पाकिस्तान की हेकड़ी हुई कम, जानिए क्यों मंडरा रहा था 'ब्लैक लिस्ट' होेने का खतरा
इस्लामाबाद ने इस कार्रवाई से बचने के लिए काले धन को वैध बनाने की प्रक्रिया पर लगाम लगाने के मकसद से 26 सूत्रीय कार्यक्रम की पेशकश की थी. जिससे आतंकियों को आर्थिक मदद पहुंचाने वाली गतिविधियों को रोका जा सके.
नई दिल्ली: पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के लिए एक बुरी खबर सामने आयी है. बताना चाहते है कि
पाकिस्तान द्वारा आतंकवादियों की फंडिंग रोक पाने में विफल रहने के कारण फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने उसे निगरानी सूची (ग्रे लिस्ट) में डाल दिया है. इस्लामाबाद की तरफ से अपना पक्ष रखने के लिए अंतरिम वित्त मंत्री शमशाद अख्तर को पेरिस में चल रही एफएटीएफ की बैठक में भेजा गया था. इस्लामाबाद के खिलाफ ये फैसला संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकी संगठनों की फंडिंग के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं करने को लेकर लिया गया.
ज्ञात हो कि इस्लामाबाद ने इस कार्रवाई से बचने के लिए काले धन को वैध बनाने की प्रक्रिया पर लगाम लगाने के मकसद से 26 सूत्रीय कार्यक्रम की पेशकश की थी. जिससे आतंकियों को आर्थिक मदद पहुंचाने वाली गतिविधियों को रोका जा सके.
इसके साथ ही पाकिस्तानी अखबारों की मानें तो इस्लामाबाद ने पिछले महीने बैंकॉक में हुई एफएटीएफ (FATF) की बैठक में आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई से जुड़ी योजना का ब्लू प्रिंट पेश किया था.
बता दें कि इसकी स्थापना 1989 में हुई थी. इसमें 37 स्थायी सदस्य हैं. इजरायल और सऊदी अरब पर्यवेक्षक की भूमिका में हैं. पाकिस्तान अभी एफएटीएफ की ‘ग्रे लिस्ट’ में है. हालिया महीनों में पाकिस्तान ऐसे देशों की सूची में शामिल होने से बचने की पूरी कोशिश करता रहा है जिन्हें एफएटीएफ (FATF) धनशोधन-निरोधक नियमों और आतंकवादी वित्तपोषण नियमन का पालन नहीं करने वाला मानता है.