Israel-Hamas War: गाजा में तत्काल युद्धविराम का प्रस्ताव UNGA में पारित, इजराइल और अमेरिका के खिलाफ हुआ भारत
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नई दिल्ली: इजराइल और हमास जंग के बीच संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत ने अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है कि भारत दोनों देशों के बीच शांति चाहता है. भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक मसौदा प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जिसमें इजराइल-हमास जंग में तत्काल मानवीय युद्धविराम के साथ-साथ सभी बंधकों की बिना शर्त रिहाई की मांग की गई थी. भारत ने तत्काल मानवीय युद्धविराम के प्रस्ताव के समर्थन में मतदान किया. यूएन के 153 सदस्य देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, वहीं 23 देशों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया और 10 देशों ने प्रस्ताव के विपक्ष में वोट किया. Netanyahu Warns Hamas: सिनवार के लिए मत मरो, सरेंडर करो... हमास के लड़ाकों को PM नेतन्याहू की चेतावनी.

193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मंगलवार को एक आपातकालीन विशेष सत्र में मिस्र द्वारा पेश किए गए मसौदा प्रस्ताव को एडॉप्ट किया. यह समर्थन 27 अक्टूबर के उस प्रस्ताव की तुलना में अधिक था जिसमें ‘‘मानवीय संघर्ष विराम’’ का आह्वान किया गया था. उस समय प्रस्ताव के समर्थन में 120 और विरोध में 14 मत पड़े थे तथा 45 देश अनुपस्थित रहे.

युद्ध विराम प्रस्ताव के खिलाफ अमेरिका, इजराइल

अमेरिका, इजराइल, ऑस्ट्रिया, चेक रिपब्लिक, ग्वाटेमाला, लाइबेरिया समेत 10 देश युद्ध विराम प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करने वाले देशों में शामिल रहे. प्रस्ताव में सभी बंधकों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई, नागरिकों की सुरक्षा के साथ-साथ मानवीय पहुंच सुनिश्चित करने, सभी पक्षों द्वारा अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अपने दायित्वों का पालन करने कही गई.

सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के विपरीत महासभा के प्रस्ताव कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं होते, लेकिन सभा द्वारा दिया जाने वाला संदेश दुनिया की राय को दर्शाता है. बता दें कि हमास की ओर से सात अक्टूबर को इजराइल पर अटैक के बाद से ही गाजा में संघर्ष जारी है, जिसमें हजारों लोगों की मौतें हो चुकी हैं.

भारत अक्टूबर में महासभा में उस प्रस्ताव पर वोटिंग से अबसेंट रहा था, जिसमें इजराइल-हमास संघर्ष में तत्काल मानवीय युद्ध विराम और गाजा पट्टी में निर्बाध मानवीय पहुंच का आह्वान किया गया था. जॉर्डन द्वारा तैयार किए गए प्रस्ताव में पूरे गाजा पट्टी में नागरिकों को आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं के तत्काल, निरंतर, पर्याप्त और निर्बाध प्रावधान की भी मांग की गई थी.