इस्लामाबाद : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने देश की कारोबारी बिरादरी से दो टूक अंदाज में कहा कि वह दबाव और हड़ताल के सामने झुकने वालों में से नहीं हैं और देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए उठाए गए कदम वापस नहीं लिए जाएंगे. पाकिस्तान के व्यापारी समुदाय ने बजट में लगाए गए कई तरह के करों के खिलाफ बीती 13 जुलाई को देशव्यापी हड़ताल की थी.
व्यापारियों का कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के इशारे पर थोपे गए कर देश में कारोबार की रीढ़ तोड़ देंगे. लेकिन, इमरान ने साफ कर दिया कि वह करों को वापस नहीं लेंगे. उन्होंने अपील की कि देश के विकास के लिए सभी कर चुकाएं. देश के पास पर्याप्त वित्तीय संसाधन नहीं हैं.
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पाकिस्तानी मीडिया में बुधवार को प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरांवाला चेंबर आफ कॉमर्स के एक समारोह में इमरान ने कहा कि उन्हें लगता है कि व्यापारियों व उद्यमियों की हड़ताल के डर से अगर वह अपने कदम वापस खींचते हैं तो यह देश के साथ गद्दारी के समान होगा.
उन्होंने कहा कि लोग चाहते हैं कि अच्छे स्कूल, विश्वविद्यालय और अस्पताल हों. यह तभी मुमकिन है जब सरकार के पास पर्याप्त संसाधन हों. कर उगाही का उल्लेख करते हुए उन्होंने कारोबारी समुदाय व अन्य लोगों से सरकार का साथ देने की अपील की. उन्होंने कहा कि कर संग्रह देश के विकास की बुनियादी शर्त है.
इमरान ने कहा, "अगर कोई सोचता है कि देशव्यापी हड़ताल के बाद मैं अपने कदम पीछे खींच लूंगा तो मैं ऐसा नहीं करने जा रहा हूं. मेरा सब कुछ पाकिस्तान में है. मेरा जीना-मरना पाकिस्तान में है. जो काम आपके लिए करूंगा, उसे अपने लिए किया गया समझ कर करूंगा."
उन्होंने कहा कि सरकार सभी को कर के दायरे में लाएगी. 22 करोड़ लोगों के देश में सिर्फ 15 लाख लोग टैक्स दे रहे हैं. अगर सभी थोड़ा-थोड़ा टैक्स भी दे दें, तो बहुत हो जाएगा. देश पर सवार अरबों का कर्ज चुकाना है और विकास भी करना है.