हथियारबंद विद्रोही से नेता बने अनुरा कुमार डिसानायके श्रीलंका के नए राष्ट्रपति होंगे. गरीब परिवार से आने वाले डिसानायके ने बहुत उतार-चढ़ाव देखे हैं.श्रीलंका के नव-निर्वाचित वामपंथी राष्ट्रपति अनुरा कुमार डिसानायके ने रविवार को अपने देशवासियों से आह्वान किया कि वे आर्थिक संकट से जूझ रहे अपने देश के इतिहास को "दोबारा लिखने" में मदद करें. डिसानायके ने एक ऐसा चुनाव जीता है, जो अभूतपूर्व आर्थिक संकट से पैदा हुए असंतोष से प्रभावित था.
55 वर्षीय अनुरा कुमार डिसानायके पीपल्स लिबरेशन फ्रंट के नेता हैं. उन्हें चुनाव में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी से लगभग 13 लाख अधिक वोट मिले. चार साल पहले हुए संसदीय चुनावों में उनकी पार्टी को केवल चार प्रतिशत वोट मिले थे, लेकिन आर्थिक संकट के कारण जनता में व्यापक असंतोष ने उन्हें जबरदस्त समर्थन दिलाया.
चुनाव परिणामों की घोषणा के तुरंत बाद उन्होंने कहा, "जो सपना हमने सदियों से देखा था, वह आखिरकार सच हो रहा है. यह जीत हम सबकी है. लाखों आंखें उम्मीद और अपेक्षा से भरी हैं, और हम सभी मिलकर श्रीलंका के इतिहास को फिर से लिखने के लिए तैयार हैं."
कौन हैं डिसानायके?
55 वर्षीय अनुरा कुमार डिसानायके एक मजदूर परिवार से आते हैं. उनकी पार्टी, पीपल्स लिबरेशन फ्रंट (जेवीपी) श्रीलंका के इतिहास में दो हिंसक विद्रोहों से जुड़ी है. वह दो बच्चों के पिता हैं और एक साधारण पारिवारिक जीवन जीते हैं. बचपन से ही उन्होंने आर्थिक कठिनाइयों का सामना किया, जिससे उनके अंदर गरीब और मेहनतकश लोगों के लिए संवेदनशीलता विकसित हुई.
अपने राजनीतिक करियर में डिसानायके हमेशा मुख्यधारा की राजनीति से दूर रहे. वह 1980 के दशक में जेवीपी के दूसरे सशस्त्र विद्रोह के दौरान एक छात्र नेता के रूप में उभरे, जिसमें हजारों लोग मारे गए थे. 2014 में उन्होंने जेवीपी का नेतृत्व संभाला और घोषणा की कि पार्टी अब कभी हथियार नहीं उठाएगी.
उनके कोलंबो स्थित ऑफिस में कार्ल मार्क्स, व्लादिमीर लेनिन और फिदेल कास्त्रो की तस्वीरें टंगी हैं, जो उनके मार्क्सवादी विचारों का प्रतीक हैं. हालांकि, हाल के वर्षों में उन्होंने आर्थिक नीतियों पर अपने रुख को नरम किया है. डिसानायके ने श्रीलंका की राजनीतिक संस्कृति को बदलने का संकल्प लिया है और भारत और चीन के साथ संतुलित संबंध रखने का वादा किया है.
भारत के साथ संबंध
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि वे श्रीलंका के नवनिर्वाचित वामपंथी राष्ट्रपति अनुरा कुमार डिसानायके के साथ "करीबी सहयोग" करने की उम्मीद कर रहे हैं. मोदी ने सोशल मीडिया साइट 'एक्स' पर कहा, "मैं आपके साथ करीबी से काम करने और हमारे लोगों और पूरे क्षेत्र के लाभ के लिए हमारे बहुआयामी सहयोग को और मजबूत करने के लिए उत्सुक हूं."
