एर्दोवान को चुनौती देने वाले इस्तांबुल के मेयर हिरासत में
तुर्की में राष्ट्रपति एर्दोवान को सबसे कड़ी चुनौती देते दिख रहे राजनेता को हिरासत में ले लिया गया है.

तुर्की में राष्ट्रपति एर्दोवान को सबसे कड़ी चुनौती देते दिख रहे राजनेता को हिरासत में ले लिया गया है. 2028 के चुनाव पर पहले उन पर आतंकवाद से जुड़े गंभीर आरोप लगाए गए हैं.तुर्की के प्रशासन ने राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोवान के मुख्य राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी और इस्तांबुल के लोकप्रिय मेयर एकरम इमामोग्लु को भ्रष्टाचार और एक आतंकवादी गुट की मदद करने सहित कई आरोपों में हिरासत में लिया. 19 मार्च को हुई कार्रवाई को मुख्य विपक्षी दल- रिपब्लिकन पीपल्स पार्टी (सीएचपी) ने "हमारे अगले राष्ट्रपति के खिलाफ एक तख्तापलट" करार दिया है.
इमामोग्लु, सीएचपी के एक लोकप्रिय और प्रभावशाली नेता हैं. कुछ दिन बाद पार्टी उन्हें 2028 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए पार्टी का आधिकारिक उम्मीदवार घोषित करने वाली थी. इमामोग्लु की हिरासत देश भर में विपक्षी नेताओं पर महीनों से चल रही कानूनी कार्रवाई की एक कड़ी है. आलोचक कहते हैं कि ऐसा इन नेताओं की चुनावी भविष्य को नुकसान पहुंचाने के लिया जा रहा है.
ताजा कार्रवाई के बाद तुर्की की मुद्रा 'लीरा' 12 फीसदी गिरकर- 1 डॉलर के मुकाबले 42 पर, रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई. एर्दोवान पिछले 22 साल से तुर्की की सत्ता पर काबिज हैं. तुर्की की लगातार गिरती करंसी इस नाटो देश की आर्थिक और सामाजिक कमजोरी को भी दर्शाती है.
सरकार ने नकारे विपक्ष के सारे आरोप
इमामोग्लु पर दो जांचें बिठाई गई हैं. पहली जांच पर इस्तांबुल के प्रॉसिक्यूटर ऑफिस ने कहा कि पत्रकारों और कारोबारियों समेत कुल 100 लोगों पर नगरपालिका के जारी किए कुछ टेंडरों में आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने का शक है.
दूसरी जांच में इमामोग्लु और छह अन्य लोगों पर कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (पीकेके) की मदद करने का आरोप लगाया गया है. तुर्की और उसके पश्चिमी सहयोगी इसे एक आतंकवादी संगठन मानते हैं. जेल में बंद इस पार्टी के प्रमुख अब्दुल्ला ओकालान ने बीते फरवरी महीने में अपने समर्थकों से हथियार डालने के लिए कहा था. यह 40,000 से ज्यादा जानें लेने वाले हिंसक संघर्ष को खत्म करने की दिशा में एक बड़ा कदम था.
तुर्की सरकार ने विपक्ष के सभी आरोपों को सिरे से नकारते हुए कहा कि देश की न्याय पालिका स्वतंत्र है. 54 साल के इमामोग्लु, जो कुछ सर्वेक्षणों में एर्दोवान से आगे दिख रहे हैं, दो अलग जांचों का सामना कर रहे हैं. उन पर अपराधिक संगठन का नेतृत्व करने, रिश्वतखोरी और टेंडर में हेराफेरी के आरोप भी हैं.
सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में, इस्तांबुल के दो बार के मेयर इमामोग्लु ने कहा कि वह हार नहीं मानेंगे और दबाव के सामने डटे रहना जारी रखेंगे.
नागरिक अधिकारों पर काम करने वाले एनजीओ- ह्यूमन राइट्स वॉच ने मेयर इमामोग्लु के खिलाफ लगाए गए आरोपों को "राजनीति से प्रेरित और फर्जी" बताया और कहा कि उन्हें तुरंत रिहा किया जाना चाहिए. राष्ट्रपति एर्दोवान के दफ्तर ने हिरासत को राजनीतिक कदम बताने वाले दावों के बारे में पूछे जाने पर तुरंत कोई टिप्पणी नहीं की.
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'तख्तापलट की कोशिश'
सीएचपी नेता ओजगुर ओजेल ने हिरासत को "तख्तापलट की कोशिश" बताया और विपक्षी दलों से एकजुट होने की अपील की. उन्होंने कहा कि जो कुछ हुआ है, उसके बावजदू पार्टी रविवार (23 मार्च) को इमामोग्लु को अपने नेता के रूप में चुनेगी. ओजेल ने कहा, "तुर्की, अगले राष्ट्रपति के खिलाफ एक तख्तापलट से गुजर रहा है. हम यहां तख्तापलट की एक कोशिश का सामना कर रहे हैं."
इमामोग्लु की डिग्री रद्द
18 मार्च को इस्तांबुल विश्वविद्यालय ने इमामोग्लु की डिग्री रद्द कर दी. वह विश्वविद्यालय के फैसले को अदालत में चुनौती देंगे. लेकिन वहां भी डिग्री बहाल ना हुई तो उन्हें राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है. तुर्की के कानून के हिसाब से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के पास उच्च शिक्षा होनी जरूरी है.
तुर्की में अगला चुनाव 2028 में होना है. पहले प्रधानमंत्री रहे एर्दोवान, राष्ट्रपति के रूप में अपना दूसरा कार्यकाल पूरा कर रहे हैं. अगर वह फिर से चुनाव लड़ना चाहते हैं तो उन्हें अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले जल्द चुनाव करवाना होगा या फिर संविधान में संशोधन करना होगा. एर्दोवान को पिछले साल अपनी सबसे बुरी चुनावी हार का सामना करना पड़ा था. देशभर में हुए निकाय चुनावों में इमामोग्लु की सीएचपी ने तुर्की के उन बड़े शहरों और नगर पालिकाओं में जीत दर्ज की जो एर्दोवान के सत्तारूढ़ दल- एके पार्टी का गढ़ मानी जाती थीं.
विरोध-प्रदर्शन और सोशल मीडिया पर पाबंदियां
इस्तांबुल के गवर्नर ने शहर में चार दिनों के लिए सभी बैठकों और प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगा दिया है. तुर्की में लोग एक्स, यूट्यूब, इंस्टाग्राम और टिकटॉक समेत तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स तक सीमित पहुंच और पाबंदियों की बात रहे हैं. एक इंटरनेट ऑब्जरवेटरी ने भी इस बात की पुष्टि की है. इसके अलावा विरोधियों पर बढ़ती सख्त कानूनी कार्रवाई में कई नए आरोप पत्र दाखिल किए जा रहे हैं और विपक्ष के शासन वाली नगर पालिकाओं में सरकारी ट्रस्टियों की नियुक्तियां हो रही हैं.
आरएस/ओएसजे (एएफपी,रॉयटर्स,डीपीए)