Singapore Rape Case: सिंगापुर में छात्रा से बलात्कार के आरोप में भारतीय नागरिक को 16 साल की जेल

एक भारतीय नागरिक को 2019 में 23 वर्षीय छात्रा से बलात्कार के लिए 16 साल जेल और 12 बेंत की सजा सुनाई गई है. 26 वर्षीय सफाईकर्मी चिन्नैया कार्तिक ने सिंगापुर के एक उपनगर क्रांजी में 4 मई को छात्रा के साथ बलात्कार किया. इस मामले में शुक्रवार को दोषी ठहराया गया.

(Photo Credit : Twitter)

सिंगापुर, 28 अक्टूबर : एक भारतीय नागरिक को 2019 में 23 वर्षीय छात्रा से बलात्कार के लिए 16 साल जेल और 12 बेंत की सजा सुनाई गई है. 26 वर्षीय सफाईकर्मी चिन्नैया कार्तिक ने सिंगापुर के एक उपनगर क्रांजी में 4 मई को छात्रा के साथ बलात्कार किया. इस मामले में शुक्रवार को दोषी ठहराया गया. द स्ट्रेट्स टाइम्स अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, हाईकोर्ट को बताया गया कि आरोपी कार्तिक ने पीड़िता की इतनी बेरहमी से मारपीट की कि उसके परिजन भी जब उससे मिलने अस्पताल गए तो वह उसे पहचान नहीं पाए. उप लोक अभियोजक कायल पिल्लै ने बताया कि पीड़िता कैंपस वापस जाते वक्त गलत एमआरटी ट्रेन पकड़ने के बाद देर रात क्रांजी पहुंची. अपने बॉयफ्रेंड से कॉल पर बात करने के चलते वह 10 से 15 मिनट तक चलती रही, तभी कार्तिक उसके पास आया और पूछा कि क्या वह ठीक है.

पीड़िता ने उसे अकेला छोड़ने के लिए कहते हुए वापस एमआरटी स्टेशन जाने की कोशिश की. यह महसूस करते हुए कि वह उसका पीछा कर रहा है, उसने अपने बॉयफ्रेंड को बताया, जिसने उसे एक खुली जगह पर जाने और टैक्सी करने के लिए कहा. महिला ने सड़क पार करने का फैसला किया, लेकिन चिन्नैया ने उसे सड़क के डिवाइडर पर पकड़ लिया और उसके चेहरे पर मुक्का मारा और उसके साथ मारपीट की. फोन पर उसकी चीखें और शोर सुनने के बाद, बॉयफ्रेंड ने उसके हॉल मेट से संपर्क किया, जिसने पुलिस को बुलाया. द टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, आरोपी पीड़िता को जंगली इलाके में ले गया, जहां उसने उसके साथ बलात्कार किया और गला दबाने की कोशिश की और भाग गया. यह भी पढ़ें : Asian Para Games 2023: शतरंज में भारत का दबदबा जारी, अश्विन मकवाना ने पुरुष बी1 में जीता कांस्य पदक

होश में आने पर पीड़िता ने हिम्मत कर मुख्य सड़क पर गई और वहां बैठकर रोती रही, जब तक कि पुलिस नहीं पहुंची. पुलिस अधिकारियों ने आस-पास के छात्रावासों और आवास क्षेत्रों में जांच की और घटना के अगले दिन कार्तिक को पकड़ लिया. उसके डीएनए सैंपल पीड़िता के कपड़ों और शरीर पर पाए गए. एक मनोचिकित्सीय मूल्यांकन के बाद उसे मानसिक स्वास्थ्य संस्थान में रिमांड पर लिया गया, जिसमें पाया गया कि वह मुकदमा चलाने के लिए अयोग्य था, और 1 अगस्त, 2022 को उसे बरी कर दिया गया. उनका पुनर्मूल्यांकन किया गया और 16 जनवरी, 2023 को दलील देने के लिए उपयुक्त पाया गया. उप लोक अभियोजकों ने अदालत को बताया कि चार साल बाद भी पीड़िता इस घटना के भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक प्रभावों को झेल रही है.

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