FATF की Grey List में बना रहेगा पाकिस्तान, इमरान खान को लगा झटका

पाकिस्तान की इमरान खान की सरकार को बड़ा झटका लगा है, क्योंकि पाकिस्तान फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट बना रहेगा. रिपोर्ट्स के अनुसार 27 में से 6 प्वाइंट्स का पालन नहीं कर पाया है. एफएटीएफ ने यह भी कहा है कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादियों के खिलाफ भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है.

इमरान खान (Photo Credits: Facebook)

Pakistan to Remain in FATF Grey List: पाकिस्तान (Pakistan) की इमरान खान (Imran Khan) की सरकार को बड़ा झटका लगा है, क्योंकि पाकिस्तान फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (Financial Action Task Force) यानी एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट (FATF Grey List) बना रहेगा. रिपोर्ट्स के अनुसार 27 में से 6 प्वाइंट्स का पालन नहीं कर पाया है. टेरर फाइनेंसिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर अंकुश लगाने के लिए पेरिस स्थित वैश्विक प्रहरी (Global Watchdog's Action Plan) ने 21 से 23 अक्टूबर तक अपना वर्चुअली प्लेनरी सत्र आयोजित किया, जिसमें 27 सूत्री कार्य योजना पर पाकिस्तान की प्रगति की समीक्षा की गई और पाकिस्तान इसमें विफल रहा है. एफएटीएफ ने यह भी कहा है कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादियों के खिलाफ भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है.

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स के मुताबिक, आज तक पाकिस्तान ने सभी सूत्री कार्य योजना में प्रगति की है और अब तक 27 में से 21 कार्य योजना का पालन किया है. जैसा कि सभी कार्य योजना की समय सीमा समाप्त हो गई है.. एफएटीएफ ने दृढ़ता से पाकिस्तान से फरवरी 2012 तक अपनी पूर्ण कार्य योजना को पूरा करने का आग्रह किया है.

देखें ट्वीट-

एफएटीएफ ने जून 2018 में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखा था और उसे 2019 के अंत तक मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) और टेरर फाइनेंसिंग (Terror Financing) पर अंकुश लगाने के लिए कार्रवाई की योजना को लागू करने के लिए कहा था, लेकिन बाद में कोरोना वायरस महामारी के कारण पाकिस्तान को दी गई अवधि बढ़ा दी गई. एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने राजनयिक सूत्रों के हवाले से बताया कि पाकिस्तान अगले साल जून तक एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने में सफल होगा. यह भी पढ़ें: पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर अध्यक्ष सरदार मसूद खान ने कहा- भारत के साथ वार्ता संयुक्त राष्ट्र के तहत होनी चाहिए

हालांकि एफएटीएफ की प्लेनरी में तुर्की ने खुलकर पाकिस्तान का समर्थन करते हुए सदस्य देशों से कहा कि पाकिस्तान के अच्छे कामों पर विचार करना चाहिए और 27 में से 6 मानदंडों को पूरा करने के लिए थोड़ा और इंतजार करना चाहिए, लेकिन तुर्की के इस प्रस्ताव को बाकी सदस्य देशों ने खारिज कर दिया. इसके साथ ही पाकिस्तान की सरजमीं से चल रही आतंकी गतिविधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की इस मुल्क की प्रतिबद्धता से अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी संतुष्ट नजर नहीं आए.

पाकिस्तान का एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में बने रहना इमरान खान सरकार की मुश्किलें और बढ़ा सकता है. इससे पहले से ही कंगाली के हाल में जी रहे पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बद से बदतर हो सकती है. ग्रे लिस्ट में बने रहने पर पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), वर्ल्ड बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद मिलना भी काफी मुश्किल हो जाएगा. यह भी पढ़ें: Coronavirus in Pakistan: पाकिस्तान में फिर तबाही मचा सकता है कोरोना वायरस, इमरान हुए परेशान

ज्ञात हो कि एफएटीएफ एक अंतर सरकारी निकाय है, जिसकी स्थापना साल 1989 में मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फाइनेंसिंग और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता के लिए अन्य संबंधित खतरों का मुकाबला करने के लिए स्थापित किया गया है. वर्तमान में इसके दो क्षेत्रीय संगठनों यूरोपीय आयोग और खाड़ी सहयोग परिषद सहित 39 सदस्य हैं.

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