Nawaz Sharif Praises India: पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ ने की भारत की तारीफ, बोले- हमारे पड़ोसी चांद पर पहुंच गए, हम जमीन से नहीं उठ रहे

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने एक बार फिर से भारत की तारीफ की है. नवाज शरीफ ने बुधवार को पार्टी कैडर को संबोधित करते हुए कहा कि भारत चांद पर पहुंच गया है लेकिन पाकिस्तान अभी भी जमीन से ऊपर नहीं उठ पाया है. बता दें कि नवाज शरीफ खैबर-पख्तूनख्वा के मनसेहरा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे.

Nawaz Sharif | Photo Credits ANI

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने एक बार फिर से भारत की तारीफ की है. नवाज शरीफ ने बुधवार को पार्टी कैडर को संबोधित करते हुए कहा कि भारत चांद पर पहुंच गया है लेकिन पाकिस्तान अभी भी जमीन से ऊपर नहीं उठ पाया है. उन्होंने कहा कि हमारे पड़ोसी चांद पर पहुंच गए हैं लेकिन हम अभी तक जमीन से ऊपर नहीं उठ पाए हैं. यह ऐसे ही चलता नहीं रह सकता, बता दें कि नवाज शरीफ खैबर-पख्तूनख्वा के मनसेहरा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे. उनके दामाद कैप्टन (सेवानिवृत्त) मुहम्मद सफदर ने यह जानकारी दी है. इससे पहले नवाज शरीफ ने देश के संकटों के लिए शक्तिशाली सैन्य प्रतिष्ठान पर परोक्ष निशाना साधते हुए मंगलवार को कहा था कि नकदी संकट से जूझ रहे देश की परेशानियों के लिए न तो भारत जिम्मेदार है और न ही अमेरिका, बल्कि ‘हमने अपने पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मारी’ है.

चौथी बार पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे 73 वर्षीय शरीफ ने पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के टिकट के दावेदारों के साथ बातचीत के दौरान कहा कि उन्हें तीन बार-1993, 1999 और 2017 में सत्ता से बेदखल किया गया था. शरीफ ने कहा, ‘‘आज पाकिस्तान (अर्थव्यवस्था की स्थिति के लिहाज से) जिस स्थिति में है, उसके लिए भारत, अमेरिका या अफगानिस्तान जिम्मेदार नहीं है. असलियत में तो हमने अपने पैरों पर स्वयं कुल्हाड़ी मारी है… उन्होंने (सेना ने) 2018 के चुनावों में धांधली करके इस देश पर एक चयनित (सरकार) थोप दी, जिसके कारण आम जनता परेशान हुई और अर्थव्यवस्था की स्थिति खराब हो गई.’’

उन्होंने सैन्य तानाशाहों को वैध ठहराने के लिए न्यायाधीशों की आलोचना की और कहा, ‘‘जब वे संविधान तोड़ते हैं तो न्यायाधीश उन्हें (सैन्य तानाशाहों को) माला पहनाते हैं और उनके शासन को वैध ठहराते हैं. जब बात प्रधानमंत्री की आती है तो न्यायाधीश उसे पद से हटाने पर मुहर लगा देते हैं. न्यायाधीश संसद को भंग करने के कृत्य को भी मंजूरी देते हैं…क्यों?’’

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