पाकिस्तान सरकार ने कहा है कि वो पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पीटीआई को बैन करेगी. सत्ताधारी पीएमएलएन पार्टी का कहना है कि पीटीई पर प्रतिबंध लगाने के काफी आधार हैं.पीएमएलएन सरकार में सूचना मंत्री अताउल्ला तरार ने सोमवार को पत्रकारों को बताया कि उनकी सरकार ने पीटीआई पर बैन लगाने का फैसला कर लिया है. इस्लामाबाद में पत्रकारों से बात करते हुए तरार ने कहा कि अगर पाकिस्तान को आगे बढ़ना है तो वो पीटीआई की मौजूदगी में नहीं हो सकता.
पाकिस्तान के डॉन अखबार के मुताबिक तरार ने कहा कि विदेशी फंडिंग मामला, नौ मई के दंगों का मामला, साइफर लीक मामला और "अमेरिका में पारित किए गए प्रस्ताव को देखते हुए, हमें विश्वास है कि पीटीआई को बैन करवाने के काफी सबूत हैं."
पीटीआई को मिलने वाली थी राहत
उन्होंने आगे कहा, "हम पीटीआई पर प्रतिबंध लगाएंगे और हमें विश्वास है कि संविधान का अनुच्छेद 17 सरकार को राजनीतिक दलों को बैन करने की शक्ति देता है और हम यह मामला सुप्रीम कोर्ट में ले कर जाएंगे." सरकार की घोषणा पीटीआई और इमरान खान को राहत दिलाने वाली कई अदालती घोषणाओं के बाद आई.
शुक्रवार, 12 जुलाई को पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने पीटीआई को 20 अतिरिक्त ज्यादा संसदीय सीटें देने का फैसला किया. उसके बाद शनिवार को इस्लामाबाद में एक अदालत ने अवैध शादी के एक मामले में फैसला दिया की खान दोषी नहीं हैं.
इसके अलावा कुछ ही दिनों पहले संयुक्त राष्ट्र की एक समिति ने कहा कि खान को जेल में बंद रखने का "कोई कानूनी आधार नहीं है और ऐसा लगता है कि इसके पीछे उन्हें चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित किया जाना उद्देश्य है."
समिति ने उन्हें तुरंत जेल से रिहा करने की मांग की. इमरान खान को फरवरी में हुए चुनावों से ठीक पहले भ्रष्टाचार के एक मामले में दोषी पाए जाने के बाद जेल में बंद कर दिया गया था और उनकी पार्टी के खिलाफ भी कई कदम उठाए गए थे.
किन मामलों में फंसे हैं इमरान खान
फरवरी में इस्लामाबाद की एक विशेष अदालत ने भ्रष्टाचार के आरोप में इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी को 14 साल जेल की सजा सुनाई. अदालत ने फैसला सुनाया कि इमरान खान ने साल 2018 से 2022 तक प्रधानमंत्री रहते हुए लाखों रुपये के सरकारी उपहार बेचे थे.
उससे एक दिन पहले, अदालत ने इमरान खान और पीटीआई के उपाध्यक्ष शाह महमूद कुरेशी को सरकारी गोपनीय सूचनाओं को उजागर करने के आरोप में 10 साल जेल की सजा सुनाई थी.
यह मामला एक राजनयिक केबल या एक सिफर से संबंधित है जिसके बारे में खान ने दावा किया था कि यह उनके निष्कासन में अमेरिका की भूमिका का सबूत है. पार्टी के नेताओं को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ना पड़ा था और इसके बावजूद उसके जीतने वाले नेताओं की संख्या किसी भी पार्टी के नवनिर्वाचित सांसदों से ज्यादा थी. खान 2018 में सत्ता में आए थे और पाकिस्तान की सेना के साथ मनमुटाव होने के बाद उन्हें 2022 में सत्ता से बेदखल कर दिया गया था.