India Canada Row: जस्टिन ट्रूडो ने माना कनाडा में मौजूद हैं खालिस्तानी समर्थक, कहा- सभी हिंदू PM मोदी के समर्थक नहीं हैं

नई दिल्ली: भारत और कनाडा के बीच राजनयिक तनाव अभी भी जारी है, इस बीच कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने पहली बार अपने देश में खालिस्तानी समर्थकों की मौजूदगी को स्वीकार किया है. यह बयान उन्होंने ओटावा के संसद हिल में दिवाली समारोह के दौरान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि कनाडा में खालिस्तान समर्थकों की एक मजबूत जड़ें हैं, लेकिन यह समुदाय पूरी सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते.

भारत और कनाडा के रिश्तों में तनाव

भारत और कनाडा के रिश्तों में तब से खटास आ गई है जब 2023 में ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या कर दी गई. ट्रूडो ने इस हत्या में भारत के संभावित हाथ होने का आरोप लगाया था, जिसके बाद एक राजनयिक विवाद उत्पन्न हुआ, जो अभी भी जारी है. ट्रूडो ने अपने दिवाली संबोधन में कहा कि कनाडा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थक भी हैं, लेकिन वे भी सभी हिंदू कनाडाई समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते.

कनाडा में खालिस्तानी समर्थकों के बढ़ते कदम 

इस हफ्ते कनाडा के ब्रैम्पटन स्थित एक मंदिर में खालिस्तानी झंडे लहराते हुए कुछ प्रदर्शनकारियों ने भक्तों से झड़प की. वीडियो में यह दृश्य वायरल हुआ, जिसमें प्रदर्शनकारी पोल्स के साथ एक-दूसरे को मारते हुए दिखे. ट्रूडो ने इस हिंसा की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि हर कनाडाई को अपनी आस्था के साथ शांति से जीने का अधिकार है.

भारत की चिंता और कनाडा की प्रतिक्रिया 

भारत ने कनाडा में रह रहे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जैस्वाल ने कहा, "3 नवंबर को ब्रैम्पटन में हिंदू सभा मंदिर के पास जो हिंसक घटनाएं हुईं, वे पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं." वहीं, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने इस हिंसा पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कनाडा में हर किसी को अपनी आस्था के साथ सुरक्षित रहने का अधिकार है.

कनाडा द्वारा भारत पर आरोप और सबूतों की कमी 

भारत ने कनाडा के आरोपों को राजनीतिक रूप से प्रेरित करार दिया और कहा कि कनाडा खालिस्तानी समर्थकों को शरण दे रहा है, जो भारत की सुरक्षा के लिए खतरा बने हुए हैं. कनाडा ने दावा किया था कि भारत के एजेंटों का हाथ निज्जर की हत्या में था, लेकिन भारत ने इस आरोप को खारिज कर दिया. हाल ही में ट्रूडो ने एक सार्वजनिक जांच में यह स्वीकार किया कि उनके पास इस हत्या के लिए ठोस प्रमाण नहीं हैं और यह सिर्फ खुफिया जानकारी पर आधारित था.

कनाडा की खुफिया जानकारी और भारत का विरोध 

ट्रूडो ने बताया कि कनाडा के पास भारत के एजेंटों के हत्या में शामिल होने का कोई ठोस प्रमाण नहीं था, बल्कि यह जानकारी खुफिया एजेंसियों से प्राप्त हुई थी. हालांकि, उन्होंने कहा कि कनाडा ने इस मामले में G20 समिट के दौरान भारत के साथ संवाद किया था, लेकिन उस समय उनके पास सिर्फ खुफिया जानकारी थी, न कि ठोस प्रमाण.

भारत ने हमेशा कहा है कि कनाडा खालिस्तानी उग्रवादियों और अलगाववादियों के लिए सुरक्षित ठिकाना बना हुआ है, और इन तत्वों के खिलाफ कड़े कदम उठाने की अपील की थी, लेकिन कनाडा ने इसे गंभीरता से नहीं लिया.

भारत और कनाडा के बीच यह राजनयिक विवाद और गहराता जा रहा है, खासकर तब जब कनाडा ने खालिस्तानी समर्थकों की मौजूदगी को स्वीकार किया है. दोनों देशों के रिश्तों में सुधार की उम्मीदें तभी कायम रह सकती हैं, जब कनाडा भारत की सुरक्षा चिंताओं को गंभीरता से ले और खालिस्तान समर्थक तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू करे.