UN Security Council: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारी मत से चुना गया भारत, फिर बना अस्थाई सदस्य
भारत को 184 वोटों के भारी बहुमत के साथ सुरक्षा परिषद के लिए चुना गया है. गौरतलब है कि आतंकवाद से लड़ने और 'वसुधैव कुटुम्बकम'- विश्व एक परिवार है, की भावना को बढ़ावा देने के लिए भारत को चयनित किया गया है. नई दिल्ली में विदेश मंत्री एस. जयशंकर द्वारा अनावरण किए गए एक अभियान के दौरान, भारत ने अपनी सेवा को 5एस के तौर पर प्रस्तुत किया.
संयुक्त राष्ट्र, 19 जून: भारत को 184 वोटों के भारी बहुमत के साथ सुरक्षा परिषद के लिए चुना गया है. गौरतलब है कि आतंकवाद से लड़ने और 'वसुधैव कुटुम्बकम'- विश्व एक परिवार है, की भावना को बढ़ावा देने के लिए भारत को चयनित किया गया है. लद्दाख में भारत चीन के संघर्ष के कारण बुधवार का यह चुनाव परिणाम चीन के लिए उलट साबित हुआ, जो अब जनवरी में परिषद में शामिल होगा. वहीं नई दिल्ली ने 55 सदस्यीय समूह में सर्वसम्मति से संयुक्त राष्ट्र के सर्वोच्च निर्णय लेने वाले निकाय एशिया पेसिफिक सीट पर जीत दर्ज की.
हालांकि, भारत एशिया से निर्विरोध आगे बढ़ा, वहीं भारत को आठ देशों ने गुप्त मतदान में वोट नहीं दिया, जबकि इस मतदान में 193 सदस्य देशों में से 192 ने भाग लिया था. भारत वीटो शक्तियों के बिना एक गैर-स्थायी सदस्य के रूप में आठवीं बार अपने दो साल के कार्यकाल की सेवा प्रदान करेगा. वहीं, यह एक स्थायी सीट प्राप्त करने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र के सुधारों के समानांतर ट्रैक पर चलेगा. लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई देशों की सीट के लिए निर्विरोध चल रहे मैक्सिको ने 187 मतों से जीत हासिल की.
गौरतलब है कि दस गैर-स्थायी सुरक्षा परिषद की सीटें पांच क्षेत्रीय समूहों के बीच वितरित की जाती हैं और इन पांचों के लिए ही हर साल चुनाव आयोजित किए जाते हैं, क्योंकि ये हर वैकल्पिक वर्ष में रिक्त हो जाते हैं. भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी.एस. तिरुमूर्ति ने एक वीडियो संदेश में कहा, "सुरक्षा परिषद में भारत की उपस्थिति हमारे लोकाचार को दुनिया के सामने लाने में मदद करेगी, जो कि 'वसुधैव कुटुम्बकम- दुनिया एक परिवार है' का है."
नई दिल्ली में विदेश मंत्री एस. जयशंकर द्वारा अनावरण किए गए एक अभियान के दौरान, भारत ने अपनी सेवा को 5एस के तौर पर प्रस्तुत किया, जो कि सम्मान, संवाद, सहयोग, शांति और समृद्धि थे. आतंकवाद से लड़ने के अलावा भारत के लिए संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना को अधिक स्पष्टता, दिशा और व्यावसायिकता सुनिश्चित करना ही प्राथमिकता है.