डिसानायके की पार्टी ने भारत को आश्वस्त किया है कि उनके नेतृत्व में कोई भी प्रशासन भारत और चीन के बीच भू-राजनीतिक संघर्ष में नहीं फंसेगा. दक्षिण एशिया में भारत और चीन अपना-अपना प्रभुत्व जमाने की कोशिश करते हैं जिसका असर तमाम देशों पर होता है.
बिमल रतनायके ने कहा, "श्रीलंका की भूमि का इस्तेमाल किसी अन्य राष्ट्र के खिलाफ नहीं किया जाएगा. हम क्षेत्रीय भू-राजनीतिक स्थिति से पूरी तरह वाकिफ हैं, लेकिन हम इसमें हिस्सेदार नहीं बनेंगे."
चुनाव के नतीजे
श्रीलंका के 1.71 करोड़ मतदाताओं में से लगभग 76 प्रतिशत ने शनिवार के चुनाव में मतदान किया. वर्तमान राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने फिर से चुनाव लड़ने की कोशिश की थी ताकि वे आर्थिक स्थिरता को जारी रख सकें. उनके शासन के दौरान देश में खाने-पीने के सामान, ईंधन और दवाओं की कमी खत्म हुई थी. लेकिन उनके द्वारा लागू किए गए टैक्स और आईएमएफ बेलआउट पैकेज के तहत अन्य कड़े कदमों ने लाखों लोगों को मुश्किल में डाल दिया. 2021 और 2022 के बीच श्रीलंका की गरीबी दर दोगुनी होकर 25 प्रतिशत हो गई, जिससे 25 लाख से अधिक लोग गरीबी रेखा से नीचे चले गए.
विक्रमसिंघे ने 2022 के आर्थिक संकट के चरम पर सत्ता संभाली थी और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के बेलआउट के तहत कड़े कदम उठाए थे. वह चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे. उन्हें केवल 17 प्रतिशत वोट मिले. उन्होंने एक बयान में कहा, "इतिहास मेरे प्रयासों का मूल्यांकन करेगा, लेकिन मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि मैंने देश को उसके सबसे अंधकारमय समय में स्थिर करने की पूरी कोशिश की."
विक्रमसिंघे ने डिसानायके को जीत की बधाई दी और कहा कि उन्हें विश्वास है कि डिसानायके श्रीलंका को आगे की स्थिरता और विकास की ओर ले जाएंगे.
अमेरिकी राजदूत जूली चुंग ने भी डिसानायके को बधाई दी और कहा कि वॉशिंगटन उनके प्रशासन के साथ साझा प्राथमिकताओं पर काम करने के लिए तैयार है.
चुनाव आयोग के अधिकारियों ने बताया कि डिसानायके सोमवार सुबह कोलंबो स्थित राष्ट्रपति सचिवालय में शपथ लेंगे.
आर्थिक मोर्चे पर चुनौतियां
आठ हफ्ते तक चले चुनाव प्रचार के दौरान देश के आर्थिक मुद्दे छाए रहे. प्रचार के दौरान विक्रमसिंघे की कठोर नीतियों के खिलाफ काफी गुस्सा देखा गया. डिसानायके की पार्टी के एक नेता बिमल रतनायके ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि नई सरकार आईएमएफ के साथ समझौते को समाप्त नहीं करेगी, लेकिन उसमें बदलाव कराने की कोशिश की जाएगी.
रतनायके ने कहा, "यह एक बाध्यकारी दस्तावेज है, लेकिन इस पर दोबारा बातचीत का प्रावधान है." डिसानायके ने विक्रमसिंघे द्वारा दोगुना किया गया इनकम टैक्स कम करने और खाने-पीने के सामान व दवाओं पर बिक्री कर घटाने का वादा किया है.
शनिवार को मतदान के दौरान हजारों पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई थी. मतदान समाप्त होने के बाद एक अस्थायी कर्फ्यू लगा दिया गया, हालांकि मतदान के दौरान या उसके बाद हिंसा की कोई सूचना नहीं मिली. अंतिम परिणामों की घोषणा के एक सप्ताह बाद तक कोई जीत जुलूस या उत्सव की अनुमति नहीं है.
वीके/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)