Japan Earthquake: नए साल के दिन जापान में 7.6 तीव्रता का जो भूकंप आया था उसकी वजह से मारे जाने वालों की संख्या 200 से ज्यादा हो चुकी है. आठ लोगों की मौत तो इवैक्यूएशन केंद्रों पर चोटें लगने और बीमारी की वजह से हुई. इवैक्यूएशन केंद्रों में मारे गए आठ लोगों को मिला कर मरने वालों की कुल संख्या बुधवार तक 206 थी. ज्यादातर लोग इशिकावा प्रांत में नोतो प्रायद्वीप पर मारे गए थे. जैसे जैसे बचाव टीमें मलबे के नीचे से लाशें निकालती रहीं, वैसे वैसे मरने वालों का आंकड़ा रोजाना बढ़ता गया.
91 लोग सुजू शहर में मारे गए, 83 वजीमा में और 20 अनामीजू में. बाकी लोग चार और शहरों में मारे गए. लापता लोगों की संख्या भी धीरे धीरे गिरती गई और इस समय 52 पर है. इशिकावा के अधिकारियों के मुताबिक घायलों की संख्या 567 है और 1,814 मकान या तो बर्बाद हो गए या उन्हें गंभीर नुकसान पहुंचा. 14,000 से ज्यादा घरों में बिजली नहीं है और करीब 59,000 घरों में नल में पानी नहीं है. यह भी पढ़े: भूकंप का दंश! दुख की घड़ी में जापान के साथ है भारत, पीएम मोदी ने पत्र लिखकर जताई संवदेना
मकान गिरने का डर
इवैक्यूएशन केंद्रों पर लोगों की मौत सीधे तौर पर भूकंप या आग या भूस्खलन की वजह से नहीं हुई, बल्कि कथित रूप से सुरक्षित माहौल में हुई. इशिकावा प्रांत के एक आपदा अधिकारी ने बताया, "जहां आपको रहने की आदत ना हो ऐसी जगह पर रहने से पैदा हुए दबाव और तनाव की वजह से यह लोग मारे गए."
जिनके घर या तो टूट गए या उन्हें असुरक्षित मान लिया गया ऐसे करीब 26,000 लोग स्कूलों और अन्य अस्थायी स्थानों में रह रहे हैं. थोड़ी सी बारिश और बर्फ गिरने से भूस्खलन हो सकता है क्योंकि एक हफ्तों से भी ज्यादा समय तक 1,000 से भी ज्यादा झटके आए, जिनकी वजह से मिट्टी ढीली हो गई है. आधे घिर चुके मकान पूरी तरह से गिर सकते हैं.
इंटरनैशनल रिसर्च इंस्टिट्यूट ऑफ डिजास्टर साइंस के निदेशक शिनीची कुरियामा ने 2011 में उत्तर पूर्वी जापान में आए भूकंप, सुनामी और परमाणु आपदा के अध्ययन किया है. उन्होंने चेतावनी दी कि आपदा से गुजर रहे लोगों के मारे जाने की संभावना दोगुनी हो जाती है.
आश्रयों में बुरा हाल
कुरियामा ने कहा कि इशिकावा के इवैक्यूएशन केंद्रों में हुई मौतें उनके लिए आश्चर्यजनक हैं. "मैं स्तंभित हूं. संवाद की केंद्रीय भूमिका होती है और ऐसा लगता है कि अभी उसकी बेहद कमी हो गई है." उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा कमजोर लोग नजरअंदाज हो सकते हैं.
उदाहरण के लिए खाना बांटने के समय वो छूट सकते हैं क्योंकि उन्हें या तो उसकी जानकारी ही नहीं है या वो खाने तक पहुंच नहीं सकते. उन्होंने आगे कहा कि जापान के लोग "भुगतते समय भी शांत" रहते हैं, जिससे हालात और खराब हो सकते हैं.
अधिकारियों ने आश्रयों में भरे हुए लोगों के बीच संक्रामक बीमारियों के फैलने के जोखिम के बारे में भी चेतावनी दी. खाना और पीने की पानी की भी आपूर्ति कम थी, खास कर शुरुआती दिनों में. गिरते तापमान और कठोर हवाओं के बीच लोग ठंडे फर्श पर सो रहे थे, कुछ तो बिना कंबल के. अब 110 होटलों और सरायों में 3,000 लोगों को जगह देने का प्रस्ताव दिया है. उम्मीद की जा रही है कि कुछ लोगों को जल्द ही वहां ले जाया सकेगा.
सीके/एए (एपी)