भूमिका निभाने के लिए तैयार है.

एसएम/एए (एपी, एएफपी, रॉयटर्स, डीपीए)