Afghanistan: तालिबान से लड़ने के लिए हथियार उठाने वाली सलीमा मजारी हुईं कैद, हिम्मत और जज्बे की मिसाल है यह लेडी गवर्नर

सलीमा मजारी हिम्मत और जज्बे की एक मिसाल हैं उन्होंने ऐसे समय में हिम्मत दिखाई जब कई अफगान राजनीतिक नेता देश छोड़कर भाग गए. सलीमा मजारी बल्ख प्रांत के आत्मसमर्पण तक रुकी रही जब तक उनका जिला चाहर किंट तालिबान के हाथों में नहीं आ गया.

सलीमा मजारी (Photo: Twitter @MaridhasAnswers)

काबुल: तालिबान (Taliban) ने महिला गवर्नर सलीमा मजारी (Salima Mazari) को कैद कर लिया है. सलीमा मजारी अफगानिस्तान (Afghanistan) की पहली महिला राज्यपालों में से एक हैं. सलीमा ने अपने लोगों की रक्षा के लिए तालिबान के खिलाफ बंदूक उठा ली थी. सलीमा तालिबान से लड़ने के लिए अपनी सेना बना रहीं थी. मिली जानकारी के अनुसार तालिबान ने उन्हें अपने खिलाफ आवाज उठाने के चलते कैद में ले लिया है. फिलहाल उन्हें कहां और किस हाल में रखा गया है इसकी कोई जानकारी नहीं है. सलीमा बल्ख प्रांत की चारकिंत ज़िले की महिला गर्वनर हैं. Viral Video: चेक पोस्ट जहां पहले अफगानिस्तानी ट्रैफिक पुलिस और सेना हुआ करती वहां अब तालिबानी हैं तैनात, देखें वायरल वीडियो.

सलीमा मजारी हिम्मत और जज्बे की एक मिसाल हैं. उन्होंने ऐसे समय में हिम्मत दिखाई जब कई  बड़े अफगान नेता देश छोड़कर भाग गए. सलीमा मजारी बल्ख प्रांत के आत्मसमर्पण तक रुकी रही जब तक उनका जिला चाहर किंट तालिबान के हाथों में नहीं आ गया. सलीमा ने बल्ख प्रांत में चाहर किंट को सुरक्षित रखने के लिए हर संभव कोशिश की. वहीं इसके विपरीत बहुत सारे अफगान प्रांत बिना किसी लड़ाई के ढह गए.

कुछ साल पहले, सलीमा मजारी अफगानिस्तान में पहली तीन महिला राज्यपालों में से एक बनीं. सलीमा मजारी के नेतृत्व में चाहर किंट जिले ने तालिबान के खिलाफ एक बड़ी लड़ाई लड़ी. तालिबान की अत्याचारी ताकतों के खिलाफ उन्होंने हिम्मत दिखाई.

जब तालिबान ने एक के बाद एक सभी प्रांतों पर धावा बोलना शुरू किया, तो सलीमा ने भागने के बजाय मुकाबला करने का फैसला किया और पकड़े जाने से पहले तक बंदूक उठाकर अपनी आवाम की रक्षा की. हालांकि, इसके बाद तालिबान ने उन्हें पकड़ लिया.

ईरान में जन्मी सलीमा मजारी लौटी थीं अफगानिस्तान 

सलीमा मजारी का जन्म ईरान में हुआ था. उनका परिवार उन लोगों में शामिल था जो सोवियत युद्ध के दौरान अफगानिस्तान छोड़ कर चले गए थे. उन्होंने तेहरान विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया और बाद में विश्वविद्यालयों में काम किया. 2018 में, उसने चाहर किंट जिले के लिए जिला गवर्नर की भूमिका के लिए आवेदन किया, और इसके बाद इस पद पर अपनी जिम्मेदारी निभाई.

पिछले कुछ वर्षों में, सलीमा मजारी ने अफगानिस्तान में एक महिला नेता होने के नाते बहुत प्रशंसा प्राप्त की थी. अफगानिस्तान पर कब्जा करने के लिए तालिबान के इस हमले की शुरुआत में द गार्जियन से बात करते हुए सलीमा मजारी ने अपने लोगों की सुरक्षा के बारे में चिंता व्यक्त की थी. इस हमले के बाद से सलीमा मजारी अपने लोगों को लेकर चिंता में थी.

तालिबान के झूठे वादे

सलीमा मजारी की वर्तमान स्थिति के बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है.तालिबान एक तरफ अफगानिस्तान की आवाम के सामने यह ऐलान कर रहा है कि वह महिलाओं को उनके अधिकार देगा. वहीं, दूसरी ओर इन वादों के बावजूद उसने इसके विपरीत महिलाओं के खिलाफ क्रूरता जारी रखी है.

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