हैवानियत की हद पार! 33 साल में 300 से ज्यादा मरीजों का किया यौन शोषण, सर्जन ने कबूल किया अपना जुर्म

फ्रांस के एक सर्जन का नाम आज पूरी दुनिया में हैवानियत और बर्बरता की मिसाल बन गया है. 74 वर्षीय जोएल ले स्कॉरनेक नामक इस डॉक्टर ने अपने 33 साल के करियर में 300 से अधिक मरीजों का यौन शोषण किया, जिनमें 256 पीड़ित 15 साल से कम उम्र की बच्चियां थीं. उसने न केवल अपने पेशे की पवित्रता को धूमिल किया, बल्कि मानवता को शर्मसार करते हुए अपनी ही पोती तक को नहीं बख्शा.

कैसे अंजाम दिए गए अपराध?

ले स्कॉरनेक ने मरीजों को बेहोश करके उनके साथ दुष्कर्म किया और इन वारदातों का वीडियो बनाकर रिकॉर्ड किया. वह "मेडिकल टेस्ट" के नाम पर नाबालिगों को शिकार बनाता था. उसके खिलाफ सामने आए मामलों में सबसे हैरान करने वाला तथ्य यह है कि उसने 1 साल के शिशु से लेकर 70 साल के बुजुर्ग तक को निशाना बनाया. 2017 में जब एक 6 साल के बच्चे ने उस पर यौन शोषण का आरोप लगाया, तो पुलिस ने उसके कंप्यूटर से 3 लाख से अधिक अश्लील तस्वीरें और वीडियो बरामद किए.

सिस्टम की नाकामी और पुराने रिकॉर्ड

इस मामले ने फ्रांस की स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं. स्कॉरनेक को पहले भी 2005 में बच्चों की अश्लील तस्वीरें रखने के आरोप में सजा मिल चुकी थी. उसके कुछ सहयोगियों ने उसके संदिग्ध व्यवहार पर चिंता जताई थी, लेकिन अधिकारियों ने गंभीरता से जांच नहीं की. यही लापरवाही आज उसके 1989 से 2014 तक चले शोषण के सिलसिले को रोकने में नाकाम रही.

पोती तक नहीं बची शैतान की गिरफ्त से 

स्कॉरनेक की बर्बरता का आलम यह था कि उसने अपने ही बेटे की 12 साल की पोती के साथ दुष्कर्म किया. कोर्ट में उसने यह जुर्म भी स्वीकार किया है. फिलहाल, उसे जेल भेज दिया गया है, और पश्चिमी फ्रांस के शहर वेनेस में देश के सबसे बड़े यौन उत्पीड़न केस की सुनवाई चल रही है.

न्याय की उम्मीद

हालांकि स्कॉरनेक ने अपने जुर्म कबूल कर लिए हैं, लेकिन पीड़ितों को न्याय दिलाना अभी बाकी है. इस केस ने न केवल चिकित्सा पेशे में नैतिकता पर सवाल उठाए हैं, बल्कि यह भी दिखाया है कि संस्थानों की लापरवाही कैसे एक शातिर अपराधी को लंबे समय तक बचा सकती है. फ्रांस की अदालत अब उस पर यौन हिंसा, बाल शोषण और अश्लील सामग्री निर्माण समेत कई धाराओं के तहत मुकदमा चला रही है.

जोएल ले स्कॉरनेक का मामला मानवता के खिलाफ एक काला अध्याय है. यह केस समाज के लिए एक चेतावनी भी है कि पेशेवर शिष्टाचार और कानूनी निगरानी में किसी भी ढील का फायदा स्कॉरनेक जैसे दरिंदे उठा सकते हैं. पीड़ितों को न्याय मिलना ही इस स्याह इतिहास को समाप्त करने की पहली कड़ी होगी.