यूक्रेनी सेना ने एक बड़ी सैन्य कार्रवाई में रूस को छकाते हुए उसके कई गांवों और कुर्स्क प्रांत के एक अहम शहर पर कब्जा कर लिया है. रूसी सेना, यूक्रेनी सैनिकों को अपने इलाके से बाहर निकालने के लिए संघर्ष करती दिख रही है.यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा है कि यूक्रेनी सेना ने सामरिक दृष्टि से अहम रूस के सुदजा शहर पर पूरी तरह से अपना नियंत्रण बना लिया है. यह शहर कुर्स्क प्रांत में रूस और यूक्रेन की सीमा के पास है.
पश्चिमी साइबेरियन गैस फील्ड की रूसी प्राकृतिक गैस यूक्रेन होते हुए यूरोप भेजी जाती है. गैस की यह आपूर्ति जिस पाइपलाइन से होकर जाती है, उसका मीटर स्टेशन सुदजा जिले के पास है. यूक्रेन का दावा है कि उसने रूस के करीब 1,000 वर्ग किलोमीटर के इलाके पर कब्जा कर लिया है.
यूक्रेन ने हमले की योजना में गोपनीयता रखी
यूक्रेनी सेना ने 6 अगस्त को एक बड़ा दांव खेलते हुए रूस के कुर्स्क प्रांत पर औचक चढ़ाई की. इस सैन्य अभियान में यूक्रेन के करीब 10,000 सैनिक शामिल हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस अभियान को इतना गुप्त रखा गया कि चढ़ाई में शामिल यूक्रेनी सैनिकों को भी बस एक दिन पहले ही ऑपरेशन की जानकारी दी गई.
यह गोपनीयता पिछले साल कीव के बड़े सैन्य अभियान से उलट है. उस समय यूक्रेन ने हमले के अपने लक्ष्य को खुलकर जाहिर करते हुए कहा था कि वह क्रीमिया को रूसी भूभाग से काटना चाहता है. यूक्रेन का यह सैन्य अभियान असफल रहा था.
कुर्स्क पर की गई कीव की ताजा चढ़ाई को फरवरी 2022 से जारी यूक्रेन युद्ध में यूक्रेनी सेना का सबसे विस्तृत अभियान बताया जा रहा है. खबरों के मुताबिक, यह हमला रूस के लिए औचक साबित हुआ और रूसी सेना इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं दिखी. रूस के बॉर्डर गार्ड्स यूक्रेन को कोई खास चुनौती पेश नहीं कर सके.
यूक्रेनी सेना आगे बढ़ते हुए सुदजा के पास पहुंच गई, जो सीमा के भीतर करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर है. समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक, यूक्रेनी सेना को सुदजा में कुछ प्रतिरोध का सामना करना पड़ा. यहां लड़ाई 15 अगस्त तक जारी रही और अब राष्ट्रपति जेलेंस्की ने शहर को पूरी तरह कब्जे में लेने की घोषणा की है. यूक्रेन ने यहां एक मिलिट्री कमांडेंट ऑफिस भी बना लिया है.
यूक्रेनी हमले को देखते हुए रूस को आनन-फानन में करीब दो लाख लोगों को निकालकर सुरक्षित जगह ले जाना पड़ा. मॉस्को स्थित भारत के दूतावास ने भी कुर्स्क, ब्रांस्क और बेलगोरोड प्रांतों में रह रहे भारतीय नागरिकों के लिए अडवाइजरी जारी की है. 14 अगस्त को जारी चेतावनी में भारतीय नागरिकों को सलाह दी गई, "ब्रांस्क, बेलगोरोड और कुर्स्क प्रांतों में हुई सुरक्षा संबंधी हालिया घटनाओं को देखते हुए भारतीय नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे जरूरी एहतियात बरतें और अस्थायी तौर पर इन इलाकों के बाहर चले जाएं."
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रूस ने लगाया नाटो और पश्चिमी देशों पर आरोप
अपनी चढ़ाई के दौरान यूक्रेन ने रूस के कई गांवों पर कब्जा कर लिया. यूक्रेन के सैन्य अधिकारियों का दावा है कि उन्होंने सैकड़ों लोगों को बंदी बनाया है. दूसरे विश्व युद्ध में नाजी जर्मनी के हमले के बाद यह रूस पर हुआ अब तक का सबसे बड़ा आक्रमण बताया जा रहा है.
रूसी सेना हमलावर यूक्रेनी सेना को अपने इलाके से बाहर नहीं निकाल पाई है. विश्लेषकों के मुताबिक, यूक्रेन के इस हमले ने रूस की सैन्य कमजोरियों को उजागर कर दिया है. रूस ने यूक्रेन की इस कामयाबी पर प्रतिक्रिया करते हुए इल्जाम लगाया कि हमले में अमेरिका के नेतृत्व में नाटो और पश्चिमी देशों ने कीव की मदद की.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सहयोगी निकोलाई पेट्रूश्चेव ने आरोप लगाया, "कुर्स्क प्रांत में हुए ऑपरेशन की योजना नाटो और पश्चिमी विशेष सेवाओं की भी भागीदारी के साथ तैयार की गई. अमेरिकी नेतृत्व के बयान कि वो कुर्स्क प्रांत में कीव के अपराधों में शामिल नहीं थे, सच नहीं हैं. उनकी भागीदारी और सीधे समर्थन के बिना कीव रूसी भूभाग में दाखिल नहीं हुआ होता."
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया करते हुए रूस के एक सांसद मिखाएल शेरेमेट ने तीसरा विश्व युद्ध छिड़ने की आशंका जताई. शेरेमेट ने रूसी न्यूज एजेंसी आरआईए से कहा, "पश्चिमी सैन्य उपकरणों की मौजूदगी, नागरिक ढांचे पर हमले में पश्चिमी गोलाबारूद और मिसाइलों का इस्तेमाल और रूसी भूभाग पर हुए हमले में विदेशियों की भागीदारी के ठोस सबूतों को ध्यान में रखते हुए, इस निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है कि दुनिया तीसरे विश्व युद्ध की कगार पर खड़ी है."
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रूस की सैन्य प्रतिक्रिया धीमी रही
रूस के सैन्य नेतृत्व ने शुरुआत में यूक्रेनी सेना को रोकने के लिए लड़ाकू विमानों और हेलिकॉप्टरों का इस्तेमाल किया. थिंक टैंक 'कारनिगी इनडाउमेंट' से जुड़े एक सैन्य विश्लेषक मिषाएल कोफमन ने रूसी सेना की कमजोरी को रेखांकित करते एक पॉडकास्ट में कहा, "ऐसी किसी स्थिति में जब जोशिले ढंग से प्रतिक्रिया करने की जरूरत होती है, तब रूस का प्रदर्शन काफी खराब रहता है. रूसी सेना जब तैयारी के साथ डिफेंस कर रही होती है, तो ज्यादा बढ़िया करती है."
कुर्स्क पर हुए यूक्रेनी हमलों ने रूसी सेना की सीमाएं भी उजागर की हैं. रूस के ब्रांस्क, बेलगोरोड और कुर्स्क प्रांत यूक्रेन के साथ करीब 1,160 किलोमीटर लंबी सीमा से जुड़े हैं. इनमें से 245 किलोमीटर की सीमा कुर्स्क के साथ लगी है.
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एपी के मुताबिक, फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद से ही यहां सुरक्षा इंतजाम बहुत मामूली रहे हैं. रूस की सबसे सक्षम सैन्य टुकड़ियां पूर्वी यूक्रेन में लड़ रही हैं. रूसी ड्रोन, निगरानी के उपकरण और खुफिया व्यवस्था भी पूर्वी यूक्रेन पर केंद्रित हैं. इन सब वजहों से यूक्रेन को घने जंगलों की आड़ में अपनी सेना सीमा के पास लाने में मदद मिली. यूक्रेनी सैनिक कई दिशाओं से कुर्स्क में भीतर तक घुस आए.
इस ऑपरेशन से क्या हासिल करना चाहता है यूक्रेन
कुर्स्क में मिली जीत के बाद आगे की रणनीति क्या होगी, इस बारे में यूक्रेन ने कोई संकेत नहीं दिया है. वह जीता हुआ भूभाग अपने नियंत्रण में रखने की कोशिश करेगा, कुर्स्क में पांव जमाएगा, रूसी भूभाग में और आगे बढ़ेगा या वापस यूक्रेन में लौट आएगा, इसपर कयास लगाए जा रहे हैं.
हालांकि, ब्रिटिश अखबार गार्डियन ने यूक्रेन के कमांडर इन चीफ कनर्ल जनरल ओलेक्सांदर सुर्स्की के हवाले से बताया कि यूक्रेनी सेना कुर्स्क प्रांत में आगे बढ़ रही है. जानकारों के मुताबिक, कुर्स्क में जमने का विकल्प जोखिम भरा है. सीमा के इतने भीतर यूक्रेनी सप्लाई लाइनों पर रूसी हमले का खतरा बना रहेगा. लंदन स्थित रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टिट्यूट के मिलिट्री साइंस डायरेक्टर मैथ्यू सेवेल ने एपी से बातचीत में कहा कि इस विकल्प में मुख्य जोखिम यह है कि युद्ध का मोर्चा और बड़ा हो जाएगा.
कुर्स्क ऑपरेशन के लिए यूक्रेन ने अपनी कई ब्रिगेडों से टुकड़ियां निकालीं. कुछ को तो मोर्चे के सबसे संवेदनशील हिस्सों से लाया गया. इस फ्रंट को खोले रखने के लिए यूक्रेन को बड़ी संख्या में सैनिकों की जरूरत होगी, जिसकी यूक्रेन में अभी कमी है.
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ऑस्ट्रेलिया के मेजर जनरल मिक रेयान (रिटायर्ड) ने अपने विश्लेषण में कहा कि कुर्स्क में बने रहने की स्थिति में अगर यूक्रेनी सेना बड़ी संख्या में अपने सैनिक खोती है, तो यह कीव के लिए बड़ी सामरिक और राजनीतिक समस्या बन सकती है. उन्होंने संभावना जताई कि यूक्रेनी सेना या तो पीछे लौटकर सीमा के पास ज्यादा सुरक्षित इलाके में रुक सकती है या पूरी तरह यूक्रेन लौट सकती है. जानकार रेखांकित करते हैं कि इस हमले की कामयाबी ने यूक्रेन का मनोबल बढ़ाया है और साबित किया है कि वह भी मौके का फायदा उठाकर युद्ध को रूसी भूभाग में ले जा सकता है.
एसएम/सीके (एपी, रॉयटर्स, एएफपी)