कोलंबो: श्रीलंका में रविवार को ईस्टर (Easter) के मौके पर लक्जरी होटलों और चर्चो में हुए आत्मघाती विस्फोटों में कम से कम 138 लोग मारे गए और 400 से ज्यादा घायल हो गए. गृह युद्ध के अंत के बाद से यह सबसे बड़ा खूनखराबा वाला दिन रहा. मीडिया रिपोर्टों में यह जानकारी दी गई. विस्फोट तीन लक्जरी होटलों और कोलंबो (Colombo) के एक चर्च, काटना के एक चर्च और बट्टिकाओला की एक चर्च में सुबह 8.45 बजे के आसपास उस समय हुआ जब सैकड़ों लोग ईस्टर मनाने के लिए एकत्रित थे.
सरकारी समाचार पत्र डेली न्यूज ने मृतकों की संख्या 138 बताई और कहा कि कम से कम 402 घायल हुए हैं. कई घायलों की हालत गंभीर बताई जा रही है. लेकिन अन्य न्यूज आउटलेट्स ने अलग-अलग आंकड़े दिए हैं जिनमें मृतकों की संख्या 70 से लेकर 100 तक बताई गई है. आर्थिक सुधार मंत्री हर्षा डी सिल्वा ने कुछ घटनास्थलों का दौरा किया और इस घटना की भयावहता के बारे में बताया.
समाचार एजेंसी एफे के मुताबिक, मंत्री के कहा, "भयावह दृश्य. मैंने चारों ओर बिखरे पड़े शरीर के कई क्षत-विक्षत हिस्सों को देखा. आपातकालीन कर्मचारी पूरे बल के साथ हर जगह हैं. हमने कई को अस्पताल पहुंचाया. आशा करता हूं कि कई लोगों की जान बच गई होगी." एफे के मुताबिक, स्थानीय मीडिया में वायरल तस्वीरों में एक चर्च के अंदर का भयावह नजारा दिखा, जिसमें छत को आंशिक रूप से नुकसान पहुंचा नजर आ रहा है और मलबे के बीच चारों ओर शव बिखरे पड़े हुए हैं.
बचाव दल के लोग बचे हुए लोगों को बेसब्री के साथ ढूंढ़ने में लगे हुए हैं. मंत्री ने कहा कि दुर्घटना के शिकार लोगों में कुछ विदेशी नागरिक भी हैं. समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने स्थानीय न्यूज चैनलों पर प्रसारित एक विशेष संदेश में लोगों से शांत रहने और विस्फोट की तेजी से जांच के लिए अधिकारियों के साथ सहयोग करने का अनुरोध किया.
सिरीसेना ने कहा, "मैं इस घटना से स्तब्ध और दुखी हूं. इन जघन्य कृत्यों के पीछे षड्यंत्रों का पता लगाने के लिए इसकी जांच शुरू कर दी गई है. शांत रहें और अफवाहों पर ध्यान नहीं दें." हमले की जिम्मेदारी अभी तक किसी ने ली नहीं है. श्रीलंका में ईसाईयों की आबादी करीब सात प्रतिशत है जबकि बौद्धों की आबादी लगभग 70 प्रतिशत है, जिसके बाद हिंदू और मुस्लिम आबादी हैं.