नीदरलैंड ने गुरुवार को कहा कि, वह इंडोनेशिया और श्रीलंका को औपनिवेशिक समय की सैकड़ों कलाकृतियां वापस सौंप देगा. जिसमें खजाना और एक रत्न जड़ित कांसे की तोप भी शामिल है.यह फैसला नियुक्त आयोग की सिफारिशों के बाद लिया गया है, जो नीदरलैंड में संग्रहालयों में प्रदर्शित किए जा रहे अवैध डच औपनिवेशिक अधिग्रहणों की जांच कर रहा था. आयोग ने पिछले साल सरकार से लगभग 478 चीजोंको वापस करने की सिफारिश की थी.
संस्कृति, शिक्षा और विज्ञान विभाग के डच उप मंत्री गुने उसलू ने कहा, "औपनिवेशिक संदर्भ में ये सिफारिशें संग्रह से जुड़ी समस्याओं से निपटने में एक मील का पत्थर हैं.' इस आयोग को इंडोनेशिया के अनुरोध के बाद बनाया गया. इंडोनेशिया ने पूर्व औपनिवेशिक शासकनीदरलैंड से कुछ कलाकृतियों और प्राकृतिक इतिहास संग्रहों की वापसी की बात कही थी.
वापस सौंपी जाने वाली कुछ वस्तुओं में सैकड़ों सोने और चांदी की वस्तुओं का तथाकथित "लोम्बोक खजाना" शामिल है. इस खजाने को 1894 में इंडोनेशिया के लोम्बोक द्वीप पर काक्रानेगरा महल पर कब्जा करने के बाद डच औपनिवेशिक सेना ने लूट लिया था.
18वीं सदी का रत्नजड़ित तोप श्रीलंका के एक रईस ने लेवके दिसावा ने कैंडी के राजा को 1745-46 में भेंट दी थी. माना जाता है कि जब 1765 में डच सेना ने सिलोन के गवर्नर लुबर्ट यान वॉन एक के नेतृत्व में कैंडी पर हमला कर उसे जीत लिया तो उसी दौरान यह तोप भी उनक हाथ लगी. नीदरलैंड्स में हर जगह दिखाये जाने के बाद इसे एम्सटर्डम के रिज्क्स म्यूजियम को सौंप दिया गया.
तोप को फिलहाल एम्स्टर्डम में रिज्क्स म्यूजियम के संग्रह में रखा गया है, रिज्क्स म्यूजियम के निदेशक टैको डिबिट्स ने कहा, "यह पुनर्स्थापना श्रीलंका के साथ सहयोग में एक सकारात्मक कदम है." सरकारी प्रसारक एनओएस ने कहा कि आयोग भविष्य में अन्य कलाकृतियों के बारे में फैसला देगा.
मालूम हो, नीदरलैंड हाल के वर्षों में अपने औपनिवेशिक अतीत की विरासत से जूझ रहा है. डच राजा विलेम-अलेक्जेंडर ने शनिवार को औपनिवेशिक युग की गुलामी में नीदरलैंड की भागीदारी के लिए एक ऐतिहासिक शाही माफी जारी की.