इस्लामाबाद, 7 जून: पाकिस्तान के लोगों के लिए वित्तीय वर्ष 2020 सबसे खराब साल रहा है, क्योंकि उन्होंने दुनिया में सबसे ज्यादा महंगाई देखी और नीति निर्माताओं को भी मजबूरन ब्याज दर बढ़ाना पड़ा. स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (State Bank of Pakistan) ने यह जानकारी दी है. एसबीपी द्वारा शनिवार को अप्रैल के लिए जारी इन्फ्लेशन मॉनिटर में कहा गया, "पाकिस्तान ने न केवल विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में, बल्कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले भी सबसे ज्यादा महंगाई देखी."
डॉन न्यूज के मुताबिक, एसबीपी ने वित्त वर्ष के दौरान मुद्रास्फीति के दबाव को कम करने के लिए ब्याज दरों को बढ़ा दिया, लेकिन उच्च दरों ने उलटा असर दिखाया, क्योंकि इससे महंगाई और बढ़ा गई. जबकि निजी क्षेत्र ने ज्यादा पैसा उधार लेना बंद कर दिया, जिससे औद्योगिक विकास और सेवाओं में बाधा आ गई.
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जनवरी में 14.6 फीसदी के साथ 12 साल की उच्च महंगाई रही. बढ़ती कीमतों के जवाब में एसबीपी ने ब्याज दरों को बढ़ाकर 13.25 प्रतिशत कर दिया. हालांकि, कोरोनावायरस महामारी के उभरने के साथ पूरा आर्थिक परिदृश्य पलट गया क्योंकि मांग में कमी के कारण महंगाई दर में कमी आई और एसबीपी ने ब्याज दरों में केवल तीन महीनों के भीतर 5.25 प्रतिशत की कटौती कर दी.
दर में कटौती की घोषणा के रूप में मंहगाई की रफ्तार कम हो गई और मई में यह गिर कर 8.2 प्रतिशत पर आ गई, जो महीने के लिए एसबीपी अनुमानों की तुलना में बहुत कम है. चालू वित्त वर्ष के लिए जुलाई-मई की मुद्रास्फीति स्टेट बैंक के पहले के 11 प्रतिशत के अनुमान से नीचे फिसलकर 10.94 प्रतिशत हो गई. जून में संख्या में और गिरावट आने की उम्मीद है. सरकार ने दो महीने के दौरान पेट्रोलियम की कीमतों में तीन बार कटौती की है, जिसने उत्पादन, परिवहन की लागत को काफी कम कर दिया और अंत में मंहगाई घट गई